5 राज्यों में हुए चुनाव में देश के 3 महत्वपूर्ण राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की विजय से एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं कि ईवीएम मशीन को हैक कर के कुछ भी किया जा सकता है.

पहले पहल बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती और फिर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ईवीएम मशीन पर सवाल खड़े किए हैं. जिस से देश में एक बार फिर ईवीएम मशीन पर चर्चा का दौर शुरू हो गया है.

मजे की बात यह है कि इस से भारतीय जनता पार्टी बौखला गई है और खुल कर ईवीएम का पक्ष ले रही है. भाजपा के एक बड़े नेता ईवीएम के पक्षधर बन गए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह बयान दे रहे हैं अगर उस का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि वह विपक्ष को गुस्सा भूल कर के सकारात्मक दृष्टि से आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी करने की सलाह दे रहे हैं.

इस का सीधा सा मतलब यह है कि ईवीएम पर सवाल खड़ा नहीं किया जाए. लाख टके का सवाल यह है कि ईवीएम के आप इतने बड़े पक्षधर क्यों बन गए हैं? अगर बैलेट पेपर से चुनाव होते हैं तो भारतीय जनता पार्टी को क्या नुकसान है? सांच को आंच क्या?

होना तो यह चाहिए था कि भारतीय जनता पार्टी उस के बड़े नेताओं को ईवीएम का खुल कर पक्ष नहीं लेना चाहिए. यह मामला चुनाव आयोग का है और या फिर देश की उच्चतम न्यायालय का. वह इस पर संज्ञान ले कर के आपत्तियों पर अपना फैसला दे सकते हैं.

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