लड़के और लड़कियां 2 अलग जैंडर हैं जिन का व्यवहार, पर्सनैलिटी, पसंदनापसंद और सोचविचार सभी इसी जैंडर पर निर्भर करते हैं. निर्भर इसलिए करते हैं क्योंकि बचपन से ही उन के चुनाव इसी जैंडर से प्रभावित होते हैं. लड़की है तो पिंक, लड़का है तो ब्लू, लड़की है तो बार्बी डौल, लड़का है तो एयरोप्लेन, लड़की है तो घरघर, लड़का है तो चोरपुलिस. बस, इसी के चलते 2 अलग जैंडर हमेशा के लिए अलग हो कर रह जाते हैं.

लड़कियों की पहचान इसी कारण शीतल, सौम्य और लड़कों की उत्तेजक? व गुस्सैल की बनी हुई है. यह पहचान उम्रभर साथ रहती है. बच्चे बचपन से ही अपने लैंगिक दोस्त बनाते हैं, और जब यही बच्चे बड़े होतेहोते इन्हीं लैंगिक गु्रप्स में रहते हैं तो उन के विचार, हावभाव, सोच और नजरिया सिर्फ इस एक जैंडर के अनुसार होता है.

लड़कियों के ग्रुप का हाल

लड़कियों का यदि एक गु्रप है जो हमेशा ही साथ रहता है, उस गु्रप की लड़कियां लड़केलड़कियों के मिक्स गु्रप की लड़कियों से बेहद अलग होंगी. उन की बातें हमेशा इस रहस्य से भरी हुई होंगी कि लड़के आपस में क्या बातें करते होंगे, उस लड़की ने कब कौन सी ड्रैस पहनी थी, कौन से मेकअप प्रोडक्ट्स मार्केट में नए आए हैं आदि. जबकि दूसरी यानी मिक्स गु्रप में रहने वाली लड़कियों की बातें दोनों लिंगों के आधार पर होंगी, जिन के विचार और बातें मुक्त होंगी न कि जैंडर बेस्ड.

17 वर्षीया ख्याति दिल्ली के नामी कालेज में पढ़ती है. इंग्लिश औनर्स में उस का प्रथम वर्ष है. ख्याति के कालेज में वैसे तो लड़केलड़कियां दोनों साथ पढ़ते हैं लेकिन उस के गु्रप में केवल लड़कियां ही हैं जिस का एक कारण तो यह भी है कि उस की 54 बच्चों की क्लास में केवल 12 ही लड़के हैं. कालेज के पहले महीने में ही ख्याति और उस की 5 सहेलियों का एक गु्रप बन चुका था.

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