पत्थलगड़ी एक संकल्प के रूप में एक मिशन के रूप में भारत के आदिवासी बहुल इलाकों में अपना पांव पसारता दिख रहा है. पत्थलगड़ी झारखंड के खूंटी जिला में उस समय प्रकाश में आया जब पत्थलगड़ी समर्थकों ने अपने गावों के बाहर पत्थर के सिल्लापट्ट के माध्यम से बाहरी लेागों को यह संदेश देने की कोशिश की, कि इस ग्राम में बिना इजाजत के प्रवेश वर्जित है और इस ग्राम में झारखंड सरकार या राज्य सरकार के कानून लागू नही होते बल्कि यहां की ग्रामसभा की सरकार है. पत्थलगड़ी आदिवासियों की भारत सरकार का शासन है. इसलिए हमारा कानून अलग है और हम भारत सरकार के कोई भी कानून को नही मानेंगे. यहां तक कि भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे विकास येाजनाओं का लाभ भी हम नहीं लेंगे. झारखंड सरकार उस समय सकते में आ गयी जब पत्थलगड़ी समर्थकों ने अपना बैंक और अपनी करेंसी की घोषणा कर दी. पत्थलगड़ी बैंक में सैकड़ो लेागों ने खाते भी खुलवा लिये. झारखंड सरकार ने तुंरत पत्थलगड़ी आंदोलन को हवा देने वाले नेताओं पर देशद्रोह का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने लगी. तत्कालीन भाजपा सरकार नें दर्जनों पत्थलगड़ी पर दबिश बनाना शुरू कर दिया. कितने ही समर्थक अंडरग्राउंड भी हो गये. पत्थलगड़ी प्रभाव वाले जिले खुंटी , सिमडेगा , सरायकेला ,खरसंवा ,चाइबासा के पत्थलगड़ी समर्थकों को पुलिस ढूंढती फिर रही थी. पत्थलगड़ी मामले में राजनीतिक भी शुरू हो गयी. जहां विपक्ष पत्थलगड़ी समर्थकों के बचाव में उतरी वहीं तत्कालीन भाजपा सरकार नें उन्हें देशद्रोह घोसित कर चुकी थी. कुछ ही दिन में पत्थलगड़ी का आंदोलन कम हो गया.