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इन अजब गांवों के गजब हैं कायदे, आप भी जानिए

भारत अपनी संस्कृति, कला, आर्किटैक्ट, खानपान और बोलचाल की वजह से विश्व के मानचित्र पर एक अनोखी पहचान रखता है. यहां के प्रत्येक शहर और गांव की अपनी एक अलग विशेषता है. जहां एक तरफ देश के कई शहर अपनी आधुनिकता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाने जाते हैं, वहीं देश में मौजूद कुछ गांव अपनी भौगोलिक, राजनीतिक और पारंपरिक वजहों से प्रसिद्ध हैं.

हाल ही की बात है, भारतपाक बौर्डर पर स्थित ‘मुहार जमशेर’ नाम के गांव के लोग देश की आजादी के 69 वर्षों बाद भी 21 वर्षों से गुलामी का जीवन जी रहे थे. दरअसल, बौर्डर से लगभग 500 मीटर दूर होने पर भारत सरकार, सीमा सुरक्षाबल और होम मिनिस्ट्री को गांव के रास्ते पड़ोसी देश पाकिस्तान से आतंकियों के घुसने का डर रहता था, जिस के चलते गांव को 3 ओर से कंटीले तारों से बंद कर दिया गया था. इतना ही नहीं, गांव में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर से अपने खेत तक जानेआने के लिए रोजाना तलाशी की प्रक्रिया से गुजरना होता  था. लेकिन बीते दिनों सरकार ने तलाशी की इस प्रक्रिया को बंद कर दिया है. अब गांव में रहने वाले लोग खुद को देश में रहने वाले अन्य नागरिकों जैसा समझ पा रहे हैं और आजादी महसूस कर पा रहे हैं.

वैसे, इस गांव की ही तरह भारत में ऐसे कई गांव हैं, जो अनोखी प्रथा या अन्य कारणों से मशहूर हैं. आइए, हम आप को ऐसे ही कुछ गांवों के बारे में बताते हैं:

यहां मुफ्त मिलता है दूध

गुजरात के कच्छ जिले में बसा धोकड़ा एक ऐसा गांव है, जहां लोगों को रोजाना दूध मुफ्त में मिलता है. दरअसल, इस गांव में जिन के पास गायभैंस हैं, वे उन लोगों को मुफ्त में दूध देते हैं जिन के पास गायभैंस नहीं होती. इस तरह इस गांव में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को दूध की कमी नहीं होती.

संस्कृत बोलते हैं यहां के लोग

संस्कृत भारत की प्राचीन भाषा है. लेकिन अब यह भाषा सिर्फ स्कूलकौलेज की किताबों तक ही सीमित रह गई है. आम बोलचाल के लिए लोग हिंदी, अपनी क्षेत्रीय भाषा और अंगरेजी का ही प्रयोग करते हैं. लेकिन कर्नाटक के मुत्तुरु गांव में संस्कृत को ही मातृभाषा माना जाता है. यहां के लोग आज भी सिर्फ संस्कृत में बात करते हैं. गांव में सार्वजनिक स्थलों पर लगे बोर्ड पर भी संस्कृत ही लिखी रहती है.

इस गांव की कमाई है 1 अरब रुपए

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद के जोया विकास खंड क्षेत्र का एक छोटा सा गांव सलारपुर हर साल 1 अरब रुपए कमाता है. कारण है टमाटर. जी हां, गांव में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती की जाती है और शायद ही भारत का कोई ऐसा शहर या गांव होगा जहां सलारपुर के टमाटर न बिकते हों. आंकड़ों पर विश्वास किया जाए तो यहां 5 माह में बिकने वाले टमाटरों से 60 करोड़ रुपए का कारोबार होता है.

जहां हर ओर दिखते हैं हमशक्ल

केरल के मलप्पुरम जिले में स्थित कोडिन्ही गांव को जुड़वों का गांव कहा जाता है. आंकड़े बताते हैं कि यहां 350 जुड़वा भाईबहन रहते हैं. मजे की बात तो यह है कि यहां नवजात से ले कर 80 साल के बुजुर्गों के भी जुड़वे हैं. विश्व स्तर पर कोडिन्ही को दूसरे नंबर पर सब से अधिक जुड़वे जोड़े पैदा होने वाले स्थान का खिताब प्राप्त है, जबकि नाइजीरिया के इग्बोओरा को प्रथम स्थान दिया गया है. कोडिन्ही में हर 1000 बच्चों में से 45 बच्चे जुड़वां पैदा होते हैं और गांव में हर जगह हमशक्ल दिखते रहते हैं.

हाथ लगाना मना है

हम जब किसी संग्रहालय जाते हैं, तो वहां जगहजगह लिखा रहता है कि ‘किसी भी वस्तु को हाथ लगाने पर जुर्माना देना पड़ सकता है’ कुछ ऐसा ही आप को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले स्थित मलाणा गांव में भी देखने को मिलेगा. यह गांव बड़ा ही विचित्र है. यहां भारतीय कानून नहीं चलता बल्कि यहां के अपने कायदे कानून हैं. सब से खास बात है कि यहां के लोग खुद को सिकंदर के सैनिकों का वंशज मानते हैं और गांव से बाहर के किसी भी व्यक्ति को खुद को और गांव के किसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाने देते हैं.

गांव में हर साल कई पर्यटक आते हैं, लेकिन उन के रुकने की व्यवस्था गांव के बाहर की जाती है. यदि किसी पर्यटक ने यहां आ कर किसी वस्तु को हाथ लगा लिया तो उसे 1000 रुपए या उस से भी अधिक जुर्माना भरना पड़ जाता है. गांव में जगहजगह नोटिस लगे हुए हैं, जिस में साफसाफ लिखा है, ‘‘यहां किसी भी वस्तु को हाथ लगाना मना है.’’

द सैटेनिक सैक्स

बुकर और नोबेल पुरस्कार विजेता मशहूर उपन्यासकार सलमान रुशदी की सैक्स की अपनी अलग भाषाशैली थी. उन की कुल 4 पत्नियों में से एक पूर्व पत्नी पद्मा लक्ष्मी की मानें तो सैक्स करने से इनकार करने पर सलमान बौखला जाते थे और अपशब्दों का प्रयोग करने लगते थे. अपनी आत्मकथा में पूर्व पति के सैक्स बरताव का खुलासा करते लक्ष्मी ने यह भी कहा है कि सलमान उन्हें बैड इन्वैस्टमैंट यानी घाटे का निवेश कह कर भी ताना देते थे. कुल जमा, वे एक कू्रर और संवेदनहीन पति थे. पति से उम्र में 21 साल छोटी लक्ष्मी के इन खुलासों से किसी को खास हैरानी नहीं हुई. उलटे, उसे उन की भड़ास माना गया. तलाक के बाद पूर्व पति के व्यवहार को उजागर करने का हक किसी पत्नी से छीना नहीं जा सकता लेकिन सैक्स निहायत ही व्यक्तिगत मामला है जिसे सार्वजनिक करने की लक्ष्मी की मंशा नेक तो कतई नहीं कही जा सकती. वे अपनी आत्मकथा को हिट कराने के लिए तो ऐसा नहीं कर रहीं. 

अम्मा चली भुनाने

देशद्रोह के कथित आरोपी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संगठन यानी जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के सिर पर 11 लाख रुपए का इनाम रखने वाले आदर्श शर्मा को जब पुलिस ने गिरफ्तार किया तो पता चला कि उस के बैंक खाते में केवल 150 रुपए ही हैं और वह दिल्ली के रोहिणी इलाके में किराए के मकान में रहता है और मूलतया कन्हैया के जिले बेगूसराय का ही है. किसी को जान से मारने के लिए उस के सिर पर इनाम रखने का रिवाज लोकतंत्र और कानून के खिलाफ है. लगता ऐसा है कि आदर्श को कन्हैया के जातिगत भेदभाव, छुआछूत और पंडावाद के खिलाफ अपनाए गए तेवर पसंद नहीं आए, लिहाजा उस ने बगैर अपनी आर्थिक स्थिति टटोले भारीभरकम इनामी राशि का ऐलान कर डाला. अब देखा यह जाना चाहिए कि कहीं यह राशि उसे कोई और तो स्पौंसर नहीं कर रहा था.

पप्पू की क्रांति

बिहार में अब सब तकरीबन खामोश हैं क्योंकि बोलने से अब कुछ हासिल होने वाला नहीं. हां, जन अधिकार पार्टी के मुखिया पप्पू यादव के बयानों से दलितों को लुभाने वाली बातें झड़ रही हैं. कभी वे संतों को लुटेरा बताने, गरीबों को मंदिर न जाने और दानदक्षिणा न देने की बातें करते हैं तो कभी भ्रष्ट अधिकारियों की हत्या करने वालों को 10 लाख रुपए इनाम देने की घोषणा कर डालते हैं. इन में से पहली बात समझदारी की और दूसरी कुछ जोशयुक्त है. पप्पू यादव की मंशा दलित नेतृत्व को हथियाने की साफ दिख रही है. वे दलितों को हिदायतें या नसीहतें भी गलत नहीं दे रहे. लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों की हत्या की बात थोड़ी अव्यावहारिक और गैरकानूनी है. इस पर अगर वाकई अमल हुआ, जिस की संभावना कम है, तो तय है पप्पू कंगाल हो जाएंगे.

तैसेई नाथ पुरुष बिन…

महिला दिवस के 2 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर की महिला सांसदों को संबोधित करते वाकई धुआंधार भाषण दिया जिस का सार यह था कि महिलाएं तो खुद अपनेआप में सशक्त हैं, पुरुष होते कौन हैं उन्हें सशक्त बनाने वाले. भाषण में मांओं के योगदान का जिक्र करना मोदी नहीं भूले लेकिन पत्नियों के योगदान पर वे कन्नी काट गए. यह परेशानी हमेशा नरेंद्र मोदी के साथ रहेगी क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी यशोदा बेन का त्याग कर रखा है. इस किस्म के त्यागों को महिमामंडित करते रामचरित मानस में तुलसीदास ने एक दोहे में स्त्री की दुनिया और महत्ता समेट कर रख दी है कि ‘जिय बिन देह, नदी बिन वारी….’ अब यह तो वे कह नहीं सकते थे कि बगैर पुरुष के ही नारी खुद को सशक्त बनाती है लेकिन जानेअनजाने अपनी ग्लानि को दबाते उन्होंने पत्नी के पुरुषार्थ की तारीफ कर ही डाली.

आरक्षण बम में मांझी का पलीता

बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने आरक्षण का लाभ नहीं लेने का ऐलान कर इतिहास तो रचा ही है, साथ ही आरक्षण बम में पलीता भी लगा दिया है. समूचे देश में जहां आरक्षण, उसकी समीक्षा और उसे खत्म नही करने के लिए सियासत उबाल पर है, वहीं बिहार के महादलित नेता मांझी अब आरक्षण का लाभ नहीं लेंगे. ऐसा करके वह देश के पहले दलित नेता बना गए हैं, जिन्होंने किसी भी चुनाव में आरक्षित सीट से नहीं लड़ने का दावा कर डाला है. मांझी ने कहा कि वंचितों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए, इसलिए उन्होंने आरक्षण का लाभ लेने से मना कर दिया है. मांझी के इस कदम पर हर दल के नेता को जैसे सांप सूंघ गया है. मांझी के सहयोगी भाजपा और जदयू, राजद, कांग्रेस, समेत वामपंथी दल चुप्पी साधे हुए हैं. कोई यह नहीं कह रहा है कि मांझी ने अच्छा काम किया या गलत काम किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के तमाम नेता जहां किसी भी हाल में आरक्षण खत्म नहीं करने की रट लगा रहे हैं, वहीं उनके सहयोगी दल के नेता मांझी ने आरक्षण का लाभ न लेने का ऐलान कर भाजपा का सिर चकरा दिया है. पिछले बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आरएसएस प्रमुख द्वारा आरक्षण की समीक्षा करने की वकालत करने के बाद से लेकर अब तक भाजपा आरक्षण के मकड़जाल में फंसी हुई है. ऐसे में मांझी का आरक्षण का पफायदा नहीं उठाने की बात कह कर भाजपा के जख्मों पर मलहम लगा दिया है. वहीं अब नीतीश, लालू, रामविलास, मायावती, मुलायम, ममता, देवगौड़ा, समेत समूचे देश में दलित-पिछड़ों और आरक्षण के नाम राजनीति करने वालों को मांझी ने जोरदार झटका भी दिया है, या कहिए समाज के सामने अनोखी मिसाल पेश कर काफी हिम्मत का भी काम किया है.

मांझी ने साफ कहा कि अगले लोक सभा, विधान सभा या किसी भी चुनाव में वह और उनके परिवार का कोई सदस्य सामान्य सीट से ही लड़ेंगे. इसके साथ ही अपने नए सियासी सखा भाजपा को राहत देते हुए वह कहते हैं कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसा क्या कह दिया था कि आरक्षण को लेकर हंगामा मचा हुआ है. उन्होंने तो समाज में सभी लोगों को बराबरी का हक देने की बात कही थी. मांझी ने कहा कि किसी खास जाति में जन्म लेने की वजह से किसी व्यक्ति को मौका न मिले, ऐसा नहीं होना चाहिए. बाबा साहेब अंबेडकर ने आर्थिक स्वतंत्राता और सामाजिक भेदभाव से आजादी पर जोर दिया था. उन्होंने स्पष्ट कहा था कि जब तक सामाजिक भेदभाव रहेगा तब तक आरक्षण का मुद्दा बना रहेगा.

मांझी ने बिहार के विरोधी दलों के नेताओं का मजाक उड़ाते हुए कहते हैं कि लोग उन पर आरोप लगा रहे हैं कि वह गोलवरकर की गोद में बैठ कर आरक्षण खत्म कराना चाहता हूं. ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि मांझी महादलित का बेटा है और उसे सबसे ज्यादा आरक्षण की जरूरत है. इसके वाद भी उन्होंने आरक्षण का लाभ लेने से मना कर दिया है ताकि आरक्षण के लाभ से छूटे लोगों को आरक्षण का लाभ मिल सके.

मांझी के आरक्षण का फायदा छोड़ने के ऐलान के बाद राज्य में सियासी बवंडर उठ खड़ा हुआ है लेकिन दलित, पिछड़े, आरक्षण आदि के नाम पर राजनीति करने वाले तमाम नेता पिफलहाल चुप्पी साधे हुए हैं. मांझी ने तो ऐसे नेताओं को पसोपेश में डाल दिया है और वह फिलहाल मांझी के मसले पर चुप्पी साध कर उनके ऐलान को तव्वजो नहीं दे रहे हैं, ताकि उन्हें खास पब्लिसिटी नहीं मिल सके. गौरतलब है कि बिहार उत्तर प्रदेश समेत देश के ज्यादातर राज्यों में दलित-पिछडों के बूते ही राजनीति चल रही है और यह सत्ता तक पहुंचने का आसान जरिया बना हुआ है.

बिहार की कुल आबादी 10 करोड़ 50 लाख है और 6 करोड़ 21 लाख वोटर हैं. इनमें 27 फीसदी अति पिछड़ी जातियां, 22.5 फीसदी पिछड़ी जातियां, 17 फीसदी महादलित, 16.5 फीसदी मुसलमान, 13 फीसदी अगड़ी जातियां और 4 फीसदी अन्य जातियां हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक सूबे में एक करोड़ 40 लाख महादलित हैं, जो बिहार की कुल आबादी का 15 फीसदी है. ऐसे में आरक्षण और दलित-पिछड़ी राजनीति से अलग रास्ता चुनना किसी भी राजनीतिक दल के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. हर चुनाव के पहले सभी राजनीतिक दल विकास-विकास का रट लगाते हैं और जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती है, सब के सब दलित-महादलित का राग आलापने लगते हैं. दलित-पिछडे़ और आरक्षण के खिलाफ बात करने का खामियाजा भाजपा पिछले विधान सभा चुनाव में बुरी तरह से भुगत चुकी है, ऐसे में नहीं लगता है कि कोई आरक्षण के छत्ते में कोई हाथ लगाना चाहेगा? मांझी फिलहाल आरक्षण का लाभ छोड़ने वाले इकलौते नेता हैं और दिलचस्प बात यह है कि उनके इस कदम का न तो कोई दलित-पिछड़ा नेता तारीफ कर रहा है और न ही भाजपा ही उनके पक्ष में खुल कर खड़ी नजर आ रही है.

जीतनराम मांझी: एक नजर

जब नीतीश पिछले साल फरवरी में मांझी को जबरन मुख्यमंत्री पद से हटा कर खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे. इससे नाराज जीतनराम मांझी ने जदयू से बगावत कर 10 विधायकों के साथ मिल कर नई पार्टी बना ली थी. जिसका नाम ‘हम’ याने हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा रखा गया. वह महादलितों के कोई बड़े नेता कभी नहीं रहे, पर मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने खुद को बिहार की सियासत के महादलित चेहरे के तौर पर जमा लिया है.

बिहार के 33वें मुख्यमंत्री रहे जीतनराम मांझी का जन्म 6 अक्टूबर 1944 को गया जिला के महकार गांव में हुआ था. महादलित मुसहर जाति के मांझी ने 80 के दशक में खेतिहर मजदूरों और महादलितों के सवाल पर आंदोलन कर राजनीति की शुरूआत की. 1980 में पहली बार विधायक बने मांझी अब तक 6 दफे  विधायक रह चुके हैं. साल 2008 में वह नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए और साल 2010 के बिहार विधान सभा चुनाव में वह जहानाबाद सीट से जीतकर नीतीश सरकार में अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री बने थे. पिछले आम चुनाव में उन्होंने गया से संसदीय चुनाव लड़ा था, पर हार गए. 2 बेटों ओैर 3 बेटियों के पिता मांझी ने 1966 में बीए पास करने के बाद क्लर्क की नौकरी की और 1966 में क्लर्की छोड़ कर सियासत के मैदान में कूद पड़े थे.

आखिर मिल गया जवाब, कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा

वर्ष 2015 की सबसे बड़ी फिल्म ‘बाहुबली दी बिगनिंग’ के क्लाइमैक्स में दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने वाले प्रश्न ‘कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा’ का जवाब अब खुद फिल्म के निर्देशक एसएस राजमौली ने दे दिया है.

यूट्यूब पर अपलोड किए गए एसएस राजमौली के इंटरव्यू में उनसे यह सवाल किया गया कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? उन्होंने इसका जवाब देते हुए बताया कि क्योंकि उसे (कटप्पा को) मैंने वैसा (बाहुबली को मारने) करने के लिए कहा. इस वीडियो को फिल्म के निर्माता धर्मा प्रोडक्शन्स ने 30 मार्च को जारी किया है.

यह जवाब सही है या नहीं, इसका पता बाहुबली 2 के रिलीज होने पर ही पता चलेगा. इस फिल्म का सीक्वल ‘बाहुबली द कन्क्लूजन’ 14 अप्रैल 2017 को रिलीज होगा. फिल्म का पहला पार्ट पिछले साल 10 जुलाई को रिलीज हुआ था, जिसने 600 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की कमाई कर तहलका मचा दिया था.

यह सवाल जिसने राजामौली को भी तंग करके रखा है, जिसके व्हॉट्सएप फॉरवर्ड ने उन्हें परेशान करके रखा है, वह यही है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? तो आप भी इस सवाल के जवाब के लिए देख सकते है यह वीडियो. वैसे अगर आपसे ज्यादा लंबा इतज़ार नहीं हो रहा है तो आप स्किप करके वीडियो का आखिरी सवाल सुन सकते हैं.

मेरे काले होंठ हैं. मैं चाहती हूं कि मेरे होंठ गुलाबी हो जाएं. कोई उपाय बताएं.

सवाल
मैं 23 वर्षीय युवती हूं. मेरी समस्या मेरे काले होंठ हैं, जिन पर कोई भी लिपस्टिक सूट नहीं करती. मैं चाहती हूं कि मेरे होंठ प्राकृतिक रूप से गुलाबी हो जाएं. उपाय बताएं?

जवाब
होंठों का कालापन दूर करने के लिए गुलाब की पंखुडि़यों को पीस कर उस में थोड़ी सी ग्लिसरीन मिला कर इस लेप को रोजाना अपने होंठों पर लगाएं. होंठ गुलाबी हो जाएंगे. इस के अतिरिक्त दही के मक्खन में केसर मिला कर होंठों पर लगाने से भी लाभ होगा.

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क्या आप भी चाहती हैं पिंक लिप्स?

होंठों को खूबसूरत बनाने के लिए आप क्‍या नहीं करतीं. लिपस्टिक, लिप बाम, मॉइश्‍चराइजर और ना जाने क्‍या-क्‍या लगाती है. लेकिन होंठो पर लगाये जाने वाले ऐसे कई प्रोडक्ट होते हैं जो कुछ समय बाद होठों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आपकी एक मुस्कान आपके चेहरे की खूबसूरती और बढ़ा देता है और स्माइल पिंक लिप्स से हो तो फिर बात ही क्या है.

गुलाबी होंठ किसी भी चेहरे की खूबसूरती को कई गुना बड़ा देते हैं. वहीं होंठ काले होने पर बहुत आकर्षक चेहरा भी ज्यादा सुंदर नहीं लगता. महिलाएं अपने होंठों के रंग को लेकर पुरुषों से ज्यादा सोचती हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपकी लिप्स गुलाब की पंखुडियों की तरह गुलाबी हों तो इन बातों का रखें ध्यान.

होंठों की हटाएं डेड स्किन

होंठों का काला होना डेड स्किन के कारण भी हो सकता है. इससे बचने के लिए रोज सुबह ब्रश करते समय अपने होंठों को हल्के हाथों से रगड़ं. जिससे कि इसकी डेड स्किन निकल जाएं और होंठ पिंक हो जाएं. दरअसल डेड स्किन के कारण लिप्स पर ड्राइनेस हो जाती है जिससे वे खराब दिखते हैं.

मॉइश्चराइज करें

हमारे होंठों को नमी की जरुरत होती है. ड्राई और रूखे लिप्स कालेपन के शिकार हो जाते हैं, इसलिए लिप्स को मॉइश्चराइज रखें. इसके लिए लिप्स पर लिप बाम लगाएं जिससे कि आपके होंठों को मॉइश्चर बना रहें. और आपको लिप्स पिंक रहें.

अपने लिप्स में बार-बार जीभ न लगाएं

कई लोगों की आदतें होती हैं कि वह अपने होंठों पर बार-बार जीभ लगाती है. लेकिन आपको पता है कि आपके होंठों का काले होने का कारण एक ये भी हो सकता है. इसलिए आपको अपनी इस आदत को छोड़ना होगा. माना जाता है. बार-बार जीभ फेरने से आपकी होंठों की रंगत चली जाती है. जिससे आपके होंठों में कालापन बढ़ जाता है.

सनब्लॉक का करें यूज

सूर्य की पराबैंगनी किरणें सिर्फ आपकी स्किन को ही नुकसान नहीं पंहुचाती है, बल्कि आपको होंठों को भी नुकसान पंहुचाता है. इसके कारण आपको होंठ रुखे होने के साथ-साथ काले भी हो जाते है और फटने भी लगते है. अत: इससे बचने के लिए अपने लिप्स पर भी सनब्लॉक लगाएं. सनब्लॉक से सूरज की यूवी किरणों का होंठो पर कम असर पड़ेगा.

गुलाबी होंठ उड़ा दें होश

चेहरे की सुंदरता में होंठों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. होंठों की खूबसूरती को बढ़ा कर अपने व्यक्तित्व को आप और ज्यादा आकर्षक बना सकती हैं. प्राकृतिक तौर पर किसी के होंठ पतले होते हैं, तो किसी के मोटे, किसी का चेहरा भराभरा होता है, तो उस के होंठ चेहरे के अनुपात में काफी पतले होते हैं. इन कमियों को आप लिपस्टिक के जरीए दूर कर सकती हैं. लेकिन इस के लिए आप को लिपस्टिक के रंगों का चयन अपने व्यक्तित्व के हिसाब से करना आना जरूरी है.

लिपस्टिक के रंग का चुनाव चेहरे और होंठों की बनावट, शरीर और केशों का रंग, उम्र और किस तरह की ड्रैस आप पहन रही हैं, यह देख कर करना चाहिए. अगर आप को लिपस्टिक चुनने की समझ और उसे लगाने के तौरतरीकों के बारे में जानकारी नहीं है, तो लेने के देने पड़ सकते हैं. तब यह आप की सुंदरता को बढ़ाने के बजाय बिगाड़ भी सकती है. जब आप को लिपस्टिक लगानी हो तो उस से कुछ देर पहले थोड़ी सी रुई पर क्लींजिंग मिल्क लगा उस से होंठों को साफ करें. इस के बाद होंठों की आउटलाइन बना कर लिपस्टिक लगाएं.

अगर आप के होंठ पतले हैं और उन्हें सुडौल दिखाना है, तो उन्हें बाहर की तरफ से आउटलाइन करें और अगर आप के लिप्स मोटे हैं, तो अंदर की तरफ से लाइन खींचें. लिपस्टिक लिपब्रश से लगाना ही बेहतर रहता है, क्योंकि इस से उस के फैलने का डर नहीं रहता है और लिपस्टिक लगती भी एकसार है.

होंठों की सुंदरता

लिपस्टिक की मदद से न सिर्फ होंठों की सुंदरता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि इस से होंठों को मनपसंद आकार भी दिया जा सकता है. चेहरा छोटा होने पर ऊपर के होंठ पर गहरे रंग की लिपस्टिक तथा नीचे के होंठ पर थोड़े हलके रंग की लिपस्टिक लगानी चाहिए. इसी तरह चेहरा बड़ा होने पर ऊपर के होंठ पर हलके रंग की तथा निचले होंठ पर थोड़ी गहरी लिपस्टिक लगानी चाहिए. हलके और गहरे रंग की लिपस्टिक एकसाथ लगाने से भी चेहरे पर निखार आ जाता है.

होंठों पर हलके रंग की लिपस्टिक लगा कर अतिरिक्त लिपस्टिक को टिशू पेपर से छुड़ा लें और फिर गहरे रंग की लिपस्टिक लगाने के बाद होंठों पर थोड़ी सी वैसलीन या लिपग्लौस लगा लेने से होंठों में चमक आ जाती है. इस के अलावा अगर आप रोजाना लिपस्टिक का इस्तेमाल करती हैं, तो रात को सोने से पहले होंठों पर वैसलीन लगाना न भूलें. इस के बाद सुबह उठने के बाद नियमित रूप से होंठों को अच्छी तरह साफ कर उन की घी, मलाई या जैतून के तेल से मालिश करें.

लिपस्टिक का प्रयोग अवसर के अनुसार करना चाहिए. अगर आप औफिस जा रही हैं, तो हलके रंग की लिपस्टिक तथा किसी पार्टी में जाना हो तो गहरे रंग की लिपस्टिक का प्रयोग करें. दिन के बजाय रात में गहरे रंग की लिपस्टिक अधिक अच्छी लगती है. लेकिन अधिक गहरे रंग की लिपस्टिक लगाने से पूर्व अपनी उम्र को भी ध्यान में रखना चाहिए. गहरे रंग की लिपस्टिक एक उम्र के बाद अच्छी नहीं लगती. इस के चुनाव में पहले परिधान पर भी ध्यान दें.

लिपस्टिक हमेशा अच्छे ब्रैंड की ही इस्तेमाल करें. सौंदर्य विशेषज्ञ पी.के. तलवार कहते हैं कि सस्ते ब्रैंड की लिपस्टिक से होंठ खराब हो जाते हैं. उन पर काले निशान पड़ जाते हैं और वे अपनी प्राकृतिक रंगत खो देते हैं. इस के अलावा रात को सोने से पहले लिपस्टिक को उतारना न भूलें. इस के लिए रुई में थोड़ा सा क्लींजिंग मिल्क लगा कर उस से होंठों को धीरेधीरे साफ करें. फिर थोड़ी सी मलाई में नीबू का रस मिला कर होंठों की धीमेधीमे मालिश करें.

VIDEO : आप भी बना सकती हैं अपने होठों को ज्यूसी

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

मेरी समस्या यह है कि मेरे चेहरे पर मुंहासे होते हैं और बाद में निशान रह जाते हैं.

सवाल

मैं 23 वर्षीय युवती हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरे चेहरे पर मुंहासे होते हैं और बाद में उन के निशान रह जाते हैं, जिस से चेहरा बहुत भद्दा दिखता है. मैं ने बहुत कुछ ट्राई किया पर कोई फायदा नहीं हुआ. उलटे चेहरा सांवला दिखने लगा है. कृपया कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब

मुंहासों के बाद चेहरे पर उन के दाग रह जाना एक आम समस्या है. दागों से छुटकारा पाने के लिए खीरे के रस में मिल्क पाउडर और मुलतानी मिट्टी मिला कर मुंहासों के निशानों पर लगाएं. सूखने पर पानी से धो लें. नियमित ऐसा करने से मुंहासों के दाग धीरेधीरे हलके पड़ जाएंगे.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

मैं जानना चाहती हूं कि डेली क्लींजिंग करने से कोई साइड इफैक्ट तो नहीं होगा.

सवाल

मैं स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा हूं. मैं ने समाचारपत्रपत्रिकाओं में पढ़ा है कि त्वचा की खूबसूरती बनाए रखने के लिए उस की नियमित क्लींजिंग करनी चाहिए. मैं जानना चाहती हूं कि क्या नियमित क्लींजिंग करने से कोई साइड इफैक्ट तो नहीं होगा? साथ ही यह भी बताएं कि अगर रोजाना क्लींजिंग करनी हो तो किस चीज से करें?

जवाब

त्वचा की खूबसूरती बनाए रखने के लिए रोजाना क्लींजिंग करनी चाहिए, खासकर सोने से पहले अवश्य करनी चाहिए. आप चाहें तो माइल्ड फेसवाश या कच्चे दूध में नीबू का रस मिला कर उस से भी क्लींजिंग कर सकती हैं. इस का कोई साइड इफैक्ट नहीं होता. अगर आप की त्वचा रूखी है तो आप गुलाबजल से भी क्लींजिंग कर सकती हैं.

 

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