राष्ट्रपति चुनाव किसी आम चुनाव की तरह नहीं होता. इसमें वोटिंग से लेकर वोट गिनने का तरीका भी काफी अलग होता है. तो आइए पहले जानते है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों की गिनती किस आधार पर होती है.

राष्ट्रपति चुनाव के लिए जनता नहीं बल्कि जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि मतदान करते हैं. जैसे विधायक, लोकसभा सांसद और राज्यसभा सांसद.

देश में विधायकों की संख्या : 4033

लोकसभा सांसदों की कुल संख्या : 543

राज्यसभा के कुल सांसदों की संख्या : 233

भारत के राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट करने वालों की संख्या : 4809

राष्ट्रपति चयन के लिए जो सांसद और विधायक वोट डालते हैं उन्हें इलेक्टॉरल कॉलेज यानी निर्वाचक मंडल कहा जाता है, जिसका जिक्र संविधान के आर्टिकल 54 में किया गया है. लेकिन यहां ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी भी सदन के नॉमिनेटेड सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं कर सकते क्योंकि ये सीधे जनता के द्वारा नहीं चुने जाते हैं. ऐसे में राज्यसभा के 12 और लोकसभा के 2 सदस्य इसमें हिस्सा नहीं लेते हैं.

वोट वैल्यू तय करने का आधार

संसदीय क्षेत्र के आकार (कितने वोटर्स या जनसंख्या है) के ऊपर निर्भर ना रहते हुए हर एक सांसद के वोट की वैल्यू एक समान होती है. वहीं विधायकों की वोट वैल्यू जनसंख्या के आधार पर होती है.

हैरानी की बात ये है कि इस वोट वैल्यू को निकालने में जिस जनसंख्या का इस्तेमाल होता है वो 2011 का नहीं बल्कि 1971 का होता है. तो आइए जानते है कि आखिर इस वोट वैल्यू को निकालने में 1971 की जनसंख्या के आंकड़े का इस्तेमाल क्यों होता है.

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