राहुल गांधी की संसद सदस्यता और उन के आवास को ले कर जिस तरह नरेंद्र मोदी की सरकार के समय घटनाक्रम देश ने देखा उसे हमेशा याद किया जाएगा. चाहे मोदी सरकार लाख पल्ला झाड़ते रहे मगर अपना दामन नहीं बचा सकती.

अब जब उच्चतम न्यायालय से राहुल गांधी की दोषसिद्धि का फैसला आ गया है इस निर्णय को स्वीकृति देने में लेटलतीफी की जा रही है. माना जा रहा है कि अदृश्य इशारे पर राहुल गांधी को जल्द संसद में ऐंट्री नहीं मिलने वाली है और इस सत्र को निकालने के फिराक में लोकसभा अध्यक्ष दिखाई दे रहे हैं.

सांसत में सरकार

मगर सच तो यह है कि राहुल गांधी के साथ जो दमन किया जा रहा है उस से देशभर में उन्हें संवेदना मिलने लगी है. हालत यह है कि अगर संसद में राहुल गांधी की ऐंट्री हो जाती है तो भी मोदी सरकार सांसत में है और नहीं होती है तो और भी ज्यादा बड़ा संदेश देश में फैलता चला जा रहा है.

कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी के लिए यह मामला गले में फंसी हड्डी के समान है जिसे केंद्र सरकार न निगल पा रही है और न ही उगल पा रही है.

यही कारण है कि हमेशा मुखर रहने वाले शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने मोदी सरकार के रुख को देखते हुए दावा किया कि केंद्र सरकार राहुल गांधी से डरी हुई है और इसी वजह से उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद कांग्रेस नेता की लोकसभा की सदस्यता अभी तक बहाल नहीं की गई है.

उच्चतम न्यायालय ने 'मोदी उपनाम' को ले कर की गई कथित विवादित टिप्पणी के संबंध में 2019 में दायर आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए शुक्रवार को उन की लोकसभा की सदस्यता बहाल करने का रास्ता साफ कर दिया है.

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