“तुम्हारी उम्र में तुम्हारा सारा ध्यान पढ़ाई में होना चाहिए. ध्यान भड़क गया तो तुम्हारा भविष्य खराब हो जाएगा.”
मुझे देख कर अपना सिर हिलाया. मुझे पता नहीं था कि इस का मैं क्या मतलब निकालूं.
“तुम्हें पता है, तुम्हारे मां और बाप कितनी मेहनत कर के तुम्हें पढ़ालिखा आदमी बनाने की कोशिश कर रहे हैं?”
उस ने सिर हिलाया जिस का मतलब हां ही होगा, ऐसा मैं ने समझा.
उसे यहां रह कर पढ़ाई के बारे में भाषण सुनने में जरा भी रुचि नहीं, उसे देखते ही मुझे पता चल गया.
“अपनी फीस के पैसों को तुम ने अपने दोस्तों को क्यों दिया?” मैं ने सीधा पूछ ही डाला.
उस का चेहरा गुस्से में लाल हो गया, “उस की मां की तबीयत खराब थी, दवाई खरीदने के लिए पैसे मांगा था, इसलिए मैं ने दिया इंसानियत के नाते.”
‘इंसानियत’ कह रहा है, लगता है इतनी भी मंदबुद्धि नहीं. मुझे साफ नजर आ रहा था कि वह झूठ बोल रहा था और मुझे यह भी लगा कि इस के आगे उस से बात करने से मेरी मर्यादा को ही हानि पहुंचेगी, इसलिए मैं ने उस से, “अच्छा चलो, इंसानियत के तुम अकेले ठेकेदार नहीं हो और भी लोग हैं इस दुनिया में बड़ा काम करने के लिए. तुम अपने काम से काम रखो” कह कर उस से चलने को कहा.
चलते समय जो जूते वह पहने हुए थे, उसे देख कर मैं हैरान हो गई थी, उस की कीमत 2 हजार रुपए से कम नहीं हो सकती. मगर हमारे देश में नकली चीजों की कमी नहीं है, 2 हजार रुपए के जूते के नकली 2 सौ रुपए में मिल सकते हैं. मिलने वाली जगह अलग ही होगी.
लक्ष्मी अपने काम खत्म कर के मेरे पास आई और पूछी, “आप ने उसे समझाया न, मां जी?”
मैं ने कुछ नहीं कहा, सिर्फ सिर हिलाया.
इस के तकरीबन 7 महीने बाद एक रात 8 बजे के आसपास घंटी बजी. मैं ने दरवाजा खोला, तो लक्ष्मी खड़ी थी.
अपने बालों को खुले छोड़े हुए वह मेरे पैरों में पड़ कर फूटफूट कर रोने लगी.
मैं ने उसे उठा कर पूछा, “अब क्या हुआ?“
“मैं क्या कहूं, मां जी. पुलिस वाले निर्मल को घसीट कर ले गए,” यह बोल कर वह और जोर से रोने लगी.
मैं आश्चर्यचकित खड़ी थी.
“पुलिस ने पकड़ा, मगर क्यों?”
“मैं क्या बताऊं, मां जी. कालेज की लड़कियों से छेड़छाड़ करने की वजह से पुलिस उसे पकड़ कर ले गई. जेल में मेरे बेटे को बहुत पीटा है, मां जी. मैं क्या करूं?” लक्ष्मी की रोने की आवाज गूंज उठी.
इस बार मुझे उस पर संवेदना नहीं आई, बल्कि गुस्सा आया.
“अगर उस ने कुछ नहीं किया तो पुलिस उसे क्यों पकड़ती?”
“जो लड़के उस के साथ हैं उन्होंने किया और पुलिस ने मेरे बेटे को भी उन के साथ गिरफ़्त में ले लिया,” रोती हुई लक्ष्मी बोली.
उस की बातें सुनते ही मेरा गुस्सा और ज्यादा हो गया. “मैं ने उसी दिन तुम से कहा था न, उस के दोस्त ठीक नहीं हैं. मगर तुम ने मेरी बात नहीं मानी.”
“मैं ने उस से बोला मांजी कि उन लफंगे लोगों के साथ ताल्लुक मत रखो. उस ने मुझ से झूठ बोला कि अब उन लोगों के साथ उस की दोस्ती नहीं है. अब भी मैं कहती हूं, मांजी, मेरे बेटे ने ऐसा नीच काम न किया होगा. उस लड़के ने बदमाशी की होगी और मेरा बेटा फंस गया.”
मुझे पता नहीं था कि ऐसे हालात में मुझे क्या करना चाहिए. “ठीक है, अब बोलो, तुम्हें क्या चाहिए?”
“मैं कोकिला माता जी के घर गई थी, वे लोग कहीं बाहर चले गए. आप और आप के पति आ कर पुलिस से बात करें. आप जैसे लोग मेरे बेटे के लिए बोलें, तो शायद पुलिस उसे छोड़ देगी.”
मैं ने अपने पति की ओर देखा, उन्होंने सबकुछ सुन लिया होगा मगर हमारी ओर पलट कर भी नहीं देखा.
उन्होंने इंग्लिश में मुझ से कहा, “तुम इस मामले में दखल मत दो. वह लड़का सही नहीं है.”
मगर मुझे गुस्सा आया. मेरे खयाल से मेरे घर में मन लगा कर काम कर रही एक गरीब स्त्री मदद मांग रही है, वह भी पैसा नहीं, सिर्फ बात करने के लिए कह रही है. अगर वह भी हम मना करें तो यह ठीक नहीं होगा, ऐसा मैं ने समझा.
“जी, आप यह क्या कह रहे हैं. यह अबला, गरीब नारी क्या करेगी और वह भी 3 लड़कियों के साथ?” मैं ने पूछा.
इतने में मैं ने लक्ष्मी से पूछा, “तुम्हारा पति कहां है?”
“वह ड्राइवर है न, मां जी. वह बाहर गया हुआ है.”
“येह लोग सारी गलती कर के फिर किसी के पास आ कर उन से छुड़ाने की इच्छा करते हैं. कौन आएगा इन के लिए,” ऐसा बोला मेरे पति ने.
“मैं जाऊंगी,” मैं गुस्से के साथ बोली.
“तुम्हारी मरजी,” कह कर मेरे पति अंदर चल गए.
मैं ने चप्पल पहन व हाथ में एक बटुआ ले कर उस के साथ पुलिस स्टेशन के लिए निकल पड़ी.
रात बहुत हो चुकी थी, इसलिए पुलिस थाने में केवल एक इंस्पैक्टर और दो कांसटेबल ही थे. एक बाहर खड़ा था और दूजा अंदर था.
रास्ते में ही मैं ने लक्ष्मी को चेतावनी दी थी, ‘देख लक्ष्मी, वहां पुलिस थाने में जा कर चीखनाचिल्लाना मत. मुझे कोई तमाशा नहीं चाहिए. तुम बिलकुल चुप बैठो. जो बोलना है, मैं बोलूंगी.’
लक्ष्मी ने सिर हिला कर हां कहा.
वहां का इंस्पैक्टर दिखने में युवा था.
मैं ने अपना परिचय दिया. उस ने मुझे बैठने के लिए कहा. मेरे पीछे खड़ी लक्ष्मी को देख कर आंखों के इशारे में मुझ से पूछा, ‘यह कौन है?’
“यह लक्ष्मी है, मेरे घर में बहुत सालों से काम कर रही है. इस के बेटे निर्मल को आप ने गिरफ्तार कर यहां लाए हैं. इस ने मुझ से आ कर मदद मांगी और मैं उसी सिलसिले में आप से बात करने आई हूं. क्या आप उसे छोड़ सकते हैं?” मैं ने पूछा.
इंस्पैक्टर मुझे देख कर एक मिनट के लिए चुप बैठा रहा.
फिर उस ने लक्ष्मी की ओर देख कर कहा, “मां जी, आप उधर जा कर बैठिए, मैं इन से बात कर के उस के बाद आप को बताऊंगा.”
लक्ष्मी कोने में पड़ी एक बैंच पर जा कर बैठ गई.
“मैडम, अगर आप बुरा न मानें तो एक सच्ची बात कहना चाहता हूं. आजकल के किशोर बच्चों के बारे में आप शायद जानते ही होंगे. इन मटरगश्त लोगों की हरकतों के बारे में खबर हर पत्रिका में, हर न्यूज़ चैनल में आप देखते होंगे. चोरी, गांजा, लड़कियों से छेड़छाड़ जैसी बहुत सारी गंदी हरकतें करना इन की आदत सी पड़ गई है.”
“मैं आप की बातों से सहमत हूं, सर. मगर मेरे खयाल से निर्मल अक्खड़ और अशिक्षित जरूर है लेकिन वह इतना भी बुरा नहीं कि वह लड़कियों से बदतमीजी करे,” मैं ने कहा. मुझे इस के बारे में पता था, फिर भी लक्ष्मी की खातिर मैं ने झूठ बोला.
मेरी बात खत्म होते ही इंस्पैक्टर हंस पड़ा.
“कौन निर्मल? उस गुट में एक ल़़ड़्का दिखने में अच्छा जिस की आंखों में भी काजल की रेखा नज़र आती है, वही लड़का?” इंस्पैक्टर ने पूछा.
इतनी सटीकता से उस का विवरण इंस्पैक्टर कैसे कर सकता है, ऐसा मैं सोच रही थी, तभी इंस्पैक्टर ने बोलना शुरू किया-
“दिखने में थोड़ा अच्छा है, इसलिए वह खुद को एक हीरो मानता है और उस के दोस्त सारे के सारे गुंडे व मवाली हैं.”
“अच्छा, मगर उस ने किया क्या कि आप यहां गिरफ़्त में रखे हैं?” मैं ने बेसब्री से पूछा. मैं बहुत देर वहां बैठ कर बात करना नहीं चाहती थी.
लक्ष्मी की ओर इशारा कर के इंस्पैक्टर ने पूछा, “उस औरत ने आप से कुछ नहीं कहा?”
“हां उस ने कहा कि लड़कियों के साथ छेड़छाड़ के मामले में आप उसे अंदर ले आए. इव टीजिंग का केस है क्या?”
“मैडम, आप इन लोगों को मामूली मत समझना. इव टीजिंग नहीं, बहुत ज्यादा किया इस लड़के ने. यह लड़का रोज एक लड़की के पीछे चल कर उस से प्यार करने का प्रमाण कर के उस लड़की को तंग करता रहा था. उस लड़की ने पलट कर एक दिन इस को धमकी दी. इस हीरो को गुस्सा आ गया और अपने 4 दोस्तों को साथ ले कर उस लड़की, जो उस समय एक दुकान के बाहर खड़ी थी, को तेजाब की बोतल दिखा कर उसे डराने की कोशिश की. अच्छा हुआ कि उस समय उस लड़की के पिता भी वहां मौजूद थे और उन्हें देख कर इन चारों ने वहां से भागने की कोशिश की. लड़की के पिता की चीख सुन कर अन्य लोगों ने इन बदमाशों को पकड़ कर हमारे हवाले कर दिया,” उस ने सोचसमझ कर बोला.
इसे सुनते ही मुझे मेरे पति की बात याद आई, साथ ही, मुझे ऐसा लगा कि मैं ने एक चिनगारी पर हाथ रख दिया.
‘कैसे बच्चे और कैसी मां’ यह सोचते ही मुझे उन लोगों पर घृणा आ गई.
“अब आप क्या करेंगे?” मैं ने पूछा. इस के सिवा मेरे पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था.
“आप बेफिक्र जाइए. हम अभी कुछ नहीं करेंगे. डराधमका कर एकदो थप्पड़ दे कर कल सुबह उसे रिहा करूंगा. आप उस औरत से कहिए कि आगे अपने लड़के पर ज्यादा ध्यान दे,” इंस्पैक्टर सावधानी से बोला.
मैं कुछ भी बोलने लायक नहीं थी. इंस्पैक्टर को धन्यवाद कह कर मैं वहां से चल पड़ी. न जाने क्यों उस वक्त लक्ष्मी के चेहरे को देखना भी मुझे पसंद नहीं था. मुझे बाहर चलते हुए देख कर लक्ष्मी मेरे पीछे दौड़ कर आई, “मां जी, क्या कहा इंस्पैक्टर ने? मेरा बेटा निर्दोष है न? उसे छोड़ देते न?” उस की आंखों में फिर आंसू की बरसात.
इस बार मैं ने उसे गौर से देखा. “तुम्हारे बेटे ने गलती की है. आज रात उसे जेल में रहने दो, यह कम सजा है. उसे भुगतना ही उस के लिए सही है.” यह कह कर उस के जवाब का इंतजार किए बिना मैं अपने घर की तरफ चलने लगी.
चंद मिनटों के लिए लक्ष्मी चुप खड़ी थी और उस के बाद जोर से चिल्लाने लगी, “आप से मदद मांगना मेरी गलती थी. आप बेऔलाद हैं. आप ने कभी बेटे के प्यार का एहसास नहीं किया है. आप को क्या मालूम बेटे का प्यार क्या होता है. अब मैं क्या करूं, मेरा बच्चा…”
क्या कहा उस ने, मैं एक क्षण के लिए सन्न रह गई. ‘बेटे का प्यार क्या होता है, आप को कैसे पता?’
इसी औरत ने उस दिन जब मैं ने पैसे दिए थे, कहा था, ‘आप ही को बेटे का महत्त्व मालूम है.’ और आज जब मैं ने उस की मदद करने से इनकार कर दिया तो मेरे बेऔलाद होने पर ताना मार रही है. यह जीभ भी क्या अजीब चीज़ है – बिल्कुल बेशर्म – एक समय यह जीभ किसी की तारीफ करती है और दूसरे क्षण ही उसी आदमी की तौहीन भी करती है. जबान पर काबू रखना हर किसी के वश की बात नहीं. इसलिए लक्ष्मी की इन बातों से मुझ पर कोई असर नहीं हुआ. मुझे लगा कि अगर मैं ने अपने पति की बात सुन ली होती तो शायद ये बातें सुनने की नौबत न आती.
लक्ष्मी चिल्लाती रही, मैं ने मुड़ कर नहीं देखा.
शायद कल लक्ष्मी काम पे आएगी या न आएगी, यह मुझे नहीं पता मगर मैं ने यह फैसला कर लिया था कि अगर वह आ भी गई तो मैं उसे नौकरी से निकाल दूंगी.




