देश में आजकल सिर्फ एक ही दृश्य दिखाई दे रहा है- कभी राहुल गांधी को पुलिस का नोटिस तो कभी ईडी का नोटिस. कभी लालू यादव को ईडी का नोटिस तो कभी मनीष सिसोदिया से सीबीआई की पूछताछ .कभी के. कविता को ईडी का नोटिस तो कभी राबड़ी देवी को पूछताछ के लिए बुलाना. यह सारे दृश्य देख कर के देश की आवाम यह सोचती है कि क्या नरेंद्र दामोदरदास मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद इतने भयभीत है कि सारे विपक्ष के नेताओं पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के तोते छोड़ दिए गए हैं. या फिर सचमुच हमारे देश के नेता इतने बेईमान और भ्रष्ट है कि उनके साथ कथित अपराधियों जैसा व्यवहार हो रहा है. जिस तरह विपक्ष के नेताओं को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है वैसे ही अगर सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं को भी सीबीआई प्रवर्तन निदेशालय बुलाती, पूछताछ करती और जेल भेजती तो शायद यह प्रतीत होता कि देश में कानून का शासन काम कर रहा है.

मगर ऐसा कहीं दिखाई नहीं देता. बल्कि हो या रहा है कि कोई भ्रष्ट नेता सत्ता पक्ष में है तो उसे सुरक्षा कवच मिल जाता है यह सच यह मंथन करने के लिए आवश्यक है कि आज देश में यह क्या हो रहा है. और ऐसे में जब चौराहे पर देश खड़ा है तो लोकतंत्र और कानून के नाम पर यह धमाचौकड़ी कब तक चलती रहेगी. दूसरी तरफ देश के संवैधानिक संस्थाओं का मौन रहना भी अब सालने लगा है. काश ऐसे मौके पर जिस तरह दिल्ली की पुलिस राहुल गांधी को नोटिस देकर के उनके बयान पर संज्ञान ले जवाब मांग रही है देश का उच्चतम न्यायालय भी स्वयं संज्ञान लेकर के इस आपाधापी और सीबीआई ईडी के खेल में स्वयं संज्ञान लेकर के देश के गृह मंत्रालय से पूछती कि यह क्या नौटंकी है.

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