उत्तर प्रदेश को उल्टा प्रदेश ऐसे ही नहीं कहा जाता. यहां काम भी उल्टे-पुल्टे ही होते है. समाजवादी पार्टी की सरकार में पुलिस आजम खां की भैंस पकड़ने का काम करती थी तो योगी सरकार में इंजीनियर छुट्टा जानवर पकड़ने लगते हैं.

स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं को दुल्हन सजाने के काम लगा दिया जाता है. पुलिस यहां दंगाइयों पर कड़ी कार्रवाई करने की जगह पर उनसे बदला लेने पर उतर आती है. बताया जाता है कि नौकरशाही पर मुख्यमंत्री का खौफ सिर चढ़ कर बोल रहा है.

मुख्यमंत्री का गुस्सा नौकरशाही के दिलों में उतर गया है. मुख्यमंत्री के खौफ में नौकरशाही उल्टे-सीधे फैसले लेने लगी है. जब इनकी आलोचना शुरू होती है तो यह फैसले वापस भी हो जाते हैं. उलटते-पलटते फैसलों से सरकार की छवि प्रभावित होती है.

उत्तर प्रदेश में छुट्टा जानवर किसानों और राहगीरों के लिये मुसीबत बने हुये हैं. किसानों की फसल चैपट हो रही है. राहगीरों को दुर्घटना का शिकार होना पड़ रहा है. सड़क के तमाम हादसों की वजह यह छुट्टा जानवर होने लगे हैं.

ये भी पढ़ें- इलाहाबाद के रोशनबाग से भी महिलाओं की हुंकार

इस बात का अहसास सरकार को भी है. इसके बाद भी सरकार समझना नहीं चाहती है. छुट्टा जानवरों की परेशानी अब खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दौरों के समय मुसीबत बनने लगी है. मुख्यमंत्री की फ्रलीट के आगे छुट्टा जानवर ना आ जाये इसके लिये तुगलकी फैसले होने लगे हैं.

मिर्जापुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दौरे पर जाना था. इसकी तैयारी की समीक्षा में छुट्टा जानवर भी एक मुददा थे. अधिकारियों को डर था कि कही छुट्टा जानवर मुख्यमंत्री की गाड़ियों के आगे ना आ जाये. ऐसे में छुट्टा जानवरों को संभालने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी को सौंप दी गई.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...