भोपाल लोकसभा सीट भाजपा का कितना बड़ा गढ़ है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है  कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अंजान से आलोक संजर भी मोदी लहर पर सवार होकर दिल्ली पहुंच गए थे. तब उन्होने कांग्रेसी दिग्गज पीसी शर्मा को कोई पौने चार लाख वोटों के बड़े अंतर से शिकस्त दी थी. इस चुनाव में लड़ाई पहले की तरह एकतरफा नहीं रह गई है क्योंकि कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर दांव खेला है जिनके सामने भाजपा की तरफ से मालेगांव बम ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा भारती हैं. इन दोनों की जंग ने भोपाल सीट को देश भर की टौप 5 हौट सीटों में शुमार कर दिया है .

यह सोचना बेमानी है कि भोपाल में चुनाव किन्हीं राष्ट्रीय या स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा है. शायद ही नहीं बल्कि तय है कि चुनाव शुद्ध धर्म और असली नकली हिन्दुत्व के आधार पर लड़ा जा रहा है. चुनाव प्रचार थमने के पहले तक भोपाल में साधु संतों का जमावड़ा  देख लोग हैरान थे. नजारा किसी मिनी कुम्भ से कम नजर नहीं आ रहा था. दिग्विजय सिंह की तरफ से हजारों अधनंगे साधु संत धुनी रमाए उन्हें जिताने न केवल हठ योग कर रहे थे बल्कि उनके समर्थन में उन्होने रोड शो भी किया. प्रज्ञा भारती भला क्यों ढोंग पाखंडों की इस नुमाइश में पीछे रहतीं लिहाजा उन्होने भी भंडारे और साधु संतों के साथ सुंदर कांड के आयोजन कर डाले.

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दोनों ही उम्मीदवार धार्मिक तौर पर एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश में इस तरह जुटे हैं मानो सांसद नहीं बल्कि महामंडलेश्वर या शंकराचार्य बनने जा रहे हों. ये दोनों चुनाव प्रचार और जन संपर्क के दौरान जहां भी मंदिर दिख जाता है वहीं दंडवत हो जाते हैं तो पहले तो लोगों को हंसी आती है फिर तरस आता है और फिर कोफ्त होने लगती है कि जब इन्हीं में से किसी को चुनना है तो इससे तो बेहतर है कि भोपाल सांसद विहीन ही रह जाये.

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