आज के दौर में ज्यादातर पतिपत्नी अकेले रहते हैं. ऐसे में गर्भावस्था के दौरान पत्नी की देखभाल और प्रसव यानी डिलिवरी बाद नवजात की देखभाल कठिन काम हो जाता है. इस हालात से निबटने के लिए पति को मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए. उसे प्रसव के दौरान की कुछ जानकारी भी होनी चाहिए. इस बारे में लखनऊ के मक्कड़ सैंटर की डाक्टर रेनू मक्कड़ ने कुछ टिप्स दिए. आंकड़े बताते हैं कि जिन औरतों के मामलों में गर्भावस्था के दौरान सावधानी नहीं बरती जाती, समय पर इलाज नहीं कराया जाता उन औरतों में प्रसव के दौरान रिस्क बहुत बढ़ जाता है. गर्भावस्था के दौरान औरतों के शरीर में तमाम तरह के बदलाव होते हैं, जिस से शरीर में भी कई तरह के बदलाव होते हैं. समय पर इन बदलावों को डाक्टर से बता कर सलाह लेनी चाहिए.

आने वाले संकट का मुकाबला करने के लिए शरीर को तैयार कर लिया जाए ताकि शरीर किसी भी गंभीर बीमारी के जाल में न फंसे. खतरे से न घबराएं

गर्भावस्था के दौरान कुछ लक्षण कभी नजरअंदाज नहीं करने चाहिए. योनि, गुदा और निपल से थोड़ा सा भी खून रिसता दिखाई दे तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अगर चेहरे और हाथों में सूजन हो या किसी तरह का कोई उभार हो तो डाक्टर से जरूर बात करें. तेज सिरदर्द भी गर्भावस्था में किसी न किसी गंभीर बीमारी का संकेत देता है. अगर आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है या फिर धुंधला दिखाई देता है तो इसे भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. पेट में तेज दर्द, कंपकंपी और बुखार भी खतरनाक संकेत माने जाते हैं.

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