आजकल के युवा बड़े निकम्मे हो चले हैं. इस की वजह उन में ज्ञान का अभाव है. धार्मिक किताबें लबालब भरी पड़ी हैं. युवाओं के रोजगार और नौकरी की चिंता में दुबलाए जा रहे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाहाकारी फैसला यह लिया है कि अब सरकारी कालेजों में श्रीमदभगवद्गीता पढ़ाई जाएगी. इस से

2 फायदे होंगे, पहला तो यह कि युवा डिग्री लेने का कर्म यानी मेहनत तो करेंगे लेकिन उस का फल यानी नौकरी नहीं मांगेंगे जो कर्ज में डूबी सरकार के पास है ही नहीं.

दूसरा फायदा यह होगा कि पंडेपुरोहितों, जो कालेजों में जा कर गीता का ज्ञान बांटेंगे, को मुफ्त सरकारी दक्षिणा मिल जाएगी और वे सरकार को न केवल आशीर्वाद देंगे बल्कि मठमंदिरों से प्रचार भी करेंगे. अब तय युवाओं को करना है कि वे क्या चाहते हैं- नौकरीरोजगार या धार्मिक ज्ञान जो पलायनवादी बनाता है.

बिहारी गुरु

गुरु बनाना बुरी बात नहीं क्योंकि उस से कुछ न कुछ सीखने को ही मिलता है. एक पौराणिक पात्र दत्तात्रेय तो बातबात में गुरु बना लेता था. ऐसे ही एक गुरु शरद यादव हैं जो सूखे बूढ़े पेड़ की तरह हैं जो किसी को छांव या फल नहीं दे सकता. शरद यादव इसलिए महत्त्वपूर्ण हो गए कि बीते दिनों खुद राहुल गांधी दिल्ली स्थित उन के घर जा पहुंचे और उन्हें अपना गुरु बताया.

शरद यादव राहुल गांधी को अपने घर आया देख सुदामा की तरह गद्गद हो उठे और उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात कह डाली. राजनीति में कोई भी मुलाकात बेमकसद नहीं होती. इन दिनों शरद यादव लालू यादव और उन के बेटे तेजस्वी से भी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं यानी आज नहीं कल, नया कोई गुल तो खिलेगा.

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