कुछ दिन पहले सोसाइटी में सामने वाले घर में दो नए लोग रहने आए थे. लड़के की उम्र 28 और लड़की की 22 साल के करीब होगी. दोनों सुबहसुबह तैयार हो कर बाइक पर निकल जाते. देर रात को घर आते. घर के दरवाजे हमेशा बंद रहते. मेरी पड़ोसन जब भी मिलती उन दोनों की बुराइयां करती. पता नहीं कैसे लोग आए हैं, न किसी से बात करते, पता नहीं क्या काम करते हैं. लड़की को देखा है कैसे कपड़े पहनती है. मैं उस की बात का कोई जवाब नहीं देती. क्योंकि मैं दूसरों की जज करने की अपनी पड़ोसन की आदत को जानती थी.

बाद में जब मैं दोनों से मिली तो पता चला दोनों भाईबहन हैं, मातापिता कोविड में इस दुनिया से चले गए. दोनों भाईबहन अपनी ज़िंदगी को पटरी पर लाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं. इसीलिए सुबहसुबह नौकरी पर निकल जाते हैं और देर रात घर आते हैं.

“कैसे कपड़े पहन कर आया था, इसलिए मैं ने उसे इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया, वह मुझे बड़ी अजीब सी लगी, बहुत कम बोलती है. कैसे कपड़े पहनती है.” अपने आसपास लोगों की आपसी बातचीत में ऐसे वाक्यांश अकसर सुनने को मिलते हैं. कई बार हम भी जानेअनजाने में दूसरों के प्रति अपनी ऐसी ही राय बना लेते हैं.

सोचेंसमझें, समय दें फिर करें जज

किसी भी इंसान के व्यक्तित्व के कई पहलू होते हैं जो दूसरों के सामने धीरेधीरे खुलते हैं. इसलिए पहली मुलाकात में ही किसी के बारे में अपनी राय बनाना गलत होता है. बेहतर यही होगा कि किसी भी व्यक्ति से पहली बार मिलने के बाद उसे समझने के लिए खुद को थोड़ा समय दें.

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