लीवर ह्यूमन बौडी का एक महत्त्वपूर्ण पार्ट है. जहां एक ओर यह अद्भुत संग्रहालय है वहीं दूसरी ओर यह एक रासायनिक कारखाना भी है. खाने का डाईजेशन और एनर्गी उत्पादन यहीं होता है. इस की कोशिकाओं में पुनर्जीवित होने की अद्भुत क्षमता होती है. ऐसे में इस का संक्रमण शारीरिक क्षति है और विडंबना यह है कि यह रोग महामारी का रूप ले रहा है.
वायरल हेपेटाइटिस : इस रोग का कारक वायरस है. इस वायरस के कई रूप हैं. हेपेटाइटिस ए वायरस रोगी के मल से रोग को फैलाता है. संक्रमण के 2 हफ्ते बाद तक रोगी के मल में इन्हें देखा जा सकता है. अस्वच्छता तथा भीड़भाड़ का माहौल रोग फैलाने में सहायक होते हैं. रक्त तथा समलैंगिक यौन संपर्क से भी रोग फैलता है. संक्रमण के दिन से लगभग 2-4 सप्ताह के भीतर रोग के लक्षण दिखने लगते हैं. हेपेटाइटिस बी वायरस मुख्यतया रक्त द्वारा फैलता है. रोगी के काम में आई सूई द्वारा किसी स्वस्थ व्यक्ति को सूई लगाने से या संक्रमित व्यक्ति का रक्त किसी स्वस्थ व्यक्ति को देने जैसी प्रक्रिया से यह रोग फैलता है. शिशु में मां द्वारा भी यह रोग फैलता है. संक्रमण के दिन से 4 से 20 सप्ताह के भीतर रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं. हेपेटाइटिससी वायरस भी रक्त द्वारा रोग फैलाता है जैसे रक्तदान, संक्रमित सूई का प्रयोग आदि. संक्रमण दिवस से ले कर 2 से 26 सप्ताह के भीतर रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं. हेपेटाइटिस डी वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए बी वायरस की आवश्यकता रहती है. संक्रमण दिवस से 6 से 9 सप्ताह के भीतर रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं. हेपेटाइटिस ई वायरस रोगी के मल द्वारा रोग को फैलाता है. संक्रमण दिवस से 3 से 8 सप्ताह के भीतर रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं.
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