गोमतीनगर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का सब से पौश इलाका है. यहां नेताओं और अफसरों की बड़ीबड़ी कोठियां हैं, जिन की कीमत करोड़ों में है. इनको आलीशान ढंग से बनाया गया है. कोठियों में महंगी से महंगी लकड़ी का काम कराया गया है और संगमरमर से ले कर दूसरे महंगे से महंगे पत्थरों से इन को सजाया गया है.

कोठियों में रहने वाले लोगों से ज्यादा उन की महंगी गाडि़यां सफर के लिए तैयार खड़ी रहती हैं. हैरत की बात यह है कि ऐसे तमाम नेताओं और अफसरों को सरकार ने लखनऊ में ही रहने के लिए सरकारी बंगले और सफर करने के लिए सरकारी गाडि़यां दे रखी हैं.

इन के बच्चे भी देशविदेश के बड़ेबड़े स्कूलकालेजों में पढ़ते हैं और हवाईजहाज से सफर करते हैं. इन नेताओं व अफसरों के घरों में कुत्तों से ले कर कई पक्षी तक पाले जाते हैं, जिन की कीमत लाखों रुपए होती है. ये एयरकंडीशंड कमरों में रहते हैं और कार में सफर करते हैं. सभी के महंगेमहंगे फार्महाउस हैं. कई लोगों ने अपने इंजीनियरिंग और मैडिकल कालेज तक खोल रखे हैं. ऐसे लोगों के कई शहरों में भी बंगले हैं.

सरकार का बड़े से बड़ा अफसर भी 2 लाख रुपए हर महीने से ज्यादा की तनख्वाह नहीं पाता है. साल का 24 लाख रुपए कमाने वाला अफसर 10 साल में ढाई करोड़ रुपए ही जमा कर पाएगा.

अपनी पूरी नौकरी में वह 7 से 8 करोड़ रुपए की कमाई कर पाएगा, इस के बाद भी उस के पास इस से ज्यादा पैसा कहां से आया  जबकि वह अपनी तनख्वाह की सौ फीसदी बचत भी नहीं कर पाएगा, यह बहुत ही अहम सवाल है. इनकम टैक्स महकमे को ऐसे नेताओं और अफसरों के पास पैसा नहीं दिखता है. एक आम आदमी के पास 4 लाख रुपए कहां से आ गए, यह जानने की जुगत में सिर खपाने वाले इनकम टैक्स के अफसरों को ऐसे बड़ेबड़े नेताओं और अफसरों के घर दिखाई नहीं देते हैं. वे ज्वैलरी का कारोबार करने वाले सुनारों के यहां तो छापे मार रहे हैं, जबकि नेताओंअफसरों से नहीं पूछ रहे हैं कि उन के पास रखा सोना कहां से आया

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