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कंगारुओं ने किया कीवियों का सफाया

सलामी बल्लेबाज डेविड वार्नर के लगातार दूसरे शतक से आस्ट्रेलिया ने तीसरे और अंतिम एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में न्यूजीलैंड को 117 रन से करारी शिकस्त देकर श्रृंखला में 3-0 से क्लीन स्वीप किया.

13 चौके और 4 छक्के की मदद से वार्नर ने 156 रन बनाए. उनकी इस जबर्दस्त पारी की बदौलत आस्ट्रेलिया ने शुरूआती झटकों के बावजूद आठ विकेट पर 264 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया. न्यूजीलैंड के लिये हालांकि यह स्कोर ही पहाड़ जैसा बन गया और उसकी पूरी टीम वार्नर के कुल स्कोर तक भी पहुंचने में नाकाम रही.

न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों ने फिर से निराश किया और उसकी टीम 36.1 ओवर में 147 रन पर ढेर हो गयी. आस्ट्रेलिया ने इस तरह से बड़ी शान से चैपल-हैडली ट्रॉफी जीती. कीवी टीम को सस्ते में समेटने में मिशेल स्टार्क ने अहम भूमिका निभायी. उन्होंने 34 रन देकर तीन विकेट लिये. पैट कमिन्स, जेम्स फाकनर और ट्रेविस हेड ने दो-दो विकेट लेकर उनका अच्छा साथ दिया.

न्यूजीलैंड की तरफ से मार्टिन गुप्टिल ने सर्वाधिक 34 रन बनाये. उनके अलावा टॉम लैथम (28) और कोलिन मुनरो (20) ही 20 रन की संख्या को छू पाये. पिछले मैच में भी शतक (119 रन) जड़ने वाले वार्नर को मैन आफ द मैच और मैन आफ द सीरीज चुना गया.

आस्ट्रेलियाई उप कप्तान वार्नर ने पारी के 38वें ओवर में मिशेल सैंटनर की गेंद पर फाइन लेग क्षेत्र में चौका जड़कर वनडे में अपना 11वां और इस साल सातवां शतक पूरा किया.

वॉर्नर ने इस साल 23 वनडे खेले हैं और 7 शतक लगाए हैं. वॉर्नर ने इस साल वनडे में 63.09 के शानदार औसत से 1388 रन अपने नाम कर लिए हैं और उनका स्ट्राइक रेट 105.47 रहा है. वॉर्नर का इस साल का टॉप स्कोर 177 रन रहा है. मतलब उन्होंने कई बड़ी पारियां खेली हैं.

जहां ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के बीच वह नंबर वन हैं, वहीं वर्ल्ड लेवल पर देखें, तो वनडे में एक साल में सबसे ज्यादा शतक लगाने के मामले में महान सचिन तेंदुलकर नंबर वन पर हैं, तो टीम इंडिया के सफलतम कप्तानों में से एक बाएं हाथ के बल्लेबाज सौरव गांगुली सूची में दूसरे नंबर पर हैं, जिसकी बराबरी वॉर्नर ने कर ली है.

सचिन तेंदुलकर ने यह उपलब्धि 1998 में हासिल की थी. हालांकि उन्होंने डेविड वॉर्नर से ज्यादा मैच खेले थे. सचिन ने 34 वनडे में नौ शतक लगाए थे, जबकि  सौरव गांगुली ने साल 2000 में 32 मैचों में सात शतक लगाए थे. साल में छह शतक लगाने वाले बल्लेबाजों की सूची में दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन और सचिन (1996) तथा भारत के ही राहुल द्रविड़ (1999) के नाम हैं.

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व और सफलतम कप्तानों में से एक रिकी पॉन्टिंग और ओपनर मैथ्यू हेडन ने साल में पांच शतक लगाए थे. रिकी पॉन्टिंग ने वनडे करियर में 2003 और 2007 में यह कारनामा किया था, जबकि हेडन ने 2007 में पांच शतक जड़े थे.

मैं एक ऐसे शख्स से प्यार करती हूं, जो कभी पिता नहीं बन सकता. कृपया बताएं मैं क्या करूं.

सवाल

मैं 22 साल की युवती हूं. मैं एक ऐसे शख्स से प्यार करती हूं, जो कभी पिता नहीं बन सकता. मैं उस से इतना प्यार करती हूं कि उस के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती. मैं उस से शादी करना चाहती हूं पर घर वाले इस रिश्ते के खिलाफ हैं. वे हमें इस शादी के लिए अपनी रजामंदी कभी नहीं देंगे. हम कोर्ट मैरिज भी नहीं कर सकते, क्योंकि उस के सारे डौक्यूमैंट्स लड़की के नाम से बने हुए हैं. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

आप अभी इतनी मैच्योर नहीं हुई हैं कि शादी जैसे अहम फैसले ले सकें. इसीलिए इस तरह की बात कर रही हैं. आप को समझना चाहिए कि जिंदगी भावनाओं के सहारे नहीं चलती. इसलिए हकीकत को स्वीकारना सीखें. मां पिता की अनुभवी आंखें जो देख पा रही हैं उस से आप आंखें मूंदे हुए हैं. आप को समझना चाहिए कि माता पिता आप का भला ही चाहेंगे. इस लिए उन के विरुद्ध न जाएं.

 

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भाई के अपहरण में बहन भी शामिल

16 अक्तूबर, 2016 की दोपहर को यही कोई डेढ़ बजे पुर्निषा उर्फ गुड्डी मम्मी रेखा पालेचा के साथ एक्टिवा स्कूटी से जोधपुर शहर की मानसरोवर कालोनी में रहने वाले अपने मामा रितेश भंडारी के घर पहुंची. बहन और भांजी को देख कर वही नहीं, घर के सभी लोग खुश हो गए. नाश्तापानी और थोड़ी बातचीत के बाद पुर्निषा अपने 5 साल के ममेरे भाई युग को खिलाने लगी.

बेटे युग के अलावा रितेश की एक 10 साल की बेटी भी थी. पुर्निषा जब भी मामा के घर आती थी, अपने ममेरे भाईबहनों के साथ खेलने में मस्त हो जाती थी. वह दोनों को खूब प्यार करती थी. करीब आधे घंटे बाद पुर्निषा युग को अपनी स्कूटी पर बिठा कर चौकलेट दिलाने के लिए ले गई.

पुर्निषा जब भी मामा के यहां आती थी, युग को खानेपीने की चीजें दिलाने या स्कूटी पर घुमाने ले जाती थी. उस के साथ युग के जाने पर किसी को कोई शक वगैरह होने की गुंजाइश भी नहीं थी.

युग और पुर्निषा को घर से गए आधे घंटे से ज्यादा का वक्त हो गया और दोनों लौट कर नहीं आए तो घर वालों का ध्यान उन के ऊपर गया. प्यार से पुर्निषा को सभी गुड्डी कहते थे. घर वालों को चिंता हुई कि गुड्डी युग को ले कर कहां चली गई कि अभी तक लौट कर नहीं आई.

घर के सभी लोग इसी बात पर विचार कर रहे थे कि तभी रितेश के फोन की घंटी बजी. रितेश ने फोन की स्क्रीन देखी तो उस पर उन की भांजी गुड्डी का नंबर था. उन्होंने फोन रिसीव कर के पूछा, ‘‘हां गुड्डी, बताओ, इस समय तुम कहां हो? बहुत देर हो गई, अभी तक घर क्यों नहीं लौटी?’’

इस के बाद दूसरी तरफ से पुर्निषा की कांपती आवाज आई, ‘‘मामा, आप मामी से बात कराइए.’’

रितेश ने मोबाइल अपनी पत्नी को देते हुए कहा, ‘‘गुड्डी का फोन है, बात करो.’

कान पर फोन लगा कर युग की मम्मी बोलीं, ‘‘हां, गुड्डी बोलो, क्या बात है? तुम कहां हो?’’

पुर्निषा कांपती आवाज में बोली, ‘‘मामी, मेरा और युग का कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया है. ये लोग 50 लाख रुपए फिरौती मांग रहे हैं. ये बड़े ही खतरनाक लोग लग रहे हैं, इसलिए प्लीज मामी, पुलिस को सूचना दिए बगैर आप 50 लाख रुपए ले कर जल्द आ जाइए, वरना ये लोग हमें मार देंगे.’’

गुड्डी के साथ उन के बेटे का भी अपहरण हुआ था, इसलिए इस खबर से वह एकदम से घबरा गईं. वह जल्दी से बोलीं, ‘‘गुड्डी, तुम हो कहां, युग कहां है? यह तो बताओ कि पैसे कहां पहुंचाने हैं?’’

‘‘मामी, हमें पता नहीं, यह कौन सी जगह है, लेकिन शहर के बाहर कोई बाग है. उसी बाग में इन्होंने हमें बंधक बना रखा है. अच्छा, वे लोग हमारी तरफ ही आ रहे हैं, आप जल्दी पैसों का इंतजाम कर लो. मैं बाद में फोन करूंगी.’’ कह कर पुर्निषा ने फोन काट दिया.

युग की मम्मी ‘हैलो…हैलो’ करती रह गईं, पर दूसरी ओर से फोन कट चुका था. युग का अपहरण और 50 लाख रुपए की फिरौती की बात बगल में खड़े रितेश भंडारी ने भी सुन ली थी. वह भी घबरा गए. उन्होंने हकलाते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम इतनी परेशान क्यों हो? क्या कह रही थी गुड्डी, युग कहां है?’’

‘‘गुड्डी और युग का अपहरण हो गया है और अपहर्त्ता 50 लाख रुपए फिरौती मांग रहे हैं. पुलिस को सूचना देने पर उन्होंने जान से मारने की धमकी दी है,’’ कहते हुए उन की पत्नी की आंखों में आंसू छलक आए.

पत्नी के मुंह से यह सब सुन कर रितेश भंडारी कांप उठे. अपहर्त्ता फिरौती में जो 50 लाख रुपए मांग रहे थे, वह उन के पास नहीं थे. यह कोई मामूली रकम भी नहीं थी, जिस का इंतजाम वह जल्द कहीं से कर लेते. अपहर्त्ताओं ने पुलिस को खबर न करने की चेतावनी दी थी. उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह क्या करें.

बेटे के अपहरण से व्याकुल उन की पत्नी का रोरो कर बुरा हाल था. कुछ ही देर में आसपड़ोस में यह खबर फैल गई. लोगों का उन के घर आना शुरू हो गया. कुछ लोगों ने रितेश को सलाह दी कि वह इस की सूचना पुलिस को जरूर दें.

सभी लोगों के कहने पर रितेश पत्नी और कुछ रिश्तेदारों के साथ करीब पौने 3 बजे चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाने पहुंचे और थानाप्रभारी जब्बर सिंह चारण को अपने बेटे और भांजी के अपहरण की जानकारी दे दी. उन्होंने यह भी बताया कि फिरौती का फोन पुर्निषा के ही मोबाइल से आया था.

रितेश भंडारी की बात सुन कर थानाप्रभारी को मामला कुछ संदिग्ध लगा. उन्हें उन की भांजी पुर्निषा पर ही शक हो रहा था. उन्हें कारवाई तो करनी ही थी, इसलिए उन्होंने अज्ञात अपहर्त्ताओं के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा कर इस की सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी.

अधिकारियों के निर्देश पर जब्बर सिंह ने शहर के सभी प्रमुख मार्गों की नाकेबंदी करा दी. इस के बाद जोधपुर के डीसीपी (पश्चिम) समीर कुमार सिंह, एडिशनल डीसीपी विपिन शर्मा, एसीपी (प्रतापनगर) स्वाति शर्मा, एसीपी (केंद्रीय) पूजा यादव, एसीपी (पश्चिम) विक्रम सिंह थाना चौपासनी हाउसिंग बोर्ड पहुंच गए.

सभी ने पीडि़त परिवार से बात की. ऐसे मामले में पुलिस की यही कोशिश रहती है कि जिस का अपहरण हुआ है, उसे सुरक्षित तरीके से जल्द से जल्द बरामद किया जाए. इसलिए डीसीपी ने अपहर्त्ताओं तक जल्द पहुंचने के लिए एक पुलिस टीम बनाई, जिस में एसीपी (प्रतापनगर) स्वाति शर्मा, एसीपी (पश्चिम) विक्रम सिंह, एसीपी (केंद्रीय) पूजा यादव, थानाप्रभारी जब्बर सिंह चारण, थानाप्रभारी (शास्त्रीनगर) अमित सिहाग, तकनीकी विशेषज्ञ भागीरथ सिंघड़, स्वरूपराम, हरीराम, नरेंद्र सिंह, शकील खां, जबर सिंह व बजरंगलाल को शामिल किया गया. टीम का निर्देशन एडिशनल डीसीपी विपिन शर्मा को सौंपा गया.

पुर्निषा ने जब रितेश भंडारी को फोन किया था, बातचीत में चिडि़यों के चहचहाने की आवाजें आ रही थीं. रितेश ने यह बात पुलिस को भी बताई. इस पर पुलिस को लगा कि फोन किसी पार्क से किया गया था. 3-3 पुलिसकर्मियों को ग्रुप में बांट कर अपहर्त्ताओं की तलाश शुरू कर दी गई.

टीमों ने मंडोर उद्यान, नेहरू पार्क, पब्लिक पार्क व अन्य सुनसान जगहों पर खोजबीन की. रितेश भंडारी और उन की पत्नी भी पुलिस के साथ थीं. पुलिस ने रितेश के मोबाइल से पुर्निषा के मोबाइल पर फोन करवाया. फोन किसी युवक ने उठाया.

फोन उठाने वाले युवक ने कहा कि रुपए ले कर जल्द आ जाओ, वरना हम इन दोनों को मार देंगे. रितेश ने युग से बात कराने को कहा तो उस ने युग से उन की बात करा दी. युग ने कहा कि वह दीदी के साथ है और टौफी बिस्कुट खा रहा है. बेटे से बात कर के रितेश को तसल्ली हुई कि वह सकुशल है.

एक पुलिस टीम जब नेहरू उद्यान पहुंची तो वहां एक कोने में बैठी पुर्निषा और युग को रितेश ने पहचानते हुए कहा, ‘‘वो रहे युग और पुर्निषा.’’

पुलिस ने नजर दौड़ाई तो पुर्निषा और युग के पास झाड़ी की ओट में 2 युवक बैठे दिखाई दिए. पुलिस ने अनुमान लगाया कि वही अपहर्त्ता होंगे. भनक लगने पर अपहर्त्ता युग और पुर्निषा को नुकसान पहुंचा सकते थे, इसलिए पुलिस ने चालाकी दिखाते हुए फुरती से उन दोनों युवकों को दबोच कर पुर्निषा और युग को सुरक्षित अपने कब्जे में ले लिया.

सूचना पा कर अन्य पुलिस टीमें भी नेहरू उद्यान पहुंच गई थीं. पुलिस गिरफ्त में आते ही दोनों युवक कांपने लगे. यही हाल पुर्निषा का भी था. उन की निशानदेही पर पुलिस ने स्विफ्ट कार व पुर्निषा की एक्टिवा स्कूटी बरामद कर ली.

थाने ला कर जब दोनों युवकों से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपने नाम मयंक मेहता व मयंक सिंदल बताए. उन्होंने बताया कि युग के अपहरण की मास्टरमाइंड पुर्निषा थी.

यह सुन कर रितेश और उन की पत्नी हैरान रह गई कि यह कैसे हो सकता है, भला वह अपने भाई का अपहरण क्यों करेगी? पर पुलिस पूछताछ में जब पुर्निषा ने मयंक की बात की पुष्टि कर दी तो रितेश और उन की पत्नी की आंखें खुली की खुली रह गईं. उन्होंने सोचा भी नहीं था कि जिस भांजी को वह इतना ज्यादा प्यार करते थे, वही उन का अहित कर सकती है.

अपहर्त्ताओं के गिरफ्तार होने की जानकारी डीसीपी (पश्चिम) समीर कुमार सिंह को मिली तो वह भी थाने पहुंच गए. उन के सामने अभियुक्तों से पूछताछ की गई तो युग के अपहरण की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

जोधपुर शहर की मानसरोवर कालोनी में रितेश भंडारी पत्नी शिवानी, एक बेटी व बेटा युग के साथ रहते थे. उन का सरदारपुरा, जोधपुर में फाइनैंस का कारोबार था, जिस से उन्हें बहुत अच्छी आमदनी होती थी. कभीकभी अपनी कमाई का लाखों रुपए वह अपनी सगी बहन रेखा पालेचा के पास रखते थे. वह सरदारपुरा में ही रहती थी. पुर्निषा रेखा की बेटी थी. वह मांबाप की लाडली थी. उस पर मांबाप आंख मूंद कर भरोसा करते थे. पुर्निषा पढ़ाई में होशियार थी. वह एमकौम कर रही थी. पढ़ाई के साथ वह एक निजी स्कूल में पढ़ाती भी थी.

पुर्निषा की एक साल पहले मयंक मेहता से दोस्ती हुई. थोड़े दिनों बाद यह दोस्ती प्यार में बदल गई. मयंक जोधपुर की चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में रहता था. उस का एक दोस्त मयंक सिंदल था, वह भी वहीं रहता था. ये दोनों जोधपुर के जीत कालेज में कंप्यूटर साइंस के छात्र थे.

पुर्निषा व मयंक मेहता का प्रेमप्रसंग चल रहा था. दोनों घर वालों से छिपछिप कर मिलते थे. मोबाइल पर भी घंटों बातें किया करते थे. दोनों के सपने बहुत ऊंचे थे, मगर आर्थिक तंगी के कारण इन के शौक पूरे नहीं हो रहे थे. टीवी चैनल के क्राइम शो देख कर पुर्निषा के दिमाग में हलचल मच गई. उस ने एक दिन बातोंबातों में अपने प्रेमी मयंक मेहता से कहा कि अगर वह उस के मामा रितेश के बेटे युग का अपहरण कर ले तो कम से कम 50 लाख रुपए की फिरौती मिल सकती है.

पुर्निषा ने बताया था कि उस के मामा के पास हर समय लाखों रुपए रहते हैं. बस फिर क्या था, दोनों ने रुपयों का लालच दे कर मयंक सिंदल को भी अपनी योजना में शामिल कर लिया. पुर्निषा ने कहा था कि फिरौती के 50 लाख रुपए मिलने पर उस में से उसे 15 लाख रुपए दिए जाएंगे.

मयंक सिंदल झांसे में आ गया और उन की योजना में शामिल हो गया. पूरी योजना बनाने के बाद रविवार 16 अक्तूबर की दोपहर को पुर्निषा अपनी मम्मी के साथ मामा रितेश के घर जा पहुंची. युग को चौकलेट दिलाने के बहाने वह स्कूटी से घर से बाहर ले आई और अपने साथी मयंक मेहता और मयंक सिंदल को अपनी स्कूटी देते हुए कहा कि इसे कहीं सुनसान जगह खड़ी कर युग को ले कर नेहरू उद्यान आ जाओ.

पुर्निषा टौफी, बिस्कुट, कुरकुरे ले कर युग के साथ मयंक मेहता की स्विफ्ट कार में बैठ गई तो मयंक मेहता कार ले कर सीधे नेहरू उद्यान पहुंच गया. मयंक सिंदल इन से पहले वहां पहुंचा हुआ था. पार्क से ही पुर्निषा ने मामा रितेश को फोन कर के अपने और युग के अपहरण होने की बात कह कर 50 लाख रुपए फिरौती दे कर अपहर्त्ताओं से जल्द से जल्द युग और उसे छुड़ाने की बात कही. इस के बाद रितेश भंडारी अपनी पत्नी के साथ थाने पहुंचे और पुलिस को सूचना दी.

पुलिस ने मात्र ढाई घंटे में अपहर्त्ताओं को दबोच कर युग को सकुशल बरामद कर लिया था. पुर्निषा, मयंक मेहता व मयंक सिंदल के वे मोबाइल फोन भी पुलिस ने बरामद कर लिए थे, जिन से रितेश को फिरौती के लिए फोन किया गया था. आर्थिक तंगी के चलते पुर्निषा व मयंक मेहता ने अपहरण कर के फिरौती मांगने जैसा अमानवीय कृत्य किया था, जबकि तीनों ही गरीब परिवारों से नहीं थे, इन की महत्त्वाकांक्षा उन्हें ले डूबी थी.

पुलिस ने पूछताछ कर के 17 अक्तूबर, 2016 को पुर्निषा, मयंक मेहता और मयंक सिंदल को जोधपुर के कोर्ट नंबर-8 में न्यायाधीश वैदेही सिंह के समक्ष पेश किया, जहां से तीनों आरोपियों को केंद्रीय कारागार जोधपुर भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक इन की जमानतें नहीं हुई थीं.

लेखक : कुंवर कस्तूर सिंह भाटी

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

हमसफर का सफर पड़ेगा महंगा

जल्द ही आपको हमसफर ट्रेन से सफर करने का मौका मिलेगा. पर नोटबंदी के दौर में यह सफर आपको महंगा पड़ सकता है. रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने जानकारी दी है कि जल्द ही हमसफर ट्रेन का सफर शुरू हो जाएगा. दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर खड़ी इस पहली ट्रेन का निरीक्षण करने के बाद रेल मंत्री ने कहा कि जल्द ही यह ट्रेन पैसेंजरों के लिए शुरू कर दी जाएगी. इस ट्रेन को गोरखपुर और आनंद विहार के बीच चलाया जाएगा.

पूरी तरह एसी थ्री टीयर कोच वाली यह ट्रेन अलग तरह की है. इस ट्रेन में नई सुविधाएं तो जोड़ी ही गई हैं, साथ ही इसका किराया भी अन्य सामान्य ट्रेनों से ज्यादा रखा जाएगा. रेलवे ने ट्रेन के किराए का ऐलान नहीं किया है. इस ट्रेन में सीसीटीवी से लेकर जीपीएस सिस्टम और पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम भी लगाया गया है. इसके अलावा इस ट्रेन में फायर और स्मोक डिटेक्शन सिस्टम भी लगाया गया है. ट्रेन में पैसेंजरों के लिए सूप, चाय और काफी की मशीन के अलावा ओवन और फ्रिज भी है. इस ट्रेन में एलएचबी कोच हैं. जिसकी लागत लगभग 2.6 करोड़ रुपये है.

प्रेमचंद का वहशी प्रेम

21 अगस्त, 2016 की दोपहर को जिस तरह सुमन की 2 साल की बेटी सोनी घर के बाहर बरामदे से खेलते हुए गायब हुई थी, उसे देखते हुए घर वाले ही नहीं, पूरा गांव हैरान था. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर छोटी सी बच्ची इस तरह कहां अचानक चली गई. घर में ही नहीं, उसे इधर उधर काफी खोजा गया, पर वह कहीं नहीं मिली. सोनी के न मिलने से सुमन ही नहीं, पूरा गांव परेशान था.

सोनी कहां गई, किसी की समझ में नहीं आ रहा था. बेटी के इस तरह गायब होने से सुमन का दिल बैठने लगा था. जल्दी ही यह खबर पूरे गांव में फैल गई थी. बेटी के न मिलने से सुमन का रो रो कर बुरा हाल था. सुमन की हालत देखते हुए उस के मां बाप, पड़ोसी प्रेमचंद और गांव के कुछ अन्य लोग उसे ले कर थाना फरेंदा पहुंचे और इंसपेक्टर संपूर्णानंद तिवारी को पूरी बात बताई तो उन्होंने लिखित शिकायत ले कर सोनी की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

इस के बाद थानाप्रभारी  ने सभी को सांत्वना दे कर घर भेज दिया कि वह बच्ची को ढुंढवाने की कोशिश करेंगे. मामला एक मासूम की गुमशुदगी का था, इसलिए संपूर्णानंद तिवारी ने मामले की जांच खुद संभालते हुए कारवाई शुरू कर दी.

गांव बाबू फरेंदा जा कर उन्होंने घर वालों से पूछताछ की तो पता चला कि सुमन के शादी से पहले गांव के पूर्व ग्रामप्रधान रामप्रीत के बेटे प्रेमचंद से प्रेमसंबंध थे. 2 दिन पहले वह सुमन से मिलने आया भी था. सुमन ने उसे झिड़क दिया था, तब उस ने खामियाजा भुगतने की धमकी दी थी. पुलिस के लिए इतनी जानकारी काफी थी.

संपूर्णानंद तिवारी ने सुमन और प्रेमचंद के प्रेमसंबंधों के बारे में विस्तार से पूछताछ की. इस के बाद प्रेमचंद पूरी तरह संदेह के दायरे में आ गया था. उन्होंने उस के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि वह थाने से लौटने के बाद से ही घर से गायब है. किसी को पता भी नहीं था कि वह कहां है.

प्रेमचंद के इस तरह घर से गायब होने पर पुलिस का संदेह और बढ़ गया. पुलिस खुद तो उस की खोज में जुट ही गई, मुखबिरों को भी उस की तलाश में लगा दिया. आखिरकार पुलिस ने मेहनत कर के प्रेमचंद को उसी के गांव के एक खंडहर पड़े मकान से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो घाघ प्रेमचंद ने पुलिस को काफी छकाया. लेकिन अंत में उसे जुबान खोलनी ही पड़ी. अपना अपराध स्वीकार करते हुए उस ने बताया कि उसी ने सोनी का अपहरण कर उस की हत्या कर लाश को नदी में फेंक दी है.

इस घृणित कार्य को उस ने अकेले ही अंजाम दिया था. इस के बाद इस सिरफिरे आशिक ने सुमन से प्यार से ले कर सोनी की हत्या तक की जो कहानी सुनाई, उसे सुन कर पुलिस भी हैरान रह गई. वह पूरी कहानी कुछ इस प्रकार थी—

सुमन उत्तर प्रदेश के जिला महाराजगंज के गांव बाबू फरेंदा के रहने वाले सुखी और संपन्न किसान भगवानचंद की सब से बड़ी बेटी थी. वह काफी सूझबूझ वाली और खूबसूरत लड़की थी. इंटर पास करने के बाद वह आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन महाविद्यालय घर से दूर होने की वजह से वह आगे नहीं पढ़ सकी.

सुमन सयानी हुई तो भगवानचंद ने उस की शादी कानपुर के रहने वाले विशुनदेव से कर दी. ससुराल में भरापूरा परिवार तो था ही, सुखी और संपन्न भी था. ससुराल में उसे इतना प्यार मिला कि उसे मायके की कमी कभी नहीं खली. समय के साथ सुमन 2 बच्चों की मां बनी, जिन में बेटा विकास 5 साल का है तो बेटी सोनी 2 साल की थी.

सुमन समयसमय पर मायके आती रहती थी और 2-4 दिन रह कर ससुराल चली जाती थी. 10 अगस्त, 2016 को भी वह दोनों बच्चों को ले कर मायके आई थी. उस दिन दोपहर का समय था. सुमन घर में अकेली थी. उस समय उस के दोनों बच्चे सो रहे थे. वह कपड़े सहेज रही थी, तभी उसे अपने बाएं कंधे पर दबाव महसूस हुआ. उस ने पलट कर देखा तो पीछे गांव का ही प्रेमचंद खड़ा था. उसे देख कर उस ने हैरान हो कर कहा, ‘‘तुम…तुम ने तो मेरी जान ही निकाल दी.’’

‘‘तुम कब से मुझ से डरने लगी सुमन?’’ प्रेमचंद ने मुसकराते हुए कहा तो सुमन ने तुनक कर कहा, ‘‘मुझे इस तरह का मजाक बिलकुल पसंद नहीं. आज के बाद इस तरह का मजाक करना भी मत.’’

‘‘ठीक है बाबा, अब इस तरह कभी नहीं करूंगा. तुम बेकार ही डर गईं.’’

‘‘काम ही तुम ने ऐसा किया.’’

‘‘कैसी बातें करती हो सुमन, पहले तो तुम ने इस तरह का व्यवहार मुझ से कभी नहीं किया. सौरी, माफी मांग रहा हूं.’’ प्रेमचंद ने दोनों कान पकड़ कर कहा.

‘‘ठीक है, अब कभी ऐसा मत करना. और हां, अब जाओ, शाम को मम्मी पापा आ जाएंगे, तब शाम को मिलने आना. अगर अभी किसी ने तुम्हें यहां देख लिया तो न जाने क्या सोचेगा?’’ सुमन ने घबराते हुए कहा.

‘‘यार, मैं तुम से और तुम मुझ से प्यार करती हो, फिर इतना डर क्यों रही हो?’’

‘‘मैं तुम से प्यार जरूर करती थी, पर अब नहीं करती. मेरी शादी हो चुकी है. गृहस्थी बस चुकी है मेरी, 2 बच्चे हैं मेरे, प्यार करने वाला पति है. पहले जो हुआ, सो हुआ. अब उसे भूल जाओ. उन्हें मैं धोखा नहीं दे सकती.’’ सुमन ने कहा.

‘‘अचानक तुम्हें यह हो क्या गया सुमन, कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो तुम? अब बस भी करो और आओ मेरी बाहों में समा जाओ. तुम्हें आगोश में लेने के लिए मेरी ये बांहें कब से बेताब हैं.’’ कह कर प्रेमचंद ने सुमन को बांहों में भर लिया.

सुमन कसमसाते हुए उस की बाहों से आजाद होने के लिए तड़प उठी. और जब आजाद हुई तो गुस्से में बोली, ‘‘मैं ने कहा था न कि मेरी गृहस्थी बस चुकी है, परिवार हो चुका है मेरा. तुम जो चाहते हो, अब वह नहीं हो सकता. प्लीज, मेरी बसीबसाई गृहस्थी में आग मत लगाओ. मेरी बात को समझो और चुपचाप यहां से चले जाओ. कहो तो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ लूं या पैर पकड़ लूं. पिछली बातों को भूल कर अब तुम मेरे ऊपर उपकार करो और यहां जाओ.’’

‘‘यह तुम क्या कर रही हो सुमन?’’ प्रेमचंद ने भर्राई आवाज में कहा, ‘‘मैं ने तो बस तुम से दिल्लगी की थी. मेरे सामने हाथ जोड़ने या पांव में पकड़ने की जरूत नहीं है. मेरी दुआएं हमेशा तुम्हारे साथ हैं और रहेंगी. भला मैं तुम्हारी गृहस्थी क्यों उजाड़ने लगा? ऐसी बात है तो आज के बाद मैं तुम्हारे सामने कभी नहीं आऊंगा. आज के बाद मैं तुम्हारी ओर देखूंगा भी नहीं. लेकिन आज मेरी इच्छा पूरी कर दो.’’ प्रेमचंद ने कहा.

लेकिन सुमन राजी नहीं हुई. प्रेमचंद ने उसे बहुत समझाया, पर सुमन ने उसे झिड़क दिया. जब किसी भी कीमतड्ड पर सुमन राजी नहीं हुई तो प्रेमचंद ने उसे धमकी देते हुए कहा, ‘‘मेरी बात न मान कर सुमन तुम ने बहुत बड़ी भूल की है. इस का खामियाजा तुम्हें भुगतना ही होगा.’’

25 साल का प्रेमचंद भी उसी के गांव का रहने वाला था. उस के पिता रामप्रीत गांव के प्रधान रहे थे. 4 भाईबहनों में प्रेमचंद दूसरे नंबर का बेटा था. इंटर पास कर के उस ने पढ़ाई छोड़ दी थी, क्योंकि आगे पढ़ने में उस का मन नहीं लगा.

पढ़ाई छोड़ने के बाद वह दिन भर आवारा दोस्तों के साथ घूमता रहता था. आतेजाते उस की नजर सुमन पर पड़ी तो उस के दिल की घंटी बज उठी. सुमन आंखों के रास्ते दिल में उतरी तो वह हर घड़ी उसी के बारे में सोचने ही नहीं लगा, बल्कि उसे एक नजर देखने के लिए उस के घर के चक्कर भी लगाने लगा. लेकिन अपने दिल की बात वह सुमन से कह नहीं सका.

दूसरी ओर सुमन भी कम नहीं थी. उस ने जल्दी ही प्रेमचंद के मन की बात भांप ली थी. पता नहीं क्यों, वह उस की ओर आकर्षित होने लगी. वह समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा उस के साथ क्यों हो रहा है? ऐसे में जब प्रेमचंद ने हिम्मत कर के उस से दिल की बात कही तो उस ने भी अपने दिल की बात कह दी कि वह भी उस से प्यार करती है.

सुमन की स्वीकृति पर प्रेमचंद बहुत खुश हुआ. इस के बाद दोनों छिपछिपा कर मिलने लगे. संयोग से इस की भनक न तो सुमन के घर वालों को लगी और न ही प्रेमचंद के.

प्रेमचंद रोजीरोटी के चक्कर में चेन्नई चला गया तो कई सालों बाद गांव लौटा. उसी बीच सुमन की शादी ही नहीं हो गई, बल्कि वह 2 बच्चों की मां भी बन गई. इस बीच प्रेमचंद जब भी गांव आया, उस की मुलाकात सुमन से नहीं हो सकी.

संयोग से इस बार 20 अगस्त को प्रेमचंद गांव आया तो सुमन मायके आई हुई थी. सुमन के मायके में होने का उसे पता चला तो वह उस से मिलने उस के घर चला गया. लेकिन सुमन ने उसे लिफ्ट देने के बजाय झिड़क कर उस के अरमानों पर पानी फेर दिया. सुमन की बेवफाई ने प्रेमचंद को बेचैन कर दिया. उस पूरी रात वह सो नहीं सका. बिस्तर पर करवटें बदलते हुए यही सोचता रहा कि सुमन उस के साथ इस तरह बेवफाई कैसे कर सकती है?

भले ही वह अपनी मांग में किसी और के नाम का सिंदूर भर रही हो, पर प्यार तो उस ने उसी से किया था, इसलिए अब भी वह उसी की है. वह उस के बिना कैसे रह सकती है? और अगर रह सकती है तो उसे इस की सजा ऐसी मिलनी चाहिए कि जिंदगी भर दुख की धधकती आग में अपने आंसुओं को सुखाने की कोशिश करती रहे.

यही सब सोच कर उस ने सुमन को मजबूर करने के लिए एक खतरनाक षडयंत्र रच डाला. उस की योजना यह थी कि वह उस की मासूम बेटी सोनी का अपहरण कर लेगा और बदले में उस के जिस्म का सौदा करेगा. सुमन इस के लिए तैयार हुई तो ठीक, वरना वह उस की बेटी की हत्या कर देगा. बेटी को खोने के बाद वह सारी जिंदगी दर्द की आग में सुलगती रहेगी.

प्रेमचंद ने ठीक वैसा ही किया, जैसा उस ने योजना बनाई थी. योजना के अनुसार 21 अगस्त, 2016 की सुबह से ही वह सुमन और उस की मासूम बेटी पर नजर गड़ाए था. दोपहर को सोनी बरामदे में अकेली खेलती दिखाई दी तो वह चुपके से उस के पास पहुंचा और गोद में ले कर भाग गया.

उस समय सुमन घर के कामों में लगी थी. काम निपटा कर उसे बेटी की याद आई तो वह घर के बाहर आई. बरामदे में बेटी को न पा कर उस की तलाश में लग गई. काफी तलाशने के बाद भी जब उस का पता नहीं चला तो सभी ने उस के गायब होने की सूचना थाने में देने का मन बना लिया. सभी सोनी के गायब होने की सूचना देने थाने जाने लगे तो प्रेमचंद भी सब के साथ यह देखने थाने चला गया कि सोनी की गुमशुदगी में सुमन उस का नाम तो नहीं लिखवा रही है.

थाने से लौटते समय प्रेमचंद सब का साथ छोड़ कर गायब हो गया. अचानक बीच रास्ते से उस के गायब होने से सुमन को उस पर शक ही नहीं हुआ, बल्कि विश्वास हो गया कि सोनी के गायब होने के पीछे उसी का हाथ है. क्योंकि उस ने उस को धमकी दी थी कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो उसे इस का खामियाजा भुगतना होगा.

घर पहुंच कर सुमन ने प्रेमचंद की धमकी वाली बात मां बाप को बताई तो यह सब सुन कर वे सन्न रह गए. भगवानचंद ने तुरंत गांव वालों को इकट्ठा कर के पूरी बात उन्हें बताई. इस के बाद सभी रामप्रीत के घर पहुंचे और प्रेमचंद को सामने लाने और सोनी को सकुशल बरामद कराने को कहा.

प्रेमचंद का कुछ पता नहीं था. रामप्रीत ने उसे फोन कर के घर आने को कहा तो वह समझ गया कि पिता उसे घर आने को क्यों कह रहे हैं. उस ने घर आने से साफ मना कर दिया. जब उस से सोनी के बारे में पूछा गया तो उस ने पिता से भी साफसाफ कह दिया कि जब तक सुमन उस की बात नहीं मानेगी, तब तक वह सोनी को किसी भी कीमत पर नहीं लौटाएगा. साफ हो गया कि प्रेमचंद ने जो शर्तें रखी थीं, वह निहायत ही घटिया थीं. रामप्रीत बेटे की इस करतूत से गांव वालों के सामने लज्जित हो गए.

प्रेमचंद सुमन की देह के लिए पागल था. बात जब उस के पिता तक पहुंची तो उस का पागलपन सनक में बदल गया. उसे विश्वास हो गया कि सुमन अब उस की बात कभी नहीं मानेगी. फिर क्या था, उस ने मासूम सोनी का गला घोंट कर हत्या कर दी और लाश को नदी में फेंक दिया. इस के बाद गांव आ कर एक खंडहर पड़े मकान में छिप गया, जहां से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.

अपना अपराध स्वीकार कर के मासूम की हत्या की कहानी सुनाते समय प्रेमचंद के चेहरे पर न कोई शिकन थी और न कोई पछतावा, बल्कि अपने किए पर वह खुश था. देखा जाए तो प्रेमचंद ने सुमन को ऐसा जख्म दिया था, जो वक्त के साथ भर तो जाएगा, लेकिन उस की कसक कभी नहीं जाएगी. सुमन ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिसे उस ने अपना सब कुछ सौंप दिया, वही उसे इस तरह का दर्द देगा.

कथा लिखे जाने तक प्रेमचंद जेल में था. बेटे की करतूतों से दुखी रामप्रीत ने उस के किए की सजा दिलाने के लिए उस की जमानत की भी कोशिश नहीं की थी. जब इस सब की जानकारी सुमन के पति को हुई तो उन्हें भी बहुत दुख हुआ. पर यह सोच कर उन्होंने पत्नी को माफ कर दिया कि वह बीता हुआ पल था. बीते हुए पल पर वर्तमान को हावी होने देना ठीक नहीं है. वह सुमन को ले कर कानपुर चले गए. पति के इस फैसले से सुमन के मन को थोड़ा तसल्ली जरूर मिली होगी.

लेखक : शैलेंद्र कुमार ‘शैल’

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पीबीएल 2: एक बार फिर आमने सामने होंगी सिंधू-कैरोलिना

ओलंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधू अगले साल एक जनवरी से शुरू हो रहे प्रीमियर बैडमिंटन लीग (पीबीएल) के दूसरे सत्र में खेलने को लेकर बेताब हैं. उन्हें दुनिया की नंबर एक महिला खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मारिन सहित कई शीर्ष खिलाड़ियों की मौजूदगी के कारण टूर्नामेंट के रोमांचक होने की उम्मीद है.

सिंधू ने कहा, 'हम पीबीएल-2 को लेकर काफी रोमांचित हैं. हमारे देश में दुनिया के कुछ सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी खेलते हुए दिखेंगे. मुझे यकीन है कि सिर्फ प्रशंसकों के लिए ही नहीं बल्कि खिलाड़ियों के लिए भी यह काफी रोमांचक होने वाला है.'

आगामी सत्र में चेन्नई स्मैशर्स की ओर से खेलने वाली सिंधू ने कहा कि उनकी टीम लीग की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक है. उन्होंने कहा, 'हमारी टीम लीग की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक है. हमारे पास एकल और युगल खिलाड़ियों का अच्छा मिश्रण है.'

हैदराबाद हंटर्स की ओर से चुनौती पेश करने को तैयार रियो ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता स्पेन की कैरोलिना मारिन ने कहा कि वह सिंधू के खिलाफ मुकाबले को लेकर उत्सुक हैं. उन्होंने कहा, 'रियो में फाइनल, करीबी मुकाबला था. सिंधू आक्रामक खिलाड़ी हैं. मैं एक बार फिर उससे खेलने को लेकर उत्सुक हूं. मुझे यकीन है कि यह रोमांचक होगा.'

जल्द आयेंगे प्लास्टिक के नोट

सरकार ने प्लास्टिक करेंसी नोटों की छपाई का फैसला लिया है और इसके लिए जरूरी मटीरियल जुटाने का काम तेजी से चल रहा है. वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा को बताया, 'प्लास्टिक या पॉलिस्टर की परत वाले बैंक नोटों की छपाई का फैसला लिया गया है. मटीरियल की खरीद की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.'

रिजर्व बैंक फील्ड ट्रायल के बाद लंबे समय से प्लास्टिक करेंसी नोट लाने पर विचार कर रहा है. फरवरी 2014 में सरकार ने संसद को बताया था कि फील्ड ट्रायल के तौर पर भौगोलिक और जलवायु विभिन्नताओं के आधार पर चयनित पांच शहरों(कोची, मैसूर, जयपुर, शिमला और भुवनेश्वर) में 10-10 रुपये के एक अरब प्लास्टिक नोट बाजार में लाए जायेंगे.

सबसे पहले ऑस्ट्रेया ने नोटों को नकल से सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक नोट शुरू किया था. प्लास्टिक नोट औसतन 5 सालों तक सुरक्षित रहते हैं और इसका नकल करना भी कठिन होता है. इसके अलावा, ये कागज के नोटों की तुलना में ज्यादा साफ-सुथरे दिखते हैं.

देश में 2000 और 500 के नए नोट लाने के बाद यह एक बड़ा कदम है. गौर करने वाली बात होगी कि इससे अर्थव्यवस्था में कितना असर पड़ेगा.

नो सैक्स…ओनली हगिंग

राजन और नीरजा का पिछले एक साल से अफेयर था. उस दिन नीरजा मिनी स्कर्ट में आई तो उस की हौट व सैक्सी बौडी ने राजन के मन में हलचल पैदा कर दी. उस की गोरी, सुडौल व सैक्सी मांसल टांगें मानो राजन को सैक्स को आमंत्रित कर रही थीं. ऐसे में एकांत मिलते ही राजन ने नीरजा को बांहों में जकड़ लिया और उस की टांगों पर हाथ फेरने लगा. नीरजा भी उस के बाहुपाश में ऐसी खोई कि अपनी सुधबुध खो बैठी. दोनों के मन में एक फीलिंग आ रही थी. एकदूसरे में समा जाने को उत्सुक उन की इस क्रिया पर तब ब्रेक लगा जब रोहित का टांगों पर फिरता हाथ नीरजा ने रोका. सैक्सरहित इस क्रिया ने दोनों को प्यार का असली मजा दे दिया था.

इसी तरह रोहित और रंजना के अफेयर में हुआ. सैक्स से परहेज करने वाले इस युगल ने जब एक दिन हग किया और रोहित ने रंजना को गले लगाते हुए न केवल उस के गाल, माथे, होंठों पर चुंबन जड़ दिए बल्कि होंठ भी चूस डाले. रंजना ने भी इस को भरपूर ऐंजौय किया. ऐसे में सैक्स से परहेज भी हुआ और सैक्स का आनंद भी मिल गया.

अकसर युगल सैक्स की चाह रखते ही हैं, लेकिन वर्जिनिटी टूटने या सैक्स के उपरांत उत्पन्न होने वाली समस्याओं या खतरों से बचे रहना चाहते हैं. ऐसे में उपरोक्त तरीके उन के लिए काफी ऐंजौएबल साबित होते हैं. ये क्रियाएं प्यार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. कई युगल तो लगातार सैक्स से ऊब कर यही चाहते हैं कि आज सैक्स न करें सिर्फ हगिंग से ही मन भरें.

दरअसल, सैक्स में हगिंग का महत्त्वपूर्ण स्थान है. जहां यह उत्तेजना को बढ़ाती है वहीं आंतरिक आनंद की अनुभूति भी प्रदान करती है. साथ ही पार्टनर के सैक्स में रुचि न लेने, किसी तनाव व कमजोरी के कारण उत्तेजना में कमी जैसी समस्याओं में उत्तम बाजीकरण का काम करती है.

युवाओं में हालांकि उत्तेजना की कमी नहीं रहती, लेकिन सैक्स की उत्सुकता बहुत होती है, जिस के चलते वे आपस में एकदूसरे को टच करने का कोई मौका नहीं छोड़ते. चाहे बातचीत के दौरान हो या प्रेम में युवकयुवती का आपस में हाथ मिलाना, कंधों, गालों आदि पर हाथ मार कर बात करना या मिलते और चलते समय हग करना इसी आकर्षण के कारण हैं.

ऐसे में जब प्रेमीप्रेमिका के मन में सैक्स की अवधारणा आती है तो वे एकदूसरे के गलबहियां डाल कर चलने व कमर में हाथ डालने का भरपूर प्रयास करते हैं और एकांत मिलने पर भले सैक्स न कर पाएं एकदूसरे से लिपटने, किस करने और अंगों को सहलाने तक तो पहुंच ही जाते हैं. ये सब मौजमस्ती के ही तरीके हैं, जो पे्रमीप्रेमिका अपनाते हैं.

यदि प्रेमीप्रेमिका सैक्स में लिप्त होते हैं तो न केवल वर्जिनिटी टूटती है बल्कि अनचाहे गर्भ, यौन संबंधी समस्याओं का खतरा भी बना रहता है, ऐसे में प्रेमीप्रेमिका हगिंग का सहारा ले कर सैक्स का भरपूर आनंद उठा सकते हैं, जिस से वे इन तमाम परेशानियों से भी बच जाएंगे. आप यहां दिए जा रहे हगिंग के कुछ टिप्स अपना सकते हैं :

–  हग करते समय प्रेमिका की पीठ सहलाना, पीठ पर हाथ फेरना प्रेमिका को एक सुखद एहसास देता है. यह एक सरल हगिंग है जिसे प्रेमीप्रेमिका बिना एकांत भी कर सकते हैं. इस से न केवल एकदूसरे का शारीरिक संपर्क हासिल होता है बल्कि एकदूसरे में समा जाने की अनुभूति भी मन में आती है. ऐसे में सामने से हग करने के बजाय अगर एकदूसरे को पीछे से हग किया जाए और एकदूसरे को सहलाया जाए तो आनंद दोगुना हो जाता है.

–  अगर प्रेमिका स्कर्ट, हाफपैंट जैसी हौट ड्रैस में है तो एकांत आप को सैक्स का भरपूर मौका देगा, लेकिन ऐसे में आप हगिंग के दौरान प्रेमिका की गलबहियां डाल एकांत में बैठें और उस की जांघों पर धीरेधीरे हाथ फिराएं, जांघों के अंदरूनी भाग का सैक्स से सीधा संबंध है. यह क्रिया जहां प्रेमिका को सुखद एहसास कराएगी वहीं प्रेमी को भी शारीरिक घर्षण से आनंद आएगा. बिना सैक्स किए मजा पाने की यह क्रिया प्रेमीप्रेमिका में काफी पौपुलर है.

– एकांत मिलने पर अगर सैक्स की इच्छा होती है, लेकिन सैक्स नहीं करना चाहते, तो हगिंग नायाब नुसखा है ऐंजौय करने का. संग बैठ कर प्रेमिका को आलिंगनबद्ध करना और उस के अंगों को सहलाना, ऐसे में प्रेमिका अगर प्रेमी की छाती पर सिर टिका कर छाती को हलके से सहलाए, हाथ फेरे तो एक सुखद अनुभूति का सैक्सी एहसास होता है. ऐसे में अंगों को सहलाना तो हगिंग की जान है.

–  अगर प्रेमी युगल सैक्स के लिए एकांत, होटल या किसी दोस्त के फ्लैट का इस्तेमाल करते हैं और सैक्स बोझिल हो चुका हो या एकांत पा कर बिना सैक्स किए मजा लेना चाहते हों तो ऐसे में कपल बाथ का आनंद लिया जा सकता है. एकदूसरे के बदन पर साबुन लगाना, पानी डालना रिश्ते में बिना सैक्स के गर्माहट भर देगा.

–  असल रोमांस का मजा प्रेमी की बांहों में ही आता है, भले सैक्स न किया जाए. रोमांटिक बातें करते हुए प्रेमी प्रेमिका को अपने आगोश में ले और प्रेमिका प्रेमी की छाती के बालों में हाथ फेरते हुए प्रेमी से लिपटे तो शरीर के हर अंग में सिहरन सी दौड़ती है. प्रेमीप्रेमिका इस हगिंग का सुखद एहसास बिना सैक्सरत हुए कर सकते हैं.

तो अगर कभी आप का मन रोमांस का हो और सैक्स न करना चाहें या लंबे समय से एकांत ढूंढ़ कर सैक्स कर के बोर हो गए हों तो प्रेमी से साफ कह दें, नो सैक्स… ओनली हगिंग.             

चुंबन के विभिन्न आयाम, हगिंग की जान

चुंबन प्रेमीप्रेमिका के लिए सब से सुखद सैक्सी एहसास है. आजकल प्रेमीप्रेमिका शारीरिक आकर्षण के चलते जहां एकदूसरे को टच करने का कोई मौका नहीं छोड़ते, वहीं प्यार से किया गया एक चुंबन दोनों में रोमांच भर देता है. यों तो गालों पर चुंबन प्रेमीप्रेमिका की सहज क्रिया है, लेकिन अगर अलगअलग तरह से इस का लुत्फ उठाया जाए तो यह हगिंग की जान बन जाता है. हालांकि चुंबन के लिए कोई निश्चित क्रिया या अंग नहीं है, फिर भी किसी खास अंग का चुंबन सुखद लगता है.

प्रेमीप्रेमिका निम्न आयाम अपना कर चुंबन से रोमांचित हो सकते हैं :

–       प्रेमिका का हाथ हाथ में ले कर चूमना प्रेमिका के अंतर्मन को रोमांचित करता है. कहीं भी डेट पर जाएं, मिलें, पहले हाथ पकड़ कर चुंबन लें. आजमा कर देखिए.

–  क्रौस होंठों से चुंबन करना एक अलग आभास देता है, मौका मिलने पर प्रेमिका का चांद सा मुखड़ा अपने दोनों हाथों में पकड़ कर अपने होंठों को क्रौस करते हुए प्रेमिका के होंठों पर जड़ दें और जोरदार चुंबन लें. प्रेमिका ऐसे समय आंखें बंद कर ले तो समझ जाएं उसे सैक्स से भी अधिक सुखद अनुभूति हुई है.

–       यों तो चुंबन किसी भी अंग पर किया जा सकता है, पर गालों पर अलग कोण से किया गया चुंबन काफी रोमांचित करता है. इस के लिए चलते हुए प्रेमिका को कंधे से आलिंगनबद्घ करें व उस के गाल पास लाएं व चुंबन लें.

–       गरदन का सैक्स से बड़ा गहरा संबंध है. जहां सैक्स के समय प्रेमिका की गरदन पर लिए गए चुंबन सैक्स की पूर्णता का आनंद देते हैं वहीं हगिंग में लिया जाने वाला गरदन का चुंबन एक अलग एहसास करवाता है. हग करते हुए प्रेमिका की गरदन पर लिया गया चुंबन प्रेमिका द्वारा प्रेमी को बाहुपाश में जकड़ने को मजबूर करते हुए एकदूसरे में समा जाने को उत्सुक करता है.

–       गालों पर, माथे पर, पीठ पर, ब्रैस्ट, जांघ, पीठ आदि पर लिया गया चुंबन प्रेमिका को अंदर तक सिहरन पहुंचाने के लिए महत्त्वपूर्ण है.

बिना सैक्स किए चुंबन के विभिन्न अंदाज अपना कर कीजिए खुद को व प्रेमिका को रोमांचित ताकि प्रेमिका भी कह उठे, नो सैक्स… ओनली किसिंग.   

हमसफर के इंतजार में ‘रेप विक्टिम’

दिल्ली में दामिनी कांड के बाद ‘रेप विक्टिम‘ को लेकर तमाम तरह के कानून बन गये हैं. सरकार के साथ साथ स्वंयसेवी संगठन भी ऐसे लोगों की मदद के लिये सामने आ गये. इसके बाद भी उनका जीवन खुशियों का इंतजार ही कर रहा है. सरकार और एनजीओं के सहयोग से जो ‘रेप विक्टिम‘ अपने पैरों पर खड़ी हो गई हैं, इसके बाद भी जीवन मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पा रहा है.

लखनऊ की रहने वाली प्रेरणा (बदला हुआ नाम) के साथ घर में ही बलात्कार हुआ. जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंची थी. इसके बाद प्रेरणा को न्याय और आर्थिक सहायता भी मिली. जिससे प्रेरणा ने अपना ब्यूटी पार्लर खोला. साल भर हो चुका है. प्रेरणा अब अपने पार्लर से हर माह में 30 से 35 हजार तक कमा लेती है. अब उसे इंतजार है कि कोई हमसफर मिले जिसके साथ जीवन गुजर सके.

प्रेरणा के जीवन में खुशियों का संचार करने वाले ‘आर्शिवाद ट्रस्ट’ की विनीता ग्रेवाल कहती है ‘रेप विक्टिम को लेकर अभी समाज का रुख नहीं बदल रहा है. वह उसके साथ संवेदना तो रखता है पर उसे जीवन की मुख्यधारा में शामिल करने के लिये आगे नहीं आता. प्रेरणा सुंदर समझदार और आत्मनिर्भर लड़की है. इसके बाद भी उसका हाथ थामने कोई आगे नहीं आ रहा है. यही नहीं प्रेरणा के बारे में जब सच पता नहीं था उसे किराये पर ब्यूटी पार्लर की दुकान मिल गई. जब मकान मालिक को यह पता चला कि प्रेरणा रेप विक्टिम है तो वह परेशान हो गये. जब उनको सही तरह से समझाया गया तब दुकान देने को राजी हुये.’

नई आशा सेफ होम से जुडे आशीष श्रीवास्तव देह धंधे से जुडी लड़कियों को वहां से वापस लाने के अभियान को पूरा करते है. वह कहते हैं ‘प्रेरणा के मकान मालिक नहीं चाहते कि उसके नाम के साथ रेप विक्टिम आये. उनको तर्क है कि यह बात अगर सबके सामने आ गई तो ब्यूटी पार्लर आने वालों की संख्या में गिरावट आयेगी, हो सकता है कि पार्लर चलना बंद हो जाये. कानून भले ही बदल गया हो पर समाज के लोग उसे सहारा देने के लिये आगे नहीं आना चाहते. जब तक समाज के लोग आगे आकर ऐसे पीड़ित लोगों का हाथ नहीं थामेंगे, तब तक सही मायनों में पीड़ित समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो सकते है’.

अपने हमसफर के विषय में प्रेरणा कहती हैं ‘मुझे ऐसा हमसफर चाहिये जो मुझे समझ सके और एक एहसान ही तरह नहीं साथी की तरह मेरा हाथ थामें. मेरे साथ जो हुआ उसमें मेरा कोई हाथ नहीं था. मुझे गंदी मानसिकता का शिकार होना पडा. मैंने लड़ाई लड़ी. सफलता हासिल की. आज मैं आत्मनिर्भर हूं. मै यह भी साबित करना चाहती हूं कि हम भी किसी के हमसफर बनकर जीवन भर साथ निभा सकते हैं. मेरे जीवन का दूसरा लक्ष्य है कि मैं अपने जैसी परेशान लड़कियों का सहारा बन सकूं. मैं अपना जीवन अच्छे से चला रही हूं. कोई मेरे लायक मुझे समझने वाला हमसफर मिलेगा तो शादी करके अपने को दूसरों जैसा साबित भी कर सकती हूं.’                        

अंधभक्ति का सैलाब

अकर्मण्यता, अंधविश्वास और व्यक्तिपूजा की पराकाष्ठा देखनी है तो पिछले ढाई महीनों से तमिलनाडु में देखी जा सकती है, जहां जे. जयललिता के बीमार होने से मृत्यु तक घरों, सड़कों, स्कूल, कौलेजों, बाजारों, मंदिरों और विधानसभा तक में हवन, पूजापाठ, मंत्रोच्चारण चल रहे थे. चैन्नई के अपोलो अस्पताल के बाहर 24 घंटे हजारों लोग जयललिता के स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हुए खड़े रहे. 33 लोगों ने तो अब तक आत्महत्या कर ली, कुछ के प्रयास नाकाम हो गए.

तमिलनाडु में मानो दुनिया थम सी गई. टीवी पर मृत्यु की खबर आई तो दुकानें बंद, स्कूल बंद, ट्रैफिक बंद. मौत की घोषणा से पहले आई खबर पर भीड़ तोड़फोड़, हिंसा पर उतारू दिखी. केंद्र सरकार तक माहौल बिगड़ने की आशंका से चिंतित हुई और आनन फानन में सीआरपीएफ, सीआईएसफ को अलर्ट रहने के निर्देश दे दिए गए. राज्य सरकार स्वयं जयललिता समर्थकों में भावनात्मक उबाल की वजह से कानून व्यवस्था के संकट से घबराई रही और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई.

उधर संसद का सत्र छोड़ कर जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक के  सभी 36 लोकसभा और 13 राज्यसभा सांसद चैन्नई जा पहुंचे. जयललिता के सब से करीबी पनीरसेल्वम बहते आंसुओं से जेब में जयललिता की तस्वीर रखकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे. तमाम विधायक और जनता दहाड़े मारमार कर रोती नजर आ रहे थी.

किसी की मृत्यु पर दुख होना स्वाभाविक है. होना भी चाहिए. हर व्यक्ति को समाज को ऐसे मौकों पर संवेदनशील होना ही चाहिए. यह सब रोनाधोना धर्म की इस सीख के बावजूद है कि ‘‘जो आया है वह जाएगा, मृत्यु तो शाश्वत सत्य है, शरीर मरता है आत्मा अजर अमर है. गीता में कृष्ण ने अर्जुन तक अपने रिश्तेदारों की मृत्यु पर शोक ने करने की सीख दी थी.’’ इस तरह की बातें लोग अक्सर मृत्यु को ले कर करते रहते हैं.

दरअसल बात हमारी गुलाम मानसिकता की है. राजा को, शासक को ईश्वर का अवतार मानने की सोच आज लोकतंत्र में भी मजबूती से मौजूद है. जयललिता ने राज्य की अंधविश्वासी जनता को मुफ्त या बहुत सस्ते में रोटी, पानी, दवा, मकान दे कर अवतार का रूप पा लिया था. तमिलनाडु के आयंगर पंडेपुरोहितों ने ‘अम्मा’ नाम दे कर उन्हें चमत्कारी करार दे दिया.

लोगों को मेहनत, मजदूरी  कराने के साधन, कलकारखाने खुलवा कर रोजगार देने के बजाय अम्मा ने उन के लिए 5 रुपए में अम्मा रसोई खुलवा दी, मुफ्त का पानी, मुफ्त के दवाखाने खुलवा दिए. ऐसे में भला कौन अम्मा का मुरीद न होगा. यह मुफ्तखोरी व्यवस्था अम्मा ने ज्यादातर शूद्रों, दलितों के लिए की. द्रविड़ आंदोलन के चलते प्रदेश का दलित, पिछड़ा तबका ब्राह्मणों के भेदभाव, छुआछूत के व्यवहार से द्रविड़ पार्टी द्रमुक का वोटबैंक बन गया था पर अम्मा ने इस में  सेंधमारी कर ली. यही वर्ग आज अम्मा के लिए ज्यादा रोधो रहा है. गरीबों को पैसा सरकारी खजाने से बांटा जा रहा था. उन्हें मेहनत, रोजगार की सीख नहीं दी जा रही थी. यह कैसी महानता है, कैसी मसीहाई है? टैक्स चुकाने वाले का पैसा ले कर न चुकाने वालों को मुफ्त में बांट देना कौन सो अवतारी काम है?

क्या तमिलनाडु में गरीबी, भुखमरी, बेकारी, छुआछूत, भेदभाव दूर हट गया? राज्य में द्रविड़ आंदोलन जिस उद्देश्य से चला था वह समस्याएं आज भी मौजूद हैं. रामास्वामी पेरियार ने दलितों, शूद्रों के उत्थान के लिए जो अलख जगाई थी, वह इन वर्गों की अकर्मण्यता, अंधभक्ति, व्यक्तिपूजा और अंधविश्वास की भेंट चढ गई. करीब एक सदी के बाद भी यहां वर्णव्यवस्था की जीत दिख रही है.

ऊपर के वर्ण वाले की सेवा और कृपा को अपनी नियति मानने वाला अम्मा के बीमार होने और मृत्यु पर रो रहा दलित, शूद्र वर्ग इसी सोच के चलते अशिक्षा, गरीबी, भुखमरी, बेकारी और भेदभाव से मुक्त नहीं हो पा रहा है. ऐसी अंधी आस्था, भक्ति से व्यक्ति, समाज, देश को क्या मिल सकता है, यही कि अब तमिलनाडु में जगहजगह ‘अम्मा’ मंदिर बन जाएंगे, पोश गार्डन, मरीना बीच तीर्थस्थल का रूप ले लेंगे. देवीदेवता गढने में माहिर इस देश के पंडेपुरोहित अम्मा के चमत्कारों पर पुस्तकें रच देंगे, ‘अम्मा’ स्मृति, ‘अम्मा’ पुराण बिकने लगेंगे तो आश्चर्य कैसा?

पर राजा, शासक को अवतार, चमत्कारी मानने वाली इस अंधभक्त प्रजा को क्या मिलेगा? वह तो शिक्षा, मेहनत, रोजगार के  बिना रोती ही रहेगी. पुरोहित अंधभक्त जनता को रोते हुए ही देखना चाहते हैं ताकि वे इन के पास आए, चढावा चढाए, दानदक्षिणा दें. बलिहारी है ऐसी अंधभक्ति.

 

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