देश को कालाधन से मुक्त कराने की राह में सबसे बड़ी बाधा खुद राजनीतिक पार्टियां बन रही हैं. सभी राजनीतिक पार्टियों के पास चंदे के रूप में बंद हो चुकी 500 और 1000 के नोट खाते में जमा हो रहे हैं. यह रकम अलग अलग कार्यकर्ताओं के द्वारा जमा कराई जा रही है.
लखनऊ में राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रताप चन्द्रा कहते हैं, ‘कालाधन सबसे बड़ी मात्रा में नेताओं, अफसरों और बड़े बिजनेस मैन के पास है. यह लोग राजनीतिक दलों को चंदा देते रहे हैं. अब पुराने नोट बंद होने के बाद यह लोग बैकों में पुराने नोट जमा करा रहे हैं. यह लोग इस जमा पैसे के एवज में पार्टी से चुनावी खर्च के रूप में कुछ पैसा वापस भी पा जायेंगे. ऐसे में कालाधन पार्टियों में जमा होकर सफेद हो रहा है.’
प्रताप चन्द्रा कहते हैं, ‘नोट बंद होने के बाद केवल आमजनता ही परेशान दिख रही है बड़े लोग परेशान नहीं हैं. किसी बैंक की लाइन में नहीं है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि ऐसे लोग राजनीतिक दलों के खातों में पैसा जमा करा रहे हैं. नोट बंद होने के बाद सभी दल एक दूसरे पर कालेधन को छिपाने और बचाने का आरोप लगा रहे हैं. माया, मुलायम, ममता और कांग्रेस पर आरोप लगाने वाली भाजपा भी इससे अलग नहीं है. यह बात सभी कर रहे है कि चुनाव में कालेधन का खर्च होता है. तब ऐसे इंतजाम क्यो नहीं किये गये कि राजनीतिक दल भी नोट बंद होने के बाद अपने खाते में जमा होने वाले चंदे का हिसाब दे. बात राजनीतिक दलों की है इसलिये हर दल चुप है.’