बौलीवुड में एक बहुत पुरानी कहावत है-‘‘आप उतने ही अच्छे होते हैं, जितनी आपकी पिछली फिल्म बाक्स आफिस पर अच्छी यानी कि सफल साबित होती है.’’ इस कहावत के अनुसार हृतिक रोशन तो 2014 में ही खराब अभिनेता साबित हो गए थे, जब उनकी 140 करोड़ रूपए की लागत वाली फिल्म ‘‘बैंग बैंग’’ को लागत वसूल करना मुश्किल हो गया था. सूत्रों के अनुसार इस फिल्म ने बाक्स आफिस पर कुल 181 करोड़ रूपए ही कमाए थे. सभी को पता है कि बाक्स आफिस पर जो रकम इकट्ठा होती है, उसमें से सिनेमा हाल के किराए व मनोरंजन कर आदि को काटने के बाद निर्माता के हाथ में मुश्किल से चालीस प्रतिशत रकम ही आती है. अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि 181 करोड़ में से निर्माता के हाथ में कितनी रकम लगी होगी.

बौलीवुड की उसी कहावत के आधार पर ‘व्हाट इज योर राशी’’ तथा ‘‘खेले हम जी जान से’’ जैसी बुरी तरह से असफल फिल्मों की वजह से फिल्मकार आशुतोष गोवारीकर भी दर्शकों के साथ बौलीवुड के कई निर्माताओं का विश्वास खो चुके थे. परिणामतः आशुतोष की नई फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ के साथ जुड़ने के लिए कोई तैयार नहीं था. ऐसे में ‘एक अंधा एक कोढ़ी’ के तर्ज पर ‘‘मोहनजो दाड़ो’’ में हृतिक रोशन व आशुतोष गोवारीकर की जोड़ी बन गयी. कई प्रयासों के बाद आशुतोष गोवारीकर इस फिल्म के निर्माण में अपने साथ डिज्नी को जोड़़ने में कामयाब हो गए थे.

मगर ‘मोहनजो दाड़ो’ की बाक्स आफिस पर जो दुर्गति हुई है, उसके लिए आशुतोष गोवारीकर के साथ साथ हृतिक रोशन भी बराबर के गुनाहगार हैं. इस फिल्म को डुबाने में इनका अपना योगदान है, भले ही इस बात को यह दोनों स्वीकार न करें. अपनी पिछली फिल्मों की असफलता के बावजूद ‘मोहनजो दाड़ो’ को हृतिक रोशन व आशुतोष गोवारीकर ने प्रमोट नहीं किया. हृतिक रोशन के पास मीडिया से मिलने का वक्त ही नहीं था, जबकि हृतिक रोशन घर पर खाली बैठे हुए थे. तो दूसरी तरफ फिल्म के लेखक व निर्देशक के साथ साथ सह निर्माता होते हुए भी आशुतोष गोवारीकर ने मीडिया से मिलना जरुरी नहीं समझा.

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