आसाराम के संदर्भ में आज का समय हमेशा याद रखने लायक हो गया है. क्योंकि धर्म के नाम पर अगर कोई यह समझेगा कि वह देश की जनता और कानून को ठेंगा बताता रहेगा तो उसकी गति भी आसाराम बापू जैसे होनी तय है.

आखिरकार लंबे इंतजार के बाद अहमदाबाद की अदालत ने सगी बहनों से रेप के आरोप में आशाराम को आजीवन कारावास की सजा सुना दी है. यहां याद रखने लायक बात यह है कि एक समय पैसों का साम्राज्य और प्रसिद्धि के मामले में उच्च शिखर पर रहने वाला कथित संत "आसाराम" को कानून सजा दे चुका है. आसाराम की संपूर्ण जिंदगी का विहंगवलोकन करें तो आपको बताए सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़े आसाराम ने "धर्म गुरू" का आडंबर खड़ा कर देश में लाखों समर्थक पैदा कर लिए और अकूत दौलत प्राप्त की . ऐसे में आज समय है इस संपूर्ण घटनाक्रम के परिदृश्य में सामाजिक और कानूनी नियम कायदे बनाने की ताकि फिर कोई दूसरा आसाराम देश में पैदा ना हो.

दरअसल,आयकर विभाग के अनुसार वर्ष 2016 में प्रॉपर्टी की जांच की गई तो 2300 करोड़ रुपये का बड़ा साम्राज्य, 400 आश्रम, लाखों अनुयायी और उसके नाम पर बिक रहे कई ब्रांड के उत्पाद मिले एक समय ऐसा भी था जब देश के बड़े-बड़े राजनेता आसाराम के पैर छूते दिखाई देते थे ऐसे में कोई भी आसाराम पर हाथ डालने वाला नहीं था. मगर समय एक सा नहीं होता और आखिर बुराई का अंत होता ही है और आसाराम के साथ भी यही हुआ.

आसाराम का जन्म वर्ष 1941 में अविभाजित भारत के पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक सामान्य सिंधी हिंदू परिवार में हुआ था. उसके बचपन का नाम असुमल हरपलानी था. जब देश का 1947 मे बंटवारा हुआ तब बालक आसाराम अपने परिवार के साथ गुजरात आ गया. यहां पर आकर उसने गुजारा करने के लिए प्रारंभिक जीवन में तांगा चलाया. यही नहीं अपने चार दोस्तों के साथ शराब की स्मगलिंग की.और साइकल की दुकान में काम किया, चाय की दुकान खोली. चाय की दुकान चलाने के दौरान ही आसाराम ने दाढ़ी बढ़ा ली. और धीरे-धीरे अध्यात्म की ओर आगे बढ़ने लगा .

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