देश के पूर्व रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय राष्ट्रवादी कांग्रेस के सुप्रीमो शरद पवार को राजनीति का 'चाणक्य' कहा जाता है. बड़ेबड़े नेताओं को उन्होंने अपने घातप्रतिघात से चारों खाने चित करने में सफलता प्राप्त की है. दरअसल सवाल है, जिन्होंने इंदिरा गांधी से ले कर आज तक 50 वर्षों से अधिक के राजनीतिक समय में बारबार एहसास दिलाया है कि वे राजनीति के महाक्षत्रप हैं. आधुनिक चाणक्य हैं. कब, क्या निर्णय लेना है, यह कोई शरद पवार से सीख सकता है.

एक समय में आप ने सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने के माहौल के दरमियान अपना हाथ खींच कर एक ऐसी चुनौती दी थी, जिस के कारण सोनिया गांधी को कदम पीछे हटाने पड़े. चाहे देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी रहे हों या फिर नरसिम्हा राव, शरद पवार की ठसक राजनीति में बरकरार रही. यह भी माना जाता है कि बाला साहब ठाकरे को ऊंचा मुकाम दिलाने में शरद पवार का ही हाथ था. मगर अब देश में नरेंद्र मोदी राजनीति की नई एबीसीडी लिख रहे हैं और 'चाणक्य' की भूमिका में देश के गृह मंत्री अमित शाह हैं. ऐसे में जो आपरेशन महाराष्ट्र में देश ने देखा है, उस से यह संदेश जाता है कि शरद पवार की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 अगस्त, 2023 को पुणे का दौरा करेंगे. मोदी यहां विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास भी करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस यात्रा के दौरान लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. यह सम्मान उन्हें राकांपा प्रमुख शरद पवार देंगे. राकांपा के सहयोगी दलों ने शरद पवार से इस कार्यक्रम में शामिल होने का आग्रह किया है.

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