Hemant Soren: झारखंड चुनाव नतीजों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को यूं ही हीरो नहीं बना दिया है बल्कि इस कामयाबी के पीछे उन की मेहनत के नंबर ज्यादा हैं. वे वोटर से लगातार कनेक्ट रहे और जेल में डाले जाने के बाद यह जिम्मेदारी उन की पत्नी कल्पना सोरेन ने संभाली जो राजनीति से दूर ही रहती थीं.
बटेंगे तो कटेंगे और एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे जैसे भड़काऊ भाजपाई नारों के मुकाबले झारखंड के वोटर ने तबज्जो दी इंडिया गठबंधन के इन दो नारों को, ‘हेमंत है तो हिम्मत है’ और ‘एक ही नारा हेमंत दुबारा’. ये नारे इतने असरदार साबित हुए कि इंडिया गठबंधन राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से 56 सीटें जीत ले गया और एनडीए 24 पर सिकुड़ कर रह गया.
23 नवंबर को आए नतीजों ने बहुत सी बातों के साथ एक अहम बात यह साबित कर दी है कि इस बार भी चुनावी खेल में रांची की पिच पर मेन औफ द इलैक्शन निर्विवाद रूप से हेमंत सोरेन हैं. 24 नवंबर को रांची में लगे ये पोस्टर भी हर किसी को आकर्षित कर रहे थे जिन पर लिखा था – ‘सब के दिलों पर छा गया, शेरदिल सोरेन फिर आ गया.’
बात में और नारों दम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, केन्द्रीय कृषि मंत्री और झारखंड के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और 24 X 7 नफरत व हिंदुत्व की आग मुंह से उगलते रहने वाले असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा सहित 2 दर्जन धाकड़ भाजपा नेताओं ने हेमंत सोरेन की ठीक वैसे ही घेराबंदी कर रखी थी जैसी कि महाभारत की लड़ाई में कौरवों ने अभिमन्यु की की थी. लेकिन हेमंत सोरेन इस चक्रव्यूह को भेदते जंग के मैदान में आए तो बिना किसी कृष्ण की मदद के अर्जुन की तरह लड़े और जीते भी तो एक धुरंधर योद्धा की तरह जिस के सियासी तीरों के आगे ये भगवा शूरवीर कागजी शेरों की तरह ढेर हो गए.