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बेरोजगारी का मकड़जाल

शिक्षा व्यक्ति के विकास का मार्ग प्रशस्त करती है लेकिन जब एक गै्रजुएट युवक को चपरासी की नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़े तो इसे आप क्या कहेंगे? बेरोजगारी का दानव दिनप्रतिदिन हताश हो रहे शिक्षित युवावर्ग को लील रहा है. डिग्री प्राप्त बेरोजगार युवकों की जो तसवीर आज हमारे सामने है वह निसंदेह रोंगटे खड़े करने वाली है.

आज समस्त शिक्षा प्रणाली सवालों के कटघरे में खड़ी है. सुरक्षित कैरियर के लिए संघर्षरत युवक की मानसिक स्थिति का अंदाजा लगा कर देखिए, जब स्नातक या उस से आगे की डिग्री लेने के बाद उसे चपरासी की नौकरी पाने के लिए भी दरदर भटकना पड़ रहा हो. बेरोजगारों की दिनोदिन लंबी होती कतार कहीं न कहीं संदेह पैदा करती है कि आखिर पढ़लिख कर क्या मिला?

भारत को विश्व के समक्ष आर्थिक महाशक्ति के रूप में अघाने वाले नेताओं की तंद्रा भंग होनी चाहिए और उन्हें सचाई का पता चलना चाहिए. 21वीं शताब्दी को युवाओं की शताब्दी का खोखला नारा कब तक लुभा पाएगा, इस में संदेह है. यदि हम सरकारी आंकड़ों को सच मानें और वस्तुस्थिति की गंभीरता का वास्तविकता के परिप्रेक्ष्य में आकलन करें तो सचाई सामने आ जाएगी. ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय में 368  चपरासी के रिक्त पदों को भरने के लिए प्राप्त आवेदनों की संख्या देख कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इन पदों को भरने के लिए 23 लाख अर्जियां आईं, यानी एक पद के लिए 6 हजार आवेदन, यह आंकड़ा भविष्य के खतरे की ओर इशारा कर रहा है. किसी विकासशील देश के लिए इस से अधिक शर्म की बात और क्या हो सकती है कि उच्च शिक्षा प्राप्त उस का युवावर्ग नौकरी के लिए दरदर भटके.

गौरतलब है कि वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते इंजीनियर और एमबीए डिग्रीधारकों को भी रोजगार नहीं मिल रहा. भारत के औद्योगिक क्षेत्रों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. 21-22 करोड़ की आबादी वाले देश के सब से बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मात्र चपरासी के पदों को भरने के लिए 23 लाख आवेदनपत्र प्राप्त हुए. गौरतलब है कि चपरासी पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 5वीं पास मांगी गई थी. इस के लिए आवेदनपत्र आए 53,226 लेकिन छठी पास आवेदकों की संख्या थी 20 लाख से अधिक. इतना ही नहीं साढ़े 7 लाख आवेदक इंटरमीडिएट पास थे और 1 लाख 52 हजार आवेदक उच्चशिक्षा प्राप्त थे. हद तो तब हो गई, जब चपरासी के पद को भरने के लिए प्राप्त आवेदनपत्रों में 255 आवेदक पीएचडी डिग्रीधारक निकले.

देखसुन कर यह हैरानी होती है कि शिक्षा के स्तर का इस कदर हृस हुआ है? बेरोजगारी का यह सच एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है. आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार की नौकरियों में स्थिति बद से बदतर हुई है. कर्मचारी चयन आयोग की 2013-14 की परीक्षाओं में आवेदन करने वालों की संख्या 1 करोड़ से अधिक दर्ज की गई थी. इन आवेदकों ने मात्र 6 परीक्षाओं में हिस्सा लेना था. निजी कंपनियों में मिलने वाले कम पैकेज और नौकरियों की अनिश्चितता के चलते हर कोई सरकारी नौकरी की तरफ भाग रहा है. लाखों पढ़ेलिखे युवक बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.

यदि शिक्षा वास्तव में ही गुणवत्तापूर्ण और रोजगारमूलक होती है तो उच्चशिक्षा प्राप्त अभ्यर्थी चौथी श्रेणी की छोटी नौकरी के लिए आवेदन नहीं करते. सो ऐसी स्थिति से सामना करने के लिए आवश्यक है कि शिक्षाप्रणाली में ही आमूलचूल परिवर्तन किया जाए. इसे रोजगारमूलक बनाने की आवश्यकता है. छठा वेतनमान लागू होने के बाद से सरकारी नौकरियों के प्रति आकर्षण कई गुना बढ़ गया है. इसी के चलते एक साधारण शिक्षक 30-40 हजार और महाविद्यालयों के प्राध्यापक एक सवा लाख वेतन पा रहे हैं. सेवानिवृत्त प्राध्यापक को घर बैठे 60-70 हजार रुपए तक पैंशन मिल जाती है जो केवल सरकारी नौकरी में ही संभव है.

भारत की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और भौगोलिक परिस्थितियों और विशाल जनसमुदाय की मानसिकता को ध्यान में रख कर यदि सार्थक शिक्षा के बारे में किसी ने सोचा था तो वे थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिन का कहना था, ‘बुद्धि की सच्ची शिक्षा हाथ, पैर, कान, नाक जैसे शरीर के अंगों के उचित अभ्यास और शिक्षण से ही हो सकती है.’ आज हम बुद्धि के एकांगी विकास की गिरफ्त में आ गए हैं. इस शिक्षा व्यवस्था की अपेक्षा रहती है कि वह ऐसे सरकारी संस्थागत ढांचे खड़े करती चली जाए, जिस के राष्ट्र और समाज के लिए हित क्या हैं, यह तो स्पष्ट न हो, लेकिन नौकरी और ऊंचे वेतनमान की गारंटी हो.

बहरहाल, हमारे नीतिनिर्धारकों को उस कड़वे सच को स्वीकारना चाहिए, जो उत्तर प्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों को ले कर उजागर हुआ, जिस ने समूची शिक्षा प्रणाली को संदेह के घेरे में ला खड़ा किया है. यक्ष प्रश्न बस यही है कि क्या हमारी शिक्षा हमें रोजीरोटी दे सकती है? इस प्रश्न का उत्तर हमें अपने अंदर ही ढूंढ़ना होगा.                              

 

पीएम को खत: दाल के इंतजार में

प्रधानमंत्रीजी, नमस्कार.

 

हमें पूरी उम्मीद है कि आप अपने विदेशी दौरों पर मस्तव्यस्त होंगे. हमें तो हमें, अब तो आप की पार्टी वालों को भी आप के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं. किसी खास मौके पर आप अपने घर में दिख गए तो दिख गए, वरना टैलीविजन पर ही कभी इस देश, तो कभी उस देश देख कर हम संतोष कर लेते हैं कि चलो जहां भी हैं, अपने प्रधानमंत्रीजी सेहतमंद हैं. मैं ने जितनी बार भी आप के बंगले की ओर देखा, बंद ही पाया. हां, वहां पर काम करने वाली हरदम आप के कपड़े प्रैस करती जरूर मिली. आप का पता ही नहीं चलता कि आप कब घर आए और कब विदेश हो लिए.

मैं अपने पति से तो कई बार यह निवेदन कर चुकी हूं, लेकिन उन्होंने तो अब मेरी बात सुनना ही बंद कर दिया है. वे कहते हैं, ‘अब अगर दाल की बात करोगी, तो खुदकुशी कर लूंगा. मैं बाजार से सबकुछ ला सकता हूं, पर तुम्हारी दाल नहीं.’ अब उन से बाजार से दाल लाने को कहते हुए भी मैं डरने लगी हूं. हमारा बेटा मुन्नू अगर दा… भी कहता है, तो उन को लगता है कि वह कहीं दा के बाद ल न कह दे, इसलिए उस के दा कहने के तुरंत बाद वे उस के मुंह पर हाथ रख देते हैं. कहीं वह दाल कहना ही न सीख पाया तो…? कहीं वे ऐसावैसा कुछ कर गए तो…? इसी डर से उन के आगे दा से शुरू होने वाले हम ने सारे शब्द ही कहनेसुनने बंद कर दिए हैं. न रहेगा दा और न बनेगी दा से दाल.

प्रधानमंत्रीजी, मेरे पास तो लेदे कर एक बस यही पति हैं. भला है, बुरा है, जैसा भी है, मेरा पति मेरा देवता है. शाम को दफ्तर से जब घर लौट कर आता है, तो ऊपर की कमाई के सौपचास ऊपए औरों से छिपाबचा कर चुपचाप मेरे हाथों पर वरदी बदलने से पहले ही रख देता है. बिना किसी झिझक के. ऐसा पति मुझे हर जनम में मिले. पर मेरी और सभी बहनों से दोनों हाथ जोड़ कर प्रार्थना है कि मेरे इस कथन को किसी धर्म से जोड़ कर न देखा जाए. केवल और केवल पतिपत्नी के संबंध से जोड़ कर ही देखा जाए.

प्रधानमंत्रीजी, आप जिस देश में भी हों, आप से दोनों हाथ जोड़ कर बस एक ही गुजारिश है कि आप अब के जब विदेश से स्वदेश के लिए कोई बड़ी डील ले कर आएं, तो प्लीज, विदेश से आते हुए 2 किलो साबुत मूंग, एक किलो साबुत उड़द, 2 किलो बिना छिलके वाली चने की दाल, 2 किलो अरहर, 2 किलो राजमा, 2 किलो लोबिया भी साथ ले कर आएं. और आप जब एयरपोर्ट पर उतरें, तो हमें फोन कर दें. मैं अपने पति को एयरपोर्ट पर आप से दालें लेने भेज दूंगी. आप की कसम, अब बिन दाल और नहीं रहा जाता. पहले कमर में ही दर्द रहता था, पर अब घुटनों में भी दर्द होने लग गया है.

याददाश्त तो अब धीरेधीरे मुझे धोखा देने ही लग गई है. पर सच मानें, अब तो हमारे घर में बच्चे भी दालों के रंग भूलने लग गए हैं. उन्हें कितना ही रटाओ कि मूंग हरे रंग की होती है, पर दूसरे दिन पूछो तो मूंग का रंग काला ही बताते हैं. उन्हें याद ही नहीं रहता कि चने भूरे रंग के होते हैं, तो धुली मसूर का रंग लाल होता है. याद तो तब रहे, जो उन्हें ये देखनी भी नसीब हों. उन को रटातेरटाते मर गई कि उड़द धुली सफेद रंग की होती है, तो अरहर पीले रंग की. पर पूछने पर सब गलत कर जाते हैं. कमबख्त दाल न हुई, हिसाब की किताब के मूलधन, दर, समय और ब्याज के मौखिक सवाल हो गए.

वाह, क्या जमाना था वह भी, जब कोई किताब न होने के बाद भी मेरी मां ने हमें रंगों की पहचान दालों से ही कराई थी. अब आप ही बताओ कि मैं अपने बच्चों को रंगों की जानकारी किस से दूं? इधर हरे रंग के जंगल बिल्डरों ने काट दिए, तो उधर उद्योगों के धुओं के चलते गांवशहर से लाललाल सूरज ही गायब है. ऊपर से मुए शिक्षा बोर्ड ने रहीसही कमी पूरी कर दी है. उस ने किताबें ऐसी छापी हैं कि काले हाथी का लाल चूहा बना दिया है, तो शेर किताबों में बिल्ली की तरह कालाफटा कोट पहने दुबका दिखता है, बाहर के कुत्ते के तलवे चाटता हुआ.

धुली मसूर का रंग किताब छापने वालों ने लाल की जगह काला कर दिया है. ऐसे में बच्चे दुविधा में हैं कि शिक्षा बोर्ड की किताबों पर यकीन करें कि अपने मांबाप पर? हे प्रधानमंत्रीजी, अच्छे दिनों की बाट जोहतेजोहते अब तो आंखों की जोत जाने लगी है. पर कलेजा तब कुछ ठंडा हो जाता है, जब आप अच्छे दिनों के प्रति अपने वचन को दोहराते हो. आप के इसी वचन के आसरे ही तो बिना दाल रोटी खाए जा रहे हैं, आप के गुण गाए जा रहे हैं.

दाल के इंतजार में आप के देश की आम गृहिणी.     

क्रिकेट और बौलीवुड का लव कनैक्शन

इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल के वजूद में आने से बहुत पहले से ही बौलीवुड व क्रिकेट जगत का कनैक्शन जुड़ चुका था. खासतौर पर क्रिकेटरों व बौलीवुड हसीनाओं के खट्टेमीठे प्रेम संबंधों के चलते कई प्रेम कहानियां शादी के बंधन में बंध गईं, तो कई अधूरी कहानियां अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सकीं. अपने वक्त की मशहूर व खूबसूरत हीरोइन शर्मिला टैगोर इस की एक मिसाल हैं, जिन्होंने अपने कैरियर की ऊंचाई पर आ कर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके नवाब मंसूर अली खान पटौदी से प्रेम विवाह कर लिया था.

‘टाइगर’ के नाम से मशहूर मंसूर अली खान पटौदी व शर्मिला टैगोर की जोड़ी बौलीवुड व क्रिकेट के मेल की उम्दा मिसाल है. 80 के दशक की मशहूर हीरोइन रीना राय और पाकिस्तानी बल्लेबाज मोहसिन खान की प्रेम कहानी भी खूब परवान चढ़ी, मगर इस का अंत दुखद रहा. ‘नागिन’, ‘कालीचरण’, ‘नसीब’ और ‘जानीदुश्मन’ जैसी हिट फिल्मों में काम करने वाली रीना राय ने अपने चमकदार फिल्म कैरियर पर साल 1983 में मोहसिन खान से शादी करने के बाद फुल स्टौप लगा दिया था. मोहसिन खान ने भी हिंदी फिल्मों में काम किया, मगर नाकाम रहे. शादी के बाद अनेक मनमुटावों के चलते इस शादी का अंत हो गया.

फिल्म हीरोइन संगीता बिजलानी व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके मोहम्मद अजहरुद्दीन की प्रेम कहानी भी बेहद चर्चित रही. संगीता बिजलानी ने साल 1980 में ‘मिस इंडिया’ का खिताब जीता था, इस के बाद उन्होंने फिल्मों में आने का फैसला किया. फिल्मों में उन्हें कोई खास कामयाबी तो नहीं मिली, मगर हीरो सलमान खान के साथ उन के प्रेम प्रसंग की हमेशा चर्चा रही. इस के बाद मोहम्मद अजहरुद्दीन से मुलाकात करने के बाद उन दोनों की नजदीकियां बढ़ती गईं. आखिरकार मोहम्मद अजहरुद्दीन ने अपनी पहली पत्नी से तलाक लेने के बाद संगीता बिजलानी से दूसरी शादी कर ली.

देशी तो क्या विदेशी क्रिकेटर भी भारतीय खूबसूरती से बच नहीं सके. वैस्टइंडीज टीम के दिग्गज आलराउंडर रह चुके कप्तान विवियन रिचर्ड्स भारतीय फिल्म कलाकार नीना गुप्ता के इश्क में गिरफ्तार हुए. नीना गुप्ता से मिलने से पहले ही विवियन रिचर्ड्स शादीशुदा थे. दोनों ने बिना किसी बंधन में बंधे एक गंभीर रिलेशनशिप को निभाया. हालांकि यह बेहद छोटी सी लव स्टोरी रही. नीना और रिचर्ड्स की एक बेटी भी है, जो अपनी मां के साथ रहती है. क्रिकेट से कमैंटेटर बने रवि शास्त्री और फिल्म हीरोइन अमृता सिंह का इश्क भी एक जमाने में क्रिकेट जगत में चर्चा की बात रहा था. रवि शास्त्री उस समय एक बेहद हैंडसम नौजवान थे और लड़कियां उन पर फिदा थीं. वहीं 80 के दशक में अमृता सिंह बौलीवुड में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही थीं. शारजाह में क्रिकेट मैच के दौरान स्टेडियम में बैठी अमृता सिंह व मैदान में मौजूद रवि शास्त्री की भावनाएं एकदूसरे पर न्योछावर रहती थीं, जिन्हें कई बार कैमरा भी कैद कर लेता था. यह कहानी भी लंबी नहीं चली और रवि शास्त्री ने ऋतु सिंह व अमृता सिंह ने ऐक्टर सैफ अली खान को अपना जीवनसाथी बना लिया.

साल 1992 में क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीतने वाली पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान इमरान खान और बौलीवुड की बला की खूबसूरत हसीना जीनत अमान के बीच प्यार की खबरें भी मीडिया व आम जनता में सुर्खियां बनी रहीं. क्रिकेटर संदीप पाटिल का नाम पूनम ढिल्लों व कपिल देव का नाम सारिका के साथ खूब जुड़ा, मगर यहां सिर्फ धुआं ही ज्यादा दिखा, आग को छिपाए रखा गया. वैस्टइंडीज टीम के बल्लेबाज सर गैरी सोबर्स ने हीरोइन अंजू महेंद्रू को दिल दिया था, जबकि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके सौरव गांगुली व हीरोइन नगमा का नाम भी लव बर्ड्स में शुमार हुआ. युवराज सिंह भी आशिकमिजाजी के लिए काफी मशहूर हैं. उन का नाम कई हीरोइनों के साथ जुड़ा रहा. उन्होंने हीरोइन किम शर्मा के साथ अपने

प्रेम संबंध और फिर अलगाव को स्वीकारा भी. बाद में ‘युवी’ का नाम दीपिका पादुकोण से ले कर मौडल करिश्मा कोटक के साथ भी जुड़ा, जिन्हें तमाम पार्टियों व दूसरी जगहों पर लोगों ने साथसाथ देखा था. अब सुनने में आया है कि युवराज सिंह बौलीवुड की नई हीरोइन हेजल कीच के साथ शादी करने जा रहे हैं. तेज गेंदबाज जहीर खान भी इस मामले में पीछे नहीं रहे. वे कभी फिल्म ‘किसना’ की हीरोइन ईशा शेरवानी के प्रेम में डूबे थे और लंबी प्रेम कहानी के बाद दोनों अलग हो गए. हरभजन सिंह और गीता बसरा के बीच भी प्रेम संबंध रहे और हाल ही में उन्होंने शादी भी कर ली. अब क्रिकेटर विराट कोहली और हीरोइन अनुष्का शर्मा का लव कनैक्शन होने की सुर्खियां भी काफी चर्चा में हैं. 

शहाबुद्दीन: उम्रकैद काटेगा गुनाहों का बाहुबली

‘साहेब’ के नाम से मशहूर बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को कोर्ट के ताजा फैसले में साल 2004 के सिवान, बिहार तेजाब कांड में मुजरिम करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने यह माना है कि मोहम्मद शहाबुद्दीन ने जेल से बाहर आ कर इस हत्याकांड की साजिश रची थी. गौरतलब है कि तकरीबन 11 साल पहले सिवान के यादव मार्केट में रहने वाले कारोबारी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के 2 बेटों का अपहरण कर लिया गया था और 2 लाख रुपए की फिरौती की मांग की गई थी. फिरौती नहीं देने पर उन दोनों की तेजाब से नहला कर हत्या कर दी गई थी.

16 अगस्त, 2004 को मोहम्मद शहाबुद्दीन के इशारे पर उन के गुरगों ने 24 साला गिरीश कुमार उर्फ निक्कु और 18 साला सतीश कुमार उर्फ सोनू को अलगअलग जगहों से अगवा कर लिया था और फिरौती नहीं मिलने पर हुसैनगंज थाने के प्रतापपुर गांव में मार डाला था. इस मामले में मारे गए दोनों भाइयों की मां कलावती देवी के बयान पर आईपीसी की धारा 341, 323, 380, 435, 364/34 के तहत मुफस्सिल थाने में कांड संख्या 131/2004 दर्ज कराया गया था, जिस में राजकुमार साह, शेख असलम, मोनू मियां उर्फ सोनू उर्फ आरिफ हुसैन को नामजद किया गया था.

इस मामले की जांच के दौरान तब के राजद सांसद रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन पर हत्या की साजिश रचने का खुलासा हुआ था. इस मुकदमे में स्पैशल कोर्ट ने 4 जून, 2010 को आईपीसी की धारा 120 (बी) और 364 (ए) में साजिश रचने व अपहरण का आरोपी बनाया था. बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर 1 मई, 2014 को आईपीसी की धारा 302, 201 व 120 (बी) के तहत आरोपी बनाया गया. इस सुनवाई के दौरान दोनों मारे गए लड़कों के भाई और घटना के चश्मदीद गवाह राजीव रोशन की भी 16 जून, 2014 को हत्या कर दी गई थी. इस मामले में मोहम्मद शहाबुद्दीन और उन के बेटे ओसामा पर भी आरोप लगा था.

इस समूचे मामले की शुरुआत सिवान के गोशाला रोड में चंदा बाबू के मकान के बाहरी हिस्से को ले कर झगड़े से हुई थी. उन की जमीन पर दबंग लोगों की नजरें गड़ी हुई थीं. 16 अगस्त, 2004 की सुबह जमीन को ले कर पंचायत हो रही थी कि उसी समय कुछ लोग आ धमके और जमीन पर कब्जा करने लगे. कुछ बदमाशों ने गालीगलौज करते हुए मारपीट शुरू कर दी, तो चंदा बाबू और उन के घर वालों ने घर में रखे तेजाब को बदमाशों पर फेंक कर उन्हें भागने के लिए मजबूर कर दिया.

इस के कुछ देर बाद ही चंदा बाबू की बड़हडि़या रोड पर बनी दुकान से उन के बड़े बेटे गिरीश कुमार का अपहरण कर लिया गया था. उस के कुछ देर बाद ही चिउड़ा हट्टा बाजार से छोटे बेटे सतीश कुमार को भी उठा लिया गया था. इस वारदात के 7 साल बाद तेजाब हत्याकांड के चश्मदीद गवाह के रूप में गिरीश और सतीश का बड़ा भाई राजीव रोशन सामने आया. उस ने 6 जून, 2011 को अपने बयान में कहा कि उस के दोनों भाइयों के साथ उस का भी अपहरण किया गया था. बाद में तीनों भाइयों को मोहम्मद शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर ले जाया गया, जहां उस की आंखों के सामने मोहम्मद शहाबुद्दीन के कहने पर गिरीश और सतीश को तेजाब से नहला कर मार डाला गया. इसी बीच वह वहां से भागने में कामयाब रहा था.

राजीव की गवाही पर कई सवाल खड़े हुए थे और तब के सिवान कोर्ट के स्पैशल सैशन जज एके पांडे की अदालत ने सुनवाई के दौरान मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ मामला चलाने से इनकार कर दिया था. पटना हाईकोर्ट के आदेश पर मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ सुनवाई शुरू हो सकी थी. उस के बाद राजीव ने कोर्ट को बताया था कि दोनों भाइयों की हत्या होने के बाद वह जान बचाने के लिए गोरखपुर भाग गया था और वहीं छिप कर रहने लगा था. मोहम्मद शहाबुद्दीन के जेल जाने और बिहार में सरकार बदलने के बाद राजीव वापस लौटा और उस ने गवाही देने की हिम्मत जुटाई.

पटना हाईकोर्ट ने 1 मई, 2014 को मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ आरोप बनाने का आदेश दिया और 16 जून, 2014 को राजीव की सिवान में गोली मार कर हत्या कर दी गई. चंदा बाबू की पत्नी कलावती कहती हैं कि शहाबुद्दीन को सजा सुनाए जाने के बाद उन के लिए खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. उन के तीनों बेटों की हत्या कर दी गई है और अब उन की और उन के पति की भी हत्या हो सकती है. मोहम्मद शहाबुद्दीन को सजा सुनाए जाने पर उन की पत्नी हेना शहाब कहती हैं कि उन के शौहर को साजिश के तहत फंसाया गया है. तेजाब कांड 2004 में हुआ था और साल 2009 में पूर्व सांसद को भी आरोपी बना दिया गया.

विरोधी लोग कह रहे हैं कि जेल से बाहर निकल कर मोहम्मद शहाबुद्दीन ने तेजाब कांड को अंजाम दिया था, तो फिर इस मामले में उस समय के सिवान जेल के जेलर पर भी कार्यवाही होनी चाहिए. 10 मई, 1967 को सिवान जिले के हुसैनगंज ब्लौक के प्रतापपुर गांव में जनमे मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कालेज में पढ़ाई के दौरान ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था. साल 1986 में हुसैनगंज थाने में उन पर पहला केस दर्ज हुआ था. साल 1990 में सिवान के डीएवी कालेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद मोहम्मद शहाबुद्दीन राजनीति में उतरे और वामपंथियों से टक्कर लेते रहे.

साल 1990 में जीरादेई विधानसभा सीट से पहली बार निर्दलीय विधायक बनने के बाद वे लालू प्रसाद यादव की पार्टी में शामिल हो गए. साल 1995 में उन्होंने दोबारा जीरादेई सीट से विधानसभा का चुनाव जीता. साल 1996 में जनता दल के टिकट पर सिवान लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर वे संसद पहुंच गए. 15 मार्च, 2001 को जब राजद के पूर्व जिला अध्यक्ष मनोज कुमार को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम दारोगा राय कालेज पहुंची थी, तब मोहम्मद शहाबुद्दीन ने पुलिस अफसर संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था और उन के गुरगों ने दूसरे पुलिस वालों की भी जम कर पिटाई कर?डाली थी.

इस के बाद मोहम्मद शहाबुद्दीन को पकड़ने के लिए जब उस समय सिवान के एसपी रहे बच्चू सिंह मीणा की अगुआई में पुलिस ने उन के प्रतापपुर गांव वाले घर पर छापा मारा, तो पुलिस और मोहम्मद शहाबुद्दीन के समर्थकों के बीच तकरीबन 4 घंटे तक गोलीबारी हुई थी, जिस में 8 बेकुसूर गांव वाले ही मारे गए थे और पुलिस को खाली हाथ  लौटना पड़ा था. सियासी हलकों में उस समय यह चर्चा गरम रही थी कि लालू प्रसाद यादव ने मोहम्मद शहाबुद्दीन की आकौत बताने के लिए यह छापा मरवाया था. मोहम्मद शहाबुद्दीन उस समय तो पुलिस को झांसा दे कर भाग निकले थे, पर उन्होंने एसपी बच्चू सिंह मीणा को धमकी दी थी कि वे उन्हें राजस्थान तक खदेड़ के मारेंगे.

साल 2013 में जब डीपी ओझा बिहार के डीजीपी बने, तो उन्होंने मोहम्मद शहाबुद्दीन पर कानूनी शिकंजा कसना शुरू कर दिया था. उन्होंने मोहम्मद शहाबुद्दीन के पुराने मामलों को दोबारा खोल कर उन के खिलाफ सुबूत जुटाए. माले कार्यकर्ता मुन्ना चौधरी के अपहरण और हत्या के मामले में मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ वारंट जारी हुआ और अदालत में उन को आत्मसमर्पण करना पड़ा. इस से राज्य में सियासी बवाल मच गया था और राजद को अपने मुसलिम वोटों के खिसकने का खतरा महसूस होने लगा था.

मोहम्मद शहाबुद्दीन की मुसलिम वोटरों पर खासी पकड़ थी. नतीजतन, तब की राबड़ी देवी सरकार ने डीजीपी डीपी ओझा को हटा दिया था. साल 2005 में राष्ट्रपति शासन के दौरान सिवान के एसपी संजय रत्न ने 24 अप्रैल, 2005 को मोहम्मद शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर में छापा मारा और भारी तादाद में हथियार, गोलाबारूद, चोरी की गाडि़यां और विदेशी मुद्राएं पकड़ी थीं. लंबे समय तक फरार रहने के बाद 6 नवंबर, 2005 को पुलिस ने मोहम्मद शहाबुद्दीन को दिल्ली में उन के घर पर दबोच लिया था. उस के बाद से आज तक वे जेल में बंद हैं.               

विराट सेलफिश नहीं, शानदार खिलाड़ी हैं: मैक्सवेल

ऑस्ट्रेलिया के आक्रामक बल्लेबाज ग्लेन मैक्सवेल ने उन रिपोर्ट्स को खारिज किया कि उन्होंने विराट कोहली की आलोचना की थी. मैक्सवेल ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है और ऑस्ट्रेलियाई टीम असल में भारतीय टेस्ट कप्तान से काफी प्रभावित है.

दाएं टखने में चोट और बाएं पैर की मांसपेशियों में सूजन के कारण मैक्सवेल का पांचवें और अंतिम वनडे मैच में नहीं खेल रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए रिपोर्ट को लेकर सफाई दी.

मैक्सवेल ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'बात को गलत तरीके से पेश किया गया. मैंने भी उसे (कोहली को) बधाई दी थी कि वह कितना अच्छा खेला और अपनी टीम को जीत की स्थिति में ले गया.'

मैक्सवेल ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से भी बात करके कोहली को लेकर अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण दिया. इस आक्रामक बल्लेबाज ने कहा, 'मुझे यह आकलन करने को कहा गया था कि मौजूदा सीरीज में बल्ले से कौन दबदबा बना रहा है और मैंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि फिलहाल दुनिया में विराट से बेहतर गेंद को कोई हिट कर रहा है.'

उन्होंने कहा, 'वह मैदान पर जो कर सकता है उससे हमारे में से कई प्रभावित हैं और कैनबरा में वह जिस तरह मैच को हमारे से दूर ले जा रहा था उसे रोकना काफी हद तक संभव नहीं था.'

मैक्सवेल ने कहा, 'लेकिन मैंने देखा कि इसे ऐसे लिखा गया जैसे मैं निजी तौर पर खेल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक के खेलने के तरीके पर निशाना साध रहा हूं जो पूरी तरह से गलत है.'

…और ऐसे टीम इंडिया बन जाएगी नंबर-1 टी-20 टीम

टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज तो गंवा चुकी है लेकिन टी-20 सीरीज में उसके पास इस हार का बदला लेने का मौका जरूर होगा. टीम इंडिया 26 जनवरी से शुरू तीन मैचों की टी-20 सीरीज में अगर क्लीन स्वीप कर लेती है तो वो टी-20 की नंबर-1 टीम बन जाएगी.

टीम इंडिया अगर तीनों मैच जीतती है तो उसके मौजूदा 110 प्वॉइंट के बजाय 120 प्वॉइंट हो जाएंगे और वह रैंकिंग में टॉप पर पहुंच जाएगी. ऑस्ट्रेलिया के ऐसी स्थिति में 118 के बजाय 110 प्वॉइंट रह जाएंगे और वह आठवें स्थान पर खिसक जाएगा.

अगर भारत 2-1 से जीत दर्ज करता है तो ऑस्ट्रेलिया छठे नंबर पर खिसक जाएगा और भारत सातवें नंबर पर रहेगा. भारत अभी आठवें नंबर पर है जबकि ऑस्ट्रेलिया दूसरे नंबर पर है. वेस्टइंडीज और श्रीलंका के भी ऑस्ट्रेलिया के बराबर 118 प्वॉइंट हैं लेकिन कैरेबियाई टीम दशमलव की गणना में पहले और श्रीलंका तीसरे स्थान पर है.

दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया को टॉप पर पहुंचने के लिए केवल सीरीज में जीत की दरकार है. अगर ऑस्ट्रेलिया 2-1 से जीत दर्ज करता है तो उसके 120 प्वॉइंट हो जाएंगे जबकि 3-0 से जीत से ऑस्ट्रेलिया के 124 और भारत के 103 प्वॉइंट रह जाएंगे.

भारत अगर हारता है तब भी आठवें नंबर पर बने रहेगा क्योंकि नौवें नंबर की टीम अफगानिस्तान के 80 प्वॉइंट हैं. इस बीच न्यूजीलैंड दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान को पीछे छोड़कर पांचवें स्थान पर पहुंच गया है. पाकिस्तान के खिलाफ 2-1 की जीत से न्यूजीलैंड को दो प्वॉइंट मिले जबकि पाकिस्तान को एक प्वॉइंट का नुकसान हुआ.

इसके उलट बांग्लादेश स्कॉटलैंड से पीछे 11वें स्थान पर खिसक गया है. उसने जिम्बाब्वे के खिलाफ सीरीज 2-2 से बराबर कराईइ थी. जिम्बाब्वे को चार प्वॉइंट मिले और वह 14वें स्थान पर बना हुआ है. टॉप पर काबिज वेस्टइंडीज और आठवें नंबर के भारत के बीच केवल आठ प्वॉइंट्स का अंतर है और ऐसे में मार्च-अप्रैल में होने वाली आईसीसी टी-20 चैंपियनशिप में कोई भी टॉप पर काबिज टीम चैंपियन बन सकती है.

आईसीसी टी-20 खिलाड़ियों की रैंकिंग में विराट कोहली टॉप 10 में शामिल अकेले बल्लेबाज हैं. वह ऑस्ट्रेलिया के एरोन फिंच (854 प्वॉइंट) के बाद दूसरे स्थान पर हैं. कोहली के 845 प्वॉइंट हैं. आर अश्विन ने भी 681 प्वॉइंट के साथ गेंदबाजों की लिस्ट में अपना दूसरा स्थान बनाए रखा है. वेस्टइंडीज के सैमुअल बद्री (751 प्वॉइंट) टॉप पर काबिज हैं.

भारतीय कप्तान के रूप में धोनी के दिन खत्म: चैपल

आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल का मानना है कि महेंद्र सिंह धोनी भारत की सीमित ओवरों के कप्तान के रूप में जरूरत से ज्यादा समय तक बने रह गये हैं और इसका भारतीय टीम पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है.

चैपल ने कहा है, कप्तानों का प्रभाव कुछ निश्चित समय तक होता है जिसके बाद टीम के प्रदर्शन पर उनका प्रभाव खत्म हो जाता है और और उनकी उपस्थिति से टीम को नुकसान पहुंचता है. महेंद्र सिंह धोनी इस स्थिति में कुछ समय पहले पहुंच गये थे. वर्तमान भारतीय टीम को नये विचारों और उत्साह की सख्त जरूरत है. जब विरोधी टीम चार वनडे पारियों में लगभग 1300 रन बना रही हो तो इसके लिये केवल सपाट पिचों और लचर गेंदबाजी को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.

उन्होंने कहा, मनुका ओवल में जहां उन्होंने रविंद्र जडेजा को मिशेल मार्श पर हावी होने के लिये कहा, तो उसे छोड़कर धोनी अपने गेंदबाजों को खास प्रेरित नहीं कर पाये. यह सही है कि वे अच्छी गेंदबाजी नहीं कर पाये लेकिन गेंदबाज क्षेत्ररक्षण की सजावट से भी प्रेरित नहीं थे.

चैपल का मानना है कि भारत के टेस्ट कप्तान विराट कोहली टीम में नया जोश ला सकते हैं जैसा कि वह लंबी अवधि के प्रारूप में साबित कर चुके हैं. उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि भारत के पास विकल्प नहीं है. विराट कोहली ने खुद को आक्रामक कप्तान साबित कर दिया है और वह बल्लेबाजी में भी शानदार फार्म में है.

चैपल ने कहा, जब धोनी ने शुरूआत की थी तो वह सभी प्रारूपों में बेहद चतुर कप्तान थे और उन्हें खूब सफलताएं मिली. लेकिन जब कोई कप्तान अपने समय से अधिक पद पर बना रहता है तो उसका टीम पर गलत प्रभाव पड़ता है.

तो क्या सलमान-कैटरीना एक साथ मनाएंगे वेलेंटाइन डे

काफी दिनों से रणबीर और कैटरीना के ब्रेकअप की ख़बरें मीडिया की सुर्ख़ियों में बनी हुई थी. जहां एक ओर रणबीर कैटरीना के अलग होने की ख़बरें आ रही थी वहीं दूसरी ओर कैटरीना और उनके एक्स बॉयफ्रेंड सलमान खान को एक बार फिर से साथ देखे जाने की ख़बरें आ रही थी.

सलमान खान बिग बॉस 9 को होस्ट कर रहे हैं. कैटरीना कैफ अपनी आगामी फिल्म 'फितूर' के प्रमोशन के लिए बिग बॉस के फिनाले में पहुंची थी. कैटरीना अभिषेक कपूर की आगामी फिल्म 'फितूर' में आदित्य कपूर के साथ अहम किरदार में नजर आएंगी. कश्मीर घाटी की लव स्टोरी और प्यार को पाने के लिए एक युवा के फितूर को इसमें दिखाया गया है.

कैटरीना आदित्य कपूर और अभिषेक कपूर के साथ 'फितूर' के प्रमोशन के लिए बिग बॉस में पहुंची थी. सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा था कि सलमान शो के दौरान रणबीर और कैटरीना के ब्रेकअप पर सवाल जरूर करेंगे लेकिन सलमान ने ऐसा नहीं किया. जबकि चालाक सलमान अपनी एक्स गर्लफ्रेंड कैटरीना कैफ से उनके वैलेंटाइन डे के प्लान के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे थे.

दरसअल बात ये हैं की फितूर 12 फरवरी को रिलीज हो रहीं हैं जिस बात पर सलमान ने शो के दौरान कमेंट किया की मेरा कोई वैलेंटाइन डे पर प्लान नहीं है तो मैं तो फिल्म देखने जरूर जाऊंगा,उन्ही के साथ खड़ी तब्बू ने इस बात पर चुटकी लेते हुए कहा की मेरा भी वैलेंटाइन पर कोई प्लान नहीं है. उसके बाद लाइन में आदित्य कपूर खड़े थे जिन्होंने कहा मेरा कुछ पक्का नहीं है हो भी सकता यहां उनका इशारा श्रद्धा कपूर की तरफ था हम सभी इसी बात को जानते हैं.

इसके बाद कैटरीना कैफ जब तक की कुछ रणबीर के साथ वैलेंटाइन प्लान के बारे में बताती उनके एक्स बॉयफ्रेंड सलमान खान ने जलन के मारे टॉपिक ही बदल दिया. सलमान ने फैंस को 12 फ़रवरी को फिल्म देखने के लिए अपील की.

अब इस मॉडल के साथ डेट कर रहे हैं राहुल महाजन

बिग बॉस और फिर अपने स्वयंवर के जरिए चर्चा में आए राहुल महाजन को अब नई हमसफर मिल गई है. डिम्पी महाजन को तलाक देने के बाद एक साल से तन्हा जिंदगी गुजार रहे राहुल इन दिनों एक मॉडल के साथ क्वालिटी टाइम बिता रहे हैं.

खबरों की मानें तो अमृता नाम की एक मॉडल और एक्ट्रेस के संग डेटिंग कर रहे हैं. गौरतलब है कि राहुल ने एक साल पहले डिम्पी महाजन से तलाक ले लिया था और डिम्पी ने भी एक बिजनेसमैन से शादी कर नई जिंदगी की शुरुआत कर ली थी. 

टीवी शो स्वयंवर से अपनी अलग पहचान बनाने वाले राहुल महाजन ने बीते साल पत्नी डिम्पी महाजन से तलाक लिया है. इसके बाद डिम्पी ने भी दुबई के एक बिजनेसमैन से शादी कर अपने नए सफर की शुरुआत कर दी थी.

अब खबरे सामने आ रही हैं कि राहुल इन दिनों मॉडल और एक्ट्रेस अमृता माने को डेट कर रहे हैं. राहुल इससे पहले भी दो शादियां कर चुके हैं. हालांकि उनकी दोनों शादियां कामयाब नहीं रहीं. अगर अब राहुल अमृता से शादी करते है,  तो उनकी यह तीसरी शादी होगी. खबरों के अनुसार राहुल-अमृता की मुलाकात केरल में एक शूटिंग के दौरान हुई. जहां वह एक हिन्दी-तमिल फिल्म में काम कर रहे हैं. सेट पर दोनों दोस्त बने.

जिसके बाद से दोनों ने एक दूसरे को डेट करना शुरु कर दिया. राहुल टीवी के बहुत सारे रियलटी शो में भाग भी ले चुके हैं. राहुल हमेशा से ही अपने रिलेशनशिप को लेकर चर्चा में रहे है. राहुल अपने बेबाक अंदाज से भी सुर्खियां बटोरते रहते हैं.

मांझी के लिए अवार्ड न मिलने पर नवाजुद्दीन को मलाल नहीं

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म 'मांझी' और 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' में शानदार अभिनय के बावजूद अवार्ड न मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है. नवाजुद्दीन का कहना है कि ''व्यावसायिक अवार्ड शो में उनकी फिल्म को अगर अवार्ड नहीं मिलता तो उससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता.''

अधिकतर अवॉर्ड शो के दौरान 'बजरंगी भाईजान', 'पीकू' और 'बाजीराव मस्तानी' जैसी फिल्मों को सराहा गया. नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म 'मांझी' में दशरथ मांझी का किरदार निभाया था. इस फिल्म में दशरथ मांझी अपने गांव को सड़क तक मिलाने के लिए अकेले पूरा पहाड़ काटता है. इस फिल्म ने दर्शकों के दिल को जीत लिया था. हालांकि अवार्ड्स के मामले में मांझी कमाल नहीं कर पाई. मांझी को एक भी अवार्ड न मिलने पर नवाजुद्दीन बहुत नाराज हैं. नवाजुद्दीन सिद्दीकी हाल ही में 22nd Lions Gold Awards में नजर आए, वहां उनसे पूछा गया कि क्या आपको इस बात का कोई दुःख नहीं है?

इसपर बहुत प्यार से जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि  ''व्यावसायिक अवार्ड शो में उनकी फिल्म को अगर अवार्ड नहीं मिलता तो उससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता. जिसको अवार्ड मिलता है वह खुश होता है जिसको नहीं मिलता है वह उदास हो जाता है. यही दुनिया की रीत है.'' जिस अवार्ड फंक्शन में नवाजुद्दीन पहुंचे थे उन्होंने उस अवार्ड फंक्शन के बारे में कहा कि ये फंक्शन मेरे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां सिर्फ उन लोगों को फिल्मों को चुना गया है, जिन्होंने वास्तव में अपने अभिनय से लोगों का दिल जीता है और मैं इस बात से बहुत खुश हूं.

 Lions Gold Awards के सिवा मुझे और किसी भी अवार्ड फंक्शन में मेरी फिल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' के लिए अवार्ड से नहीं नवाजा गया. मेने उस फिल्म में फैजल खान का जो किरदार निभाया वह बहुत प्रतिष्ठित किरदार हैं. अब मुझे मेरी फिल्म मांझी के लिए Lions Gold Awards में  अवार्ड दिया जा रहा है जो किसी भी और अवार्ड शो में नहीं मिला.

केतन मेहता का कहना है कि फिल्म व्यापारिक लिहाज से ज्यादा कमाई नहीं कर पाई, लेकिन नवाजुद्दीन और राधिका के अभिनय ने लोगों को फिल्म देखने पर मजबूर कर दिया था. आखिर में नवाजुद्दीन ने कहा मुझे नाम और शोहरत से कोई फर्क नहीं पड़ता में बस एक अच्छा अभिनेता बनना चाहता हूं.

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