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VIDEO: देखिए किस तरह होता है बच्चों का यौन शोषण

हमारे देश में आज के समय में बच्चों का यौन शोषण हर रोज बढ़ता ही जा रहा है. बच्चे इससे इतना सहम जाते हैं की वो कुछ बोल भी नहीं पाते हैं. घरों में रहने वाले बुजुर्गों पर विश्वास करके बच्चे उनके हवाले कर दिए जाते हैं. इसी के चलते बच्चे सॉफ्ट टारगेट हो जाते हैं. वे न तो यौन अत्याचार का विरोध कर पाते हैं और न ही किसी से अपने हाल का जिक्र करते हैं.

कई बार माता या पिता ही बदनामी के डर से घटना को दबा देते हैं. घर के बड़े पुराने नौकर, मामा, चाचा, ताऊ या पिता के दोस्त किसी के भी मन में राक्षस हो सकता है. कई मामलों में तो पिता या बड़ा भाई ही घर की बेटियों व बहनों का यौन शोषण कर रहे होते हैं.

नीचे लिंक पर क्लिक कर देखें बच्चों के यौन शोषण की दर्द भरी दास्तां

http://www.sarita.in/web-exclusive/every-second-child-is-a-victim-of-sexual-abuse-hear-their-pain-e-tales

हैरान कर देगी बच्चों के यौन शोषण की ये दर्द भरी दास्तां

बचपन में हमारे साथ इन्होंने 'बुरा काम' किया  

केस 1 :- 'वो हमारे बड़े काका थे. मैं उनके साथ खेलती थी. मैं जब थोड़ी बड़ी हुई तब उन्होंने मेरे साथ 'बुरा काम' किया था. इस हादसे के बाद मैं उनसे डरने लगी थी और बहुत बुलाने पर भी उनके पास नहीं जाती थी. माता-पिता या किसी रिश्तेदार से मैंने इसका जिक्र नहीं किया. मैं सारे समय माँ के पास ही चिपकी रहती थी. बड़ी हुई तो मेरे मन में पुरुषों के प्रति नफरत भरी थी.' 55 साल की यह महिला मनोविकार के चलते चिकित्सकीय परामर्श के लिए लाई गई थी.

केस 2 :- 'मैं और मेरे काका का लड़का संयुक्त परिवार में एक साथ खेलकर बड़े हुए. वो उम्र में मेरे से एक साल बड़ा था. मैं जब चौथी क्लास में था तब उसने मेरे साथ अप्राकृतिक कृत्य किया था. मैं इस घटना को कभी भूल नहीं पाया.' 40 साल के इस मरीज के मन पर इस घटना ने ऐसा प्रभाव डाला कि विवाह होने के बाद वह कभी भी सामान्य यौन संसर्ग नहीं कर पाया.

कौन हैं इसके जिम्मेदार

अकेला बुजुर्ग बच्चों पर यौन अत्याचार करने वाला सबसे बड़ा शिकारी होता है. वर्षों तक इकट्ठा होने वाली यौन कुंठाएँ, शरीर में हो रहे हार्मोनल चेंजेस इस असंतुलित व्यवहार के लिए जिम्मेदार हैं. प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने के साथ ही यौन इच्छाएँ भी बढ़ जाती हैं. चूँकि बच्चे आसानी से उनके चंगुल में आ जाते हैं इसलिए वे उन्हें शिकार बना लेते हैं.

भारत में बाल यौन शोषण

बाल यौन शोषण हमारे समाज द्वारा सामना की जाने वाली सामाजिक बुराईयों में से सबसे ज्यादा उपेक्षित बुराई है. इसकी उपेक्षा के कारण भारत में बाल यौन शोषण की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ रही है. इस पर ध्यान देने की जरुरत है कि इस बुराई के बहुत से आयाम है जिसके कारण समाज इसका सामना करने में असमर्थ है. बाल यौन शोषण न केवल पीड़ित बच्चे पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ता है बल्कि पूरे समाज को भी प्रभावित करता है. भारत में बाल यौन शोषण के बहुत से मामलों को दर्ज नहीं किया जाता क्योंकि ऐसे मामलों को सार्वजनिक करने पर परिवार खुद को असहज महसूस करता है, इसके बारे में एक सामान्य धारणा है कि, “ऐसी बातें घर की चार-दिवारी के अन्दर ही रहनी चाहिये.” बाल यौन शोषण की बात के सार्वजनिक हो जाने पर परिवार की गरिमा के खराब होने के बारे में लगातार भय बना रहता है.

बाल यौन शोषण क्या है और इसके प्रकार

बाल यौन शोषण, शोषण का एक प्रकार है जिसमें एक वयस्क या बड़ा किशोर अपने आनंद के लिये एक बच्चें का यौन शोषण करता है. जितना घृणित ये परिभाषा से लग रहा है, वास्तविकता में भी इतना ही शर्मनाक है. भारत भी उन कुख्यात देशों में आता है जहाँ मासूम बच्चों के साथ दुराचार होता है. बाल यौन शोषण को बच्चों के साथ छेड़छाड़ के रुप में भी परिभाषित किया जाता है. बाल यौन शोषण कई रुपों में होता है जिससे माता-पिता और बच्चों दोनों को अवगत कराकर रोका जा सकता है. ये इसलिये होता है क्योंकि बच्चों को अश्लील या गलत तरीके से छूने के बारे में नहीं पता होता है और फिर जब बच्चें किसी तरह की छेड़छाड़ का शिकार होते है तो इसे पहचाने में असक्षम होता/होती है और इस तरह ये माता-पिता के लिये बहुत आवश्यक हो जाता है कि वो अपने बच्चों से सभी तरह से छूने के तरीकों के बारें में खुलकर बताये.

बाल यौन शोषण, यौन उत्पीड़न (जहाँ एक वयस्क नाबालिक बच्चे को अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिये इस्तेमाल करता है) और यौन शोषण (जहाँ एक बच्चे से वैश्यावृत्ति कराकर लाभ कमाया जाता है) जैसे अपराध शामिल करता है. एक बच्चे को गलत तरीके से छूने और संपर्क बनाने के बारे में जागरुक करना चाहिये जिसमें दुलारना, भद्दी टिप्पणियाँ और संदेश देना, मास्टरबेसन, संभोग, ओरल सेक्स, वेश्यावृति और अश्लील साहित्य शामिल है. छेड़छाड़ की समय अवधी की एक घटना या कई सारे कुकर्त्य हो सकते है.

बाल यौन शोषण की उत्पत्ति

बाल यौन शोषण कोई नयी समस्या नहीं है और न ही केवल भारत में ही पायी जाने वाली समस्या है. ये एक वैश्विक समस्या है. ये समस्या 1970 और 1980 के दशक के बाद एक सार्वजनिक मुद्दा बन गयी है. इन वर्षों से पहले ये मुद्दा बंद था. छेड़छाड़ से संबंधित मुद्दों की पहली सूचना वर्ष 1948 में और 1920 के दशक में मिली थी, बाल यौन शोषण पर कोई औपचारिक अध्ययन नहीं था. जहाँ तक भारत का संबंध है, ये विषय अभी भी वर्जित है क्योंकि इस मुद्दे को घर की चारदीवारी के ही अन्दर रखने के लिये कहा जाता है और बाहर किसी भी कीमत पर बताने की अनुमति नहीं दी जाती. एक रुढ़िवादी समाज में जैसे कि हमारा भारतीय समाज, छेड़छाड़ के मुद्दे पर लड़की अपनी माता से भी बात करने में असहज महसूस करती है, ये पूरी तरह से अकल्पनीय हो जाता है कि यदि उसे अनुचित स्थानों पर छूआ गया है तो उसे चुप रहने की सलाह दी जाती है. यही उन लड़कों के मामलों में भी होता है जो स्वतंत्र रूप से अपने माता-पिता के साथ कामुकता के विषय पर बात करने के लिए सक्षम नहीं है. ये पूरे समाज की मानसिकता है जो बुरे लोगों को प्रोत्साहित करने का काम करती है. बुरे लोग मासूम बच्चे के दिमाग में बैठे डर का लाभ उठाते है, वो बेचारा मासूम बच्चा/बच्ची जिसे यौन उत्पीड़न के बारे में पता भी नहीं होता.

बाल यौन शोषण से निपटने के लिए कानून

यद्यपि, भारतीय दंड संहिता, 1860, महिलाओं के खिलाफ होने वाले बहुत प्रकार के यौन अपराधों से निपटने के लिये प्रावधान (जैसे: धारा 376, 354 आदि) प्रदान करती है और महिला या पुरुष दोनों के खिलाफ किसी भी प्रकार के अप्राकृतिक यौन संबंध के लिये धारा 377 प्रदान करती है, लेकिन दोनों ही लिंगो के बच्चों (लड़का/लड़की) के साथ होने वाले किसी प्रकार के यौन शोषण या उत्पीड़न के लिये कोई विशेष वैधानिक प्रावधान नहीं है. इस कारण, वर्ष 2012 में संसद ने यौन (लैंगिक) अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम, 2012 इस सामाजिक बुराई से दोनों लिंगों के बच्चों की रक्षा करने और अपराधियों को दंडित करने के लिए एक विशेष अधिनियम बनाया. इस अधिनियम से पहले, गोवा बाल अधिनियम, 2003 के अन्तर्गत व्यवहारिकता में कार्य लिया जाता था. इस नए अधिनियम में बच्चों के खिलाफ बेशर्मी या छेड़छाड़ के कृत्यों का अपराधीकरण किया गया है.

अपराधी कौन है ?

आज भी, अधिकतर अपराधी, पीड़ित का कोई जानकार और पीड़ित के परिवार का जानकार या पीड़ित का कोई करीबी ही होता है. इस निकटता के कारक का ही अपराधी अनुचित लाभ उठाता है क्योंकि वो जानता है कि वो किसी भी तरह के विरोध से बचने में सक्षम है, ये एक पारिवारिक विषय माना जाता है और इसके बाद अपराधी द्वारा बार-बार पीड़ित को प्रताड़ित करने का रुप ले लेता है. ये छेड़छाड़ की घटना बच्चे के मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालती है. इसके प्रभावों में अवसाद, अनिद्रा, भूख ना लगना, डर आदि भयानक लक्षण शामिल है.

वर्तमान परिदृश्य

बाल यौन शोषण आज के समय में एक अपराध है जिससे अनदेखा किया जाता है क्योंकि लोग इस पर बात करने से बचते है. इस विषय के बारे में लोगों में जागरुकता पैदा करने के प्रयासों के द्वारा इस घटना को काफी हद तक कम किया जा सकता है. अपराधियों के मन में डर डाले जाने की आवश्यकता है जो केवल तभी संभव है जब लोग इसका सामना करने के लिये तैयार हो. अब समय आ गया है कि माता-पिता द्वारा इस तरह के मुद्दों के बारें में अपने बच्चों को जागरुक बनाने के लिये इस विषय पर विचार-विमर्थ किया जाये. शैक्षिक संस्थानों को भी जागरुकता कैंप आयोजित करने चाहिये जो सेक्सुएलिटी (लैंगिकता) विषय पर सटीक जानकारी प्रदान करने में सहायक होंगे. यद्यपि इस दिशा में कुछ प्रयास फिल्मों के माध्यम से भी किये गये जैसे: स्लम डॉग मिलेनियर, जिसमें बाल वैश्यावृति को पेश किया गया है, इसमें और अधिक प्रयासों को करने की आवश्यकता है. ये सुनिश्चित करने के लिये कि अपराधी, अपराध के भारी दंड के बिना छूट न जाये इसके लिये कानूनों और धाराओं को और अधिक कड़ा करना होगा. अन्त में, बाल यौन शोषण के मुद्दे से और अधिक अनदेखे मुद्दे की तरह व्यवहार न किया जाये क्योंकि ये समाज के कामकाज के तरीके को प्रभावी रुप में प्रभावित करता है और युवा लोगों के मन पर गहरा प्रभाव डालता है.

बाल यौन शोषण से जुड़े ड़रावने और पीड़दायक सच

– जो लोग बच्चों के साथ अपनी यौन-तृप्ति करते हैं उनके लिए साइको साइंस में पीडोफ़ीलिया शब्द का प्रयोग किया जाता है, ऐसे रोगियों को बच्चों के साथ ही यौन क्रिया करने में मजा आता है.

– मनोविज्ञान के मुताबिक पीडोफ़ीलिया पीड़ित व्यक्ति कुंठा ग्रसित होता है, उसके इतिहास में जायें तो हमें पता चलेगा कि उसके अल्प मस्तिष्क में कुछ ऐसी नाराजगी या आक्रोश भरा होता है जो कि आगे चलकर उसे बहशी या दानव बना देता है.

– हालांकि हमारे देश में इस अपराध के खिलाफ नये कानून लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षक अधिनियम, 2011 में संशोधन किया गया है.

– नए कानून के मुताबिक यौन उत्पीड़न ही केवल अपराध नहीं है बल्कि बच्चों के सामने अश्लील हरकतें भी अपराध के अंदर आती हैं.

– अगर कोई अंजान व्यक्ति किसी मासूम बच्चे के गाल या हाथ को छूता है तो भी यह यौनशोषण का ही हिस्सा हुआ और वो अपराधी की श्रेणी में आयेगा.

– अगर कोई अजनबी व्यक्ति बच्चों या किशोरों के सामने अश्लील किताबें, पोस्टर या अश्लील गाने या सीडी भी सुनता है या देखता है तो वो भी अपराधी होगा.

– भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक विभिन्न प्रकार के शोषण में पांच से 12 वर्ष तक की उम्र के छोटे बच्चे शोषण और दुर्व्यवहार के सबसे अधिक शिकार होते हैं.

– भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक शोषण तीन रूपों में सामने आता है: शारीरिक, यौन और भावनात्मक.

 – 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे किसी न किसी प्रकार के शारीरिक शोषण के शिकार थे.

 – पारिवारिक स्थिति में शारीरिक रूप से शोषित बच्चों में 88.6 प्रतिशत का शारीरिक शोषण उनके रिश्तेदार ही करते हैं.

मैं एक युवती से प्यार करता हूं और अपना कैरियर भी बनाना चाहता हूं. मुझे गाइड करें.

सवाल

मैं एक युवती से प्यार करता हूं और अपना कैरियर भी बनाना चाहता हूं. ये दोनों कैसे मिल सकते हैं. मुझे गाइड करें?

जवाब

यह तो बहुत अच्छी बात है कि आप समझते हैं कि पढ़ाई व कैरियर के साथ प्रेम दो नावों में सवारी करने के समान है, लेकिन मन में दृढ़ निश्चय हो तो सब संभव है. आप जिस युवती से प्यार करते हैं उसे भी कैरियर बनाने की सलाह दें, कुछ समय के लिए दोनों मिलना कम कर दें और कैरियर पर ध्यान लगाएं. अपने लक्ष्य को पाने का भरसक प्रयास करें. जब कैरियर बन जाएगा तो प्यार पाना भी आसान होगा, पर तब तक संयम बरतने में ही समझदारी है.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

क्या है फिल्म ‘रूस्तम’ का सच

कल तक दावा किया जा रहा था कि टीनू सुरेश देसाई निर्देशित व अक्षय कुमार, ईलियाना डिक्रूजा और ईशा गुप्ता के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘रूस्तम’’ पचास के दशक के नेवी आफिसर के एम नानावटी की कहानी पर बनी फिल्म है. मगर अचानक फिल्म के सारे लोग इस बात से इंकार करने लगे हैं. वास्तव में इस फिल्म में इस बात पर जोर दिया गया है कि एक औरत अपने पति के साथ बेवफाई करने के बावजूद किस तरह अपनी शादी को बचा सकती है. सूत्र बताते हैं कि इसके चलते के एम नानावटी की जिंदगी में जो कुछ हुआ, उसका अंत इसमें बदला गया है.

जी हां! अब फिल्म ‘‘रूस्तम’’ में रूस्तम पारवी का किरदार निभा रहे अभिनेता अक्षय कुमार ने ‘‘सरिता’’ पत्रिका से कहा-‘‘हमारी फिल्म ‘रूस्तम’ किसी भी सूरत में नेवी आफिसर के एम नानावटी की बायोपिक फिल्म नही है. यह फिल्म उस काल में घटित पांच छह वास्तविक घटनाक्रमों पर आधारित है. यह फिल्म बेवफाई व विवाहेत्तर संबंधों पर आधारित है.’’

जबकि फिल्म ‘‘रूस्तम’’ में रूस्तम की पत्नी सिंथिया पारवी का किरदार निभाने वाली अदाकारा ईलियना डिक्रूजा ने ‘कहा-‘‘यह चर्चाएं गलत हो रही है कि यह फिल्म नानावटी की सत्य कथा पर आधारित है. फिल्म की कहानी उस वक्त की स्थितियों और नानावटी के जीवन में घटी कुछ घटनाओं से प्रेरित हैं. यदि दर्शक नानावटी की कहानी को ध्यान में रखकर फिल्म देखने जाएगा, तो उसे फिल्म कुछ अलग ही नजर आएगी. यह फिल्म पूरी तरह से रोमांटिक थ्रिलर है. इसमें खूबसूरत प्रेम कहानी भी है. रोमांटिक कहानी रूस्तम पारवी और सिंथिया पारवी के बीच में है. मुझे सिर्फ इतना पता था कि फिल्म के निर्माता नीरज पांडे हैं. पर वह इसका निर्देशन नहीं कर रहे हैं. इसका निर्देशन टीनू सुरेश देसाई कर रहे हैं. इस फिल्म में मुख्य भूमिका अक्षय कुमार निभा रहे हैं.’’

इतना ही नहीं ईषा गुप्ता ने कहा-‘‘मैं तो आज पहली बार सुन रही हूं कि यह किसी नेवी आफिसर की कहानी है. मेरी जानकारी के अनुसार ऐसा नहीं है. यह कई सत्य घटनाक्रमों का सिनेमाकरण है.’’

यानी कि हर कोई इस बात से इंकार कर रहा है कि फिल्म ‘‘रूस्तम’’ पचास के दशक में सजा पाने वाले नेवी आफिसर के एम नानावटी की कहानी है. पर इसका सच 12 अगस्त को फिल्म ‘‘रूस्तम’’ के सिनेमाघर मेंरिलीज होते ही सामने आ जाएगा.

‘फ्रेकी अली’ का जबरदस्त ट्रेलर क्या आपने देखा

सोहेल खान के प्रोडेक्शन और डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘फ्रेकी अली’ का रविवार को ट्रेलर लॉन्च किया गया, जिसमें सलमान अपने दोनों भाईयों को ज्वाइन किया. फिल्म के हीरो नवाजुद्दीन सिद्दीकी इससे काफी खुश हैं कि खान भाई उन्हें एक साथ मिलकर सपोर्ट कर रहे हैं. नवाजुद्दीन के मुताबिक ‘ये बहुत अच्छा है कि सलमान भाई मेरी फिल्म को सपोर्ट कर रहे हैं. यहां तक कि मुझे तीनों भाईयों का बराबर सपोर्ट इस फिल्म के लिए मिल रहा है.’

उम्दा एक्टर हैं नवाजुद्दीन : सोहेल

लेकिन तीनों भाईयों को साथ लाने का आइडिया किसका था? इस सवाल के जवाब में सोहेल ने कहा कि मैं और अरबाज भाई इस फिल्म का हिस्सा हैं और सलमान भाई फैमिली का हिस्सा हैं. जब सोहेल से पूछा गया कि क्या उनकी ये फिल्म नवाजुद्दीन को एक हीरो के रूप में पेश करेगी? तो सोहेल ने कहा, ‘नवाज एक उम्दा एक्टर हैं और मेरे लिए फिल्म में हीरो बनने से पहले किसी किरदार को बखूबी निभाना जरूरी है. उनमें एक नेचुरल गोल्फर जैसी बात है और उनके काम के प्रति समर्पण ने उन्हें ऐसा बनाया. मुझे एक कैप्टेन की तरह महसूस हुआ और मेरी उम्दा कास्ट और क्रू ने मेरे काम को बेहद आसान और बेहतर बनाया है.’

एमी जैक्सन फिल्म की एक्ट्रेस

आपको बता दें कि नवाज दोनों ही भाईयों के साथ काम कर चुके हैं और जिनके साथ वह आफ कैमरा खूब मस्ती भी करते नजर आते हैं. सोहेल के मुताबिक नवाज बहुत ही शांत, सहज और हंसमुख व्यक्ति हैं. आपको बता दें कि नवाजुद्दीन के साथ फिल्म ‘फ्रेकी अली’ में अभिनेत्री एमी जैक्सन भी मुख्य भूमिका निभा रही हैं. ये फिल्म 9 सितंबर को रिलीज होगी.

एवलीन शर्मा का हॉट ब्लू बिकिनी लुक

बॉलीवुड एक्ट्रेस एलवीन शर्मा इन दिनों बाली में छुट्टियां मना रही हैं. बीच साइड पर रिलैक्स कर रही एवलीन ने इंस्टाग्राम पर अपनी तस्वीरें शेयर की. एवलीन बॉलीवुड फिल्म ये जवानी है दिवानी और नौटंकी साला में नजर आ चुकी हैं. बता दें कि एक बार एवलीन ने कहा था कि उन्हें फोटोशॉप किए बिना असली तस्वीरें शेयर करना पसंद है. एवलीन एक जर्मन इंडियन मॉडल और एक्ट्रेस हैं.

हर इंसान आत्म केंद्रित हो चुका है: हृतिक रोशन

‘‘जोधा अकबर’’ के बाद हृतिक रोशन अब एक बार फिर आशुतोष गोवारीकर के निर्देशन में एक ऐतिहासिक फिल्म ‘‘मोहनजो दाड़ो’’ में नजर आने वाले हैं. मगर खुद हृतिक रोशन इसे ऐतिहासिक फिल्म की बजाय प्रेम कहानी वाली फिल्म मानते हैं.

‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए खुद हृतिक रोशन ने कहा- ‘‘मेरी फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ ऐतिहासिक नहीं बल्कि एक काल खंड पर आधारित प्रेम कहानी है. मेरा मानना है कि यह फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ की पृष्ठभूमि पर बदले की भावना से प्रेरित संगीतमय फिल्म है. इसमें ड्रामा भी बहुत है. इसमें मैंने सरमन का किरदार निभाया है, जो कि मोहनजो दाड़ो पहुंचने के बाद चानी से प्यार कर बैठता है.’’

हृतिक रोशन ने फिल्म ‘‘मोहनजो दाड़ो’’ के अपने सरमन किरदार की व्याख्या करते हुए कहा- ‘‘सरमन मेरे जैसा आम इंसान है. मेरी ही तरह वह भी दुनिया को बहुत खूबसूरत मानता है. जब मैने अपना अभिनय करियर शुरू किया था, उस वक्त मैं बहुत सीधा सादा था. मेरे लिए यह संसार खूबसूरत और अच्छा था. मगर समय के साथ मेरी समझ में आता गया कि यह दुनिया कितनी कठोर है. इस दुनिया में लोग किस तरह दूसरों के रास्ते में सिर्फ कांटे ही बोते हैं. सरमन भी कड़वे सच का अहसास मोहनजो दाड़ो पहुंचने के बाद करता है और फिर अन्याय के खिलाफ जंग शुरू करता है.’’

जब हमने हृतिक रोशन से पूछा कि फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ में जो सभ्यता संस्कृति व राजनीति दिखायी गयी है, वह आज के परिपेक्ष्य में कैसे ठीक बैठती है?

इस सवाल के जवाब में हृतिक रोषन बताया-‘‘कुर्सी हथियाने का मसला हो या पावर गेम हो, वह उस वक्त जैसा था, वैसा आज भी है. कहने का अर्थ यह है कि मोहनजो दाड़ो में जिस तरह की राजनीति दिखायी गयी है, वह आज भी मौजूद है. उस वक्त भी अन्याय होता था. लोग अन्याय के खिलाफ विद्रोह करते थे. आज भी वैसा ही हो रहा है. उस वक्त की तरह आज भी विद्रोही मौजूद हैं. तो हमारी फिल्म में अन्याय के खिलाफ विद्रोह करने की जो जरूरत का चित्रण है.’’

पर जब हमने हृतिक रोशन से कहा कि अन्याय के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाने वालों को लोगों का साथ नही मिलता?

इस बाबत हृतिक रोषन ने कहा-‘‘इसकी सबसे बड़ी वजह यह हैं कि हर इंसान सिर्फ अपने लिए जीता है. हर इंसान आत्म केंद्रित है. यदि अन्याय से 1000 लोग प्रभावित हुए हैं, तो उनमें से पांच विद्रोह के लिए आगे बढ़ते हैं. फिर बीस लोग उनके साथ जुड़ जाते हैं. मगर हजार नहीं जुड़ पाते हैं. मुझे लगता है कि यह बात पर भी निर्भर करता है कि उस अन्याय का असर किस पर कितना हुआ है? हर इंसान कहता है कि जिंदगी में सब कुछ फेयर नहीं होता. तो लोग इस बात को स्वीकार करते चलते हैं कि अनफेयर होना ही है.

जब आप यह मान लें कि अन फेयर हो रहा है, तभी आप लड़ाई लड़ सकते हैं. वास्तव में लोग पलायन वादी हो गऐ हैं. दूसरों की समस्या या मुसीबत को नजरंदाज कर देना आसान होता है. यदि किसी इंसान को दूसरे की समस्याओं में नहीं पड़ना है,तो सबसे अच्छा रास्ता होता है, उसे अनदेखा कर जाना. जब आपको दूसरों की समस्याओं के लिए लड़ना हो, तो अपनी जिंदगी से थोड़ा बहुत हटना पड़ता है. अब कौन क्यों करेगा? हर इंसान अपनी जिंदगी किसी न किसी समस्या से जुझ रहा है. हर इंसान अपनी समस्याओं में इतना मशगूल रहता है कि वह दूसरों की समस्याओं को देखना, सुनना या समझना ही नहीं चाहता.’’

ओलंपिक के लिए मुंडवा लिया सिर

ओलंपिक गेम्स के दूसरे दिन हंगरी की 'आयरन लेडी' और पांच बार की वर्ल्ड चैम्पियन स्वीमर कतिन्का होसू ने गोल्ड मेडल जीता. उन्होंने ये मेडल 400 मीटर इंडिविजुअल इवेंट में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए जीता.

स्वीमिंग को लेकर होसू इतनी क्रेजी है कि इसी गेम की वजह से उन्हें 'आयरन लेडी' का नाम मिला है. यहां तक कि इसके लिए एकबार वे अपना सिर भी मुंडवा चुकी हैं. 27 साल की कतिन्का होसू हंगरी की प्रोफेशनल स्वीमर और बिजनेस वुमन हैं.

होसू पांच बार की लॉन्ग कोर्स वर्ल्ड चैम्पियन और कई इवेंट्स में वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर हैं. होसू ने साल 2013 में लंबे समय तक अपने कोच और बॉयफ्रेंड रहे शेन टसप से शादी की है.

मुंडवा चुकी हैं सिर

होसू स्वीमिंग में अपनी परफॉर्मेंस को लेकर इतनी सीरियस हैं कि वे एक बार इसे लेकर अपना सिर भी मुंडवा चुकी हैं. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर करीब 4 महीने पहले अपने गंजे सिर के साथ तस्वीर पोस्ट की थी और इस बारे में सबकुछ बताया था. अपनी तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा, 'मैं अपनी प्रिपरेशन के लिए छोटी से छोटी बात का भी ध्यान रखती हूं.'

होसू ने लिखा कि स्वीमिंग में कॉम्पटीशन इतना बढ़ चुका है कि कई बार सेकंड के सौवें हिस्सा भी आपको हरा सकता है. ऐसे में उन्होंने खुद को और भी बेहतर बनाने के लिए अपने सिर के बाल निकलवा दिए थे. साथ ही उन्होंने लिखा था कि 'मैं अपने नए बालों के साथ पूल में ट्राय करने के लिए और इंतजार नहीं कर सकती'.

लोग कहते हैं आयरल लेडी

होसू को लोग 'आयरन लेडी' भी कहकर बुलाते हैं. ये नाम उन्हें एक के बाद एक लगातार थका देने वाले कई कॉम्पटीशन्स में हिस्सा लेने की वजह से मिला. वे स्वीमिंग को लेकर कितनी जुनूनी हैं इसको इसी बात से समझा जा सकता है कि होसू के पास हंगरी के दो-तिहाई से ज्यादा नेशनल रिकॉर्ड्स हैं. इसके अलावा वे कई बड़ी इंटरनेशनल कंपनीज की ब्रांड एम्बेसडर भी हैं.

जीता पहला ओलंपिक गोल्ड

हंगरी की इस स्वीमर का ये चौथा ओलंपिक है. लेकिन इससे पहले के तीनों ओलंपिक में वे कोई मेडल नहीं जीत सकी थीं. होसू ने 4 मिनट 26.36 सेकंड का वक्त निकालकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता. जबकि इससे पहले का रिकॉर्ड 4 मिनट 28.43 सेकंड का था.

सिर्फ 30 सेकंड में हैक हो सकता है किसी का भी Whatsapp

हाल ही में UAE बेस्ड NGO ने एक अवेयरनेस प्रोग्राम रखा था. इस प्रोग्राम में बताया गया की सिर्फ 30 सेकंड के अंदर कोई भी इंसान किसी के भी वॉट्सऐप अकाउंट की एक्सेस ले सकता है. हैकर को सिर्फ आपके स्मार्टफोन का एक्सेस एक बार चाहिए. कैसे हैक किया 30 सेकंड में वॉट्सऐप…

वॉट्सऐप वेब का किया इस्तेमाल

वॉट्सऐप अकाउंट हैक करते हुए फर्म ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें दिखाया है कि कैसे सिर्फ फोन उधार लेकर Whatsapp web अपने कम्प्यूटर में ऑन कर लिया. ऐसे में फोटोज, वीडियो, चैट सारा डाटा सिर्फ 30 सेकंड के अंदर सामने वाले के कम्प्यूटर में चला गया. इसके लिए किसी खास ट्रेनिंग की जरूरत भी नहीं पड़ी

कैसे बचें इससे

– वॉट्सऐप को लॉक करके या पासवर्ड सेट करके रखें

– वॉट्सऐप वेब की सेटिंग्स में जाएं और चेक करें की कहीं कोई और डिवाइस तो आपके फोन से कनेक्ट नहीं हुआ

– Web.Whatsapp.com पर जाकर

Whatsapp मैसेज एक्सट्रैक्ट करके

वॉट्सऐप मैसेज एक्सट्रैक्ट करके कोई भी आसानी से आपका अकाउंट हैक कर सकता है. चैट्स एंड कॉल्स में एक ऑप्शन ऐसा भी होता है जिससे आसानी से पूरी चैट हिस्ट्री ईमेल की जा सकती है.

क्या करें बचने के लिए

– अपने ईमेल अकाउंट को चेक करें की कहीं कोई अननोन मेल तो नहीं गया.

– वॉट्सऐप हमेशा लॉक करके रखें

– जीमेल को भी ऐप लॉक से लॉक किया जा सकता है.

Whatsapp Call की मदद से

वॉट्सऐप कॉल की मदद से फोन को हैक करना और आसान है. हैकर को सिर्फ आपका फोन 15 सेकंड के लिए चाहिए और आपका फोन हैक हो सकता है.

क्या करें बचने के लिए

– Incoming Call Lock ऐप इंस्टॉल करें. इस ऐप की मदद से हर नए कॉल पर एक लॉक आएगा जिसे ओपन करने के बाद ही कॉल रिसीव हो सकेगा.

Spy Apps

इंटरनेट स्पाई ऐप्स से भरा हुआ है. अगर आपके दोस्त या परिवार वाले इनमें से कोई ऐप इंस्टॉल कर लेते हैं तो उनके लिए आपका वॉट्सऐप अकाउंट हैक करना काफी आसान हो जाएगा.

क्या करें बचने के लिए

– अपने फोन में नए ऐप्स को चेक करते रहें. अगर कोई नया ऐप दिखे जिसे आपने इंस्टॉल नहीं किया हो तो उसे फॉरन अनइंस्टॉल करें.

– अगर आपका फोन रूटेड है तो परमीशन मैनेजर का इस्तेमाल करें.

OTP SMS की मदद से

वॉट्सऐप को हैक करने का सबसे आसान तरीका है OTP है. बिना OTP कन्फर्मेशन के वॉट्सऐप का इस्तेमाल यूजर्स नहीं कर सकते ऐसे में हैकर्स को सिर्फ SMS स्पाईवेयर की जरूरत है.

कैसे बचें

– एक अच्छा एंटीवायरस अपने फोन में हमेशा रखें.

– स्क्रीन नोटिफिकेशन लॉक करके रखें

– ऐपलॉक की मदद से SMS ऐप लॉक रखें.

फोन को कंट्रोल करके

आपके एंड्रॉइड फोन की कॉपी बनाना इतना आसान है कि हैकर मिरर यॉर फोन तकनीक का इस्तेमाल करके कहीं से भी पूरे फोन की एक्सेस ले सकते हैं. इसके लिए बस एक ऐप और टीम व्यूअर की थोड़ी सी जानकारी चाहिए.

क्या करें बचने के लिए

– अपने फोन में नए ऐप्स को चेक करते रहें. अगर कोई नया ऐप दिखे जिसे आपने इंस्टॉल नहीं किया हो तो उसे फॉरन अनइंस्टॉल करें.

– अगर आपका फोन रूटेड है तो परमीशन मैनेजर का इस्तेमाल करें.

8 पीएसयू पर नीति आयोग का शिकंजा

नीति आयोग ने सार्वजनिक क्षेत्र की 8 बीमार इकाइयों को बंद करने की सिफारिश की है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने आयोग को सार्वजनिक क्षेत्र की बीमार इकाइयों की व्यवहार्यता का पता लगाने को कहा था. आयोग ने पाया है कि इन 8 इकाइयों का पुनरोद्धार नहीं किया जा सकता.

इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने कहा, ‘‘ये आठ इकाइयां उन 74 नुकसान में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से हैं जिनकी पहचान नीति आयोग ने बंदी या बिक्री के लिए की है.’’ सूत्र ने कहा कि एक बार पीएमओ द्वारा इस प्रस्ताव को सैद्धान्तिक मंजूरी मिलने के बाद संबंधित मंत्रालय इन इकाइयों को बंद करने के लिए विस्तृत योजना बनाएंगे.

इन विस्तृत योजनाओं में बेची जाने लायक परिसंपत्तियों की पहचान और इन आठ कंपनियों के कर्मचारियों के लिए मुआवजा देना आदि शामिल है. सूत्र ने कहा कि इन कंपनियों को बंद करने की योजना केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखी जाएगी ताकि इन कंपनियों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की जा सके.

इससे पहले प्रधनमंत्री कार्यालय ने नीति आयोग से कहा था कि वह ऐसे मामलों में आगे बढ़ने से पहले बिक्री आदि से जुड़ी विस्तृत प्रक्रिया के साथ एक बीमार सार्वजनिक उपक्रम की पहचान करे.

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