कोरोना के कंधे पर बंदूक रखकर बड़ी चालाकी से सम्पन्न देश इसके खात्मे की जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं। यह खतरनाक है.इससे कमजोर देशों पर आफत टूट पड़ेगी। इस विचार पर ये लेख भेज रहा हूं. पसंद आये तो कृपया इस्तेमाल करें.

स्वाइन फ्लू और कोरोना वायरस के बीच के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है यानी 2008 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन की जो संख्या 0.9 बिलियन थी, वह 2018 में बढ़कर 1.4 बिलियन हो गई है. इस समय कोरोना वायरस से जो सबसे अधिक प्रभावित देश हैं, वह वही हैं जिन्होंने इस अवधि (2008 से 2018) में सबसे ज्यादा पर्यटक आगमन व निकासी रिकॉर्ड की थी. इस अवधि में पर्यटक आगमन के लिहाज से जो टॉप पांच देश रहे (यानी 2018 में पर्यटकों की संख्या व 2008 की तुलना में प्रतिशत वृद्धि), वह हैं- फ्रांस (89 मिलियन, 13 प्रतिशत की वृद्धि), स्पेन (83 मिलियन, 45 प्रतिशत की वृद्धि), अमेरिका (80 मिलियन, 37 प्रतिशत की वृद्धि), चीन (63 मिलियन, 19 प्रतिशत की वृद्धि) व इटली (62 मिलियन, 44 प्रतिशत की वृद्धि).

जबकि इसी दौरान पर्यटक निकासी के लिहाज से जो टॉप पांच देश रहे, वह हैं- चीन (150 मिलियन, 227 प्रतिशत की वृद्धि), जर्मनी (109 मिलियन, 26 प्रतिशत की वृद्धि), अमेरिका (93 मिलियन, 45 प्रतिशत की वृद्धि), हांगकांग (92 मिलियन, 13 प्रतिशत की वृद्धि) व इंग्लैंड (70 मिलियन, 31 प्रतिशत की वृद्धि)। इन दस वर्षों में भारत में पर्यटकों के आगमन में तीन गुना इजाफा हुआ है.साल 2008 में भारत में 5.3 मिलियन पर्यटक आये थे, जिनकी संख्या 2018 में बढ़कर 17.4 मिलियन हो गई.यह सब आंकड़े विश्व बैंक के डाटा के आधार पर हैं. साल 2019 में भारत में 11 मिलियन विदेशी व 7 मिलियन एनआरआई आये थे, जिनमें से अधिकतर यूरोप व उत्तरी अमेरिका से आये थे.हालांकि इनमें से ज्यादातर ने दिल्ली व मुंबई में लैंड किया, लेकिन वहां से वह गोवा से लेकर बिहार तक विभिन्न राज्यों में गये.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...