घर जरूरत की हर सुखसुविधा से युक्त होना चाहिए और यह तब ज्यादा जरूरी हो जाता है जब आप सीनियर सिटिजन की श्रेणी में आ जाएं क्योंकि स्वयं की सुरक्षा आप के लिए प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए. जीवन चलने का नाम है - बाल्यावस्था, युवावस्था और फिर वृद्धावस्था. इसी प्रकार विवाह, बच्चे और फिर मम्मीपापा से दादीदादा बनने का सफर. जीवन अपनी निर्बाध गति से चलता ही रहता है. युवावस्था में हम घर बनवाते हैं अपने परिवार और बच्चों की जरूरत के मुताबिक. परंतु एक दौर ऐसा आता है जब बच्चे अपनी जिंदगी में सैट हो जाते हैं और घर में रह जाते हैं केवल बुजुर्ग पति व पत्नी.

अब आप सीनियर सिटिजन की श्रेणी में आ जाते हैं, शरीर कमजोर हो जाता है और काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है. इसलिए अब आवश्यकता होती है अपने घर को भी सीनियराइज करने की यानी अपनी उम्र को देखते हुए अपने घर और उस की व्यवस्था में आप इस प्रकार से परिवर्तन करें जिस में आप को अधिक से अधिक आराम हो और आप दोनों सहजता से अपने सभी कार्य कर सकें. इस अवस्था के अधिकांश लोग अपने घर में ही रहना पसंद करते हैं. परंतु कई बार उन का घर में रहना बहुत रिस्की और कठिन हो जाता है. इस उम्र में आमतौर पर गिरने की समस्या बहुत बढ़ जाती है. इसलिए घर में इस प्रकार से बदलाव किया जाए कि आप को आराम तो हो ही, साथ ही, आप की सुरक्षा प्रथम प्राथमिकता हो.

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