भारत में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. हम तीसरे चरण में प्रवेश के द्वार पर खड़े हैं.स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि देश में संक्रमण की रफ्तार दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले काफी धीमी है, लेकिन कम्युनिटी ट्रांसमिशन, जिसे तीसरा चरण कहते हैं, कभी भी शुरू हो सकता है.इस बीच सुप्रीम कोर्ट में कोरोना संक्रमण से गरीब आबादी को बचाने और उनमे संक्रमण को रोकने की आशा से कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं. देश में लॉक डाउन के दौरान जिस तरह से झुण्ड के झुण्ड मजदूरों का पलायन शहरों से गाँव की ओर हो रहा है उसको ले कर केंद और राज्य सरकारों के साथ सुप्रीम कोर्ट की चिंता भी बढ़ी हुई है.

वकील आलोक श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है शहर से गांव जा रहे 10 में से 3 लोग अपने साथ कोरोना संक्रमण को ले जा सकते हैं.कोरोना वायरस के कारण दिल्ली से पलायन कर रहे दिहाड़ी मजूदरों के लिए खाना और ठहरने के इंतजाम वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई हुई थी.सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ को बताया कि अब तक एयरपोर्ट और बंदरगाहों पर 28 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि 3.5 लाख लोगों की मॉनिटरिंग की जा रही है. पर गांव की ओर लौट रहे मजदूरों में संक्रमण की आशंका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है.

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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि अलग-अलग राज्यों में पहुंचे लगभग 22.88 लाख प्रवासी मजदूरों, गरीबों और दिहाड़ी श्रमिकों को उनके गांवों से अलग जगह पर रोका गया है और सरकार की ओर से भोजन और आश्रय दिया जा रहा है. सॉलिसिटर जनरल के साथ केंद्रीय गृह सचिव भी वीडियो कॉन्फ्रेंस सुनवाई में शामिल हुए. उन्होंने कहा, केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के अनुसार, अब तक 6.63 लाख लोगों को अलग-अलग केंद्रों में रखा गया है.गृह सचिव ने कहा कि अब कोई प्रवासी श्रमिक सड़क पर नहीं है.
लेकिन इतनी बड़ी तादात को रोके रखने और उनके खाने पीने सहित दवा उपचार के प्रबंध पर संदेह जताते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि शेल्टर होम आदि के प्रबंधन का काम वॉलंटियर को दिया जाए, पुलिस को नहीं. उन्होंने सरकार से कहा कि आप यह सुनिश्चित करें कि वॉलेंटियर लाए जाएं, बल या धमकी का उपयोग नहीं होना चाहिए.

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