21वीं सदी में इंसान की जीवन प्रत्याशा काफी बढ़ गई है. विज्ञान और तकनीक के विकास के साथसाथ हमारी आयु का विकास भी हुआ है. पहले जहां औसत आयु 45-50 के बीच होती थी, वहीं आज मनुष्य 80-90 साल तक आराम से जी रहा है और उस का स्वास्थ्य भी बेहतर है. एक हालिया रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश में हुए एक सर्वे में सामने आया है कि वहां उम्र के साई बरस पूरा करने वाले लोगों में 62 फ़ीसदी महिलाएं हैं. प्रदेश के सभी जिलों में 100 - 150 साल के कुल 19378 मतदाता हैं. इन में 7347 पुरुष और 12030 महिलाएं हैं. यह सिर्फ एक राज्य का आंकड़ा है जो बताता है कि जीवन प्रत्याशा चार दशक पहले के मुकाबले लगभग दुगनी हो गई है. यह मानव जाति के लिए हर्ष की बात है.
पहले अनेक ऐसी बीमारियां थीं जिन का इलाज नहीं मिला था, इस कारण बीमारियों से लोगों की मृत्यु हो जाती थी, आज उन अनेकानेक बीमारियों के इलाज मौजूद हैं जो कभी जानलेवा थीं. ट्यूबर्क्युलोसिस (टीबी), हेपेटाइटिस, मलेरिया, दिमागी बुखार, कैंसर जैसे रोग जो जानलेवा कहे जाते थे, आज इन के मरीज दवाओं और विभिन्न थेरैपी से स्वस्थ हो जाते हैं. इस से जीवन के प्रति लोगों की सोच में भी बदलाव आया है. अब अधेड़ उम्र के लोग भी ज्यादा से ज्यादा साल तक जवान दिखने की कोशिश करते हैं. जिस में महिलाएं आगे हैं.
पहले 60 साल की उम्र में व्यक्ति नौकरी से रिटायर हो जाता था और उस के बाद ज्यादा से ज्यादा वह अगले दस बारह साल तक जीवित रहता था. इन दस-बारह सालों में वह मौत का इंतज़ार करते हुए धर्म कर्म के काम में लगा रहता था, तीर्थ यात्रा पर निकल जाता था या बीमारी से जूझता था और फिर मर जाता था. परन्तु अब जब जीवन प्रत्याशा अस्सी-नब्बे या सौ साल तक जा पहुंची है तो रिटायरमेंट के बाद तीस चालीस साल तक का समय उस के पास है. लिहाजा वह मौत का इंतज़ार नहीं करता बल्कि अधिक स्वस्थ और अधिक क्रियाशील बना रहना चाहता है.
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