16 राज्यों में राज्यसभा के लिये खाली हुई 58 सीटों के लिये हुये चुनाव में हर दल क्रास वोटिंग का तलबगार दिखा. सबसे चाल चरित्र और चेहरा की बात करने वाली भाजपा के चेहरे पर लगा उबटन उतर गया. चुनावी जोड़तोड़ के लिये कभी कांग्रेस को पानी पी कर कोसने वाली भाजपा आज खुद उसी राह पर चलते हुये कांग्रेस से दो कदम आगे निकल गई है.
राज्यसभा के इन चुनावों को देखते साफ लगता है कि देश में संविधान की मंशा, चुनावी सुधार, दलबदल कानून और स्वच्छ राजनीति बेमानी बातें हैं. यह ठीक उसी तरह है जैसे कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर झूठी गवाही देना.
राज्यसभा के चुनाव में पूरे देश में सबसे अधिक चर्चा उत्तर प्रदेश की रही. राज्यसभा चुनावों के पहले उत्तर प्रदेश में सरकार चला रही भाजपा गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उपचुनाव में बुरी तरह से हार गई थी. अपनी इस हार का बदला लेने के लिये बौखलाई भाजपा ने राज्यसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार भीमराव अम्बेडकर को हराने के लिये हर बल को आजमा लिया.
हर दल के वोट को देखें तो भाजपा अपने कोटे से 8 उम्मीदवारों को राज्यसभा पहुंचा सकती है. इनमें केन्द्र में मंत्री अरुण जेटली, प्रार्टी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव, अशोक वाजपेई, विजय पाल सिंह तोमर, कांता करदम, हरनाथ सिंह यादव, सकल दीप राजभर और अनिल जैन प्रमुख हैं. समाजवादी पार्टी के वोट से जया बच्चन राज्यसभा पंहुच जाएंगी.
उत्तर प्रदेश में सारा विवाद बसपा के प्रत्याशी भीमराव अम्बेडकर के चुनाव मैदान में उतरने से खड़ा हो गया. राज्यसभा के एक प्रत्याशी को चुनाव जीतने के लिये 37 विधायकों के वोट चाहिये थे. कांग्रेस, बसपा और सपा के पास बचे हुये 29 वोट हैं. ऐसे में उसे 8 वोट उसे निर्दलीय या दूसरे विधायकों से चाहिये थे. भाजपा के पास अपने 8 प्रत्याशियों को वोट देने के बाद 28 वोट बच रहे थे. ऐसे में उसने अपने बचे वोटो का उपयोग करने के लिये गाजियाबाद के स्कूल प्रबंधक अनिल अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतार दिया. अब यह तय हो गया कि 10 वोटों का इंतजाम करने के लिये क्रास वोटिंग जरूरी हो गई.