‘पता नहीं वो मेरे साथ एडजेस्ट कर पाएगी या नहीं? कहीं वह बेटे को हमसे अलग न कर दे. राजन के पापा कहते हैं कि मैं बहुत ज्यादा डामिनेटिंग हूं, मेरी किसी से नहीं बन सकती. बहू से भी नहीं बनेगी. क्या करूं वकील हूं. अपनी बात मनवाने की आदत हो गयी है. सही बात पर अड़ जाती हूं तो अब इसमें डामिनेटिंग होने वाली बात कैसे आ गयी?’

कामिनी सचदेवा ने अपनी चिन्ता अपनी सबसे करीबी सहेली अनुराधा से जाहिर की. कामिनी के बेटे राजन की शादी अगले महीने डॉ. अरुणा से होनी है. अरुणा गायनोकौलोजिस्ट है. अपने पापा के नर्सिंग होम में काम करती है. जबकि कामिनी और उनका बेटा राजन दोनों वकालत के पेशे में हैं और उनके पति का बिजनेस है. कामिनी काफी तेज-तर्रार महिला है, जिसके चलते उनके पेशे में उनका काफी नाम भी है. रिकॉर्ड है कि अभी तक वह कोई केस नहीं हारी हैं. मगर जब बात घर-परिवार की होती है तो कामिनी की यही तेजी उन पर कई बार भारी पड़ जाती है. उनके ज्यादातर रिश्तेदार उनके परिवार से इसीलिए दूर-दूर रहते हैं क्योंकि वह अपने आगे किसी की सुनती ही नहीं हैं. अक्सर उनको तेज स्वर में बातें करते सुन लगता है जैसे वह लड़ रही हैं. इधर जब से उनके इकलौते बेटे राजन की शादी तय हुई है तब से पति कई बार उन्हें समझा चुके हैं कि थोड़ा धीमे स्वर में बात किया करो. हम दोनों तो तुम्हारी बातें बर्दाश्त कर लेते हैं, लेकिन बहू के साथ अपने व्यवहार को नरम रखना, वरना वह इस घर में दो दिन भी नहीं टिकेगी. ऐसा न हो कि राजन उसको लेकर हमसे अलग हो जाए.

कामिनी दिल से बहुत अच्छी महिला हैं मगर जुबान की जरा कठोर हैं. सच को नंगा खड़ा कर देना उनकी आदत है. झूठ या बनावट उन्हें पसन्द नहीं है. सुस्ती बर्दाश्त नहीं है. खुद भी हमेशा चुस्त रहती हैं और चाहती हैं कि सब उनकी तरह चुस्ती-फुर्ती दिखाएं. इसके चलते ड्राइवर से लेकर मेड तक परेशान रहती है. अब जब बेटे की शादी तय हुई है तो उनके इस व्यवहार के कारण न सिर्फ उनका बेटा और पति भविष्य के प्रति आशंकित हैं, बल्कि वह खुद भी परेशान हैं कि कहीं उनकी कोई बात बहू गलत तरीके से न ले ले. आखिर वह भी एक डॉक्टर है, भला उनकी बातें क्यों बर्दाश्त करेगी? इसी डर से कामिनी आजकल खुद को बदलने की कोशिश में लगी हुई हैं. आजकल वह हरेक से धीमे स्वर में बात करने की कोशिश करती हैं.

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वैसे भी सास-बहू का रिश्ता बड़ा नाजुक होता है. दोनों के बीच तनातनी बनी ही रहती है. शादी के बाद जहां लड़की के जीवन में तमाम बदलाव आते हैं, वहीं सास की जिन्दगी भी बदल जाती है.

माओं को बेटे की शादी की खुशी तो होती है, मगर बदलाव के लिए वह पहले से तैयार नहीं होती हैं. यही वजह है कि अधिकतर भारतीय परिवारों में बेटे की शादी के बाद रिश्ते उलझ जाते हैं और पूरा परिवार ट्रैक से उतर जाता है. तो अगर आप भी सास बनने जा रही हैं तो कुछ बातों के लिए खुद को उसी तरह तैयार करिए जिस तरह आपकी आने वाली बहू आप सबके साथ एडजेस्ट होने के लिए खुद को तैयार कर रही है. जरा सोचिए कि एक लड़की के लिए कितना मुश्किल होता है अपने मां-बाप, भाई-बहन, घर-परिवार को छोड़कर अनजान लोगों के साथ उनके घर में रहने के लिए खुद को तैयार करना. अपनी जिन्दगी जीने के तरीकों को छोड़कर दूसरे के बताए तरीके से जिन्दगी जीने के लिए रजामंद होना. वह अपना सबकुछ छोड़कर आएगी आपका घर संभालने, आपका वंश चलाने तो उसके लिए आशंकाएं पालने की अपेक्षा जरूरी है अपनापन विकसित करना.

कभी न सोचें कि बेटा हाथ से निकल जाएगा

अक्सर महिलाएं यह सोच कर परेशान रहती हैं कि जिस बेटे को उन्होंने अपना खून-पसीना, लाड-प्यार देकर पाला-पोसा, बड़ा किया वह शादी के बाद उनसे दूर हो जाएगा. उस पर बहू का कब्जा हो जाएगा. उसका प्यार बंट जाएगा. जबकि ऐसा नहीं है. आप अपनी शादी के शुरुआती दिनों को याद करिये. क्या आपने कभी अपने पति को अपनी सास से छीनने की बात सोची थी? नहीं. लेकिन आप दोनों की नजदीकियां देखकर आपकी सास का पारा हमेशा चढ़ा रहता था. वह आप पर हमेशा आरोप लगाती थी कि आपने उनसे उनका बेटा छीन लिया. जबकि ऐसा कतई नहीं था. आप इस बात को बहुत बेहतर जानती हैं कि आपकी सास की आशंका गलत थी.

यह इंनसिक्योरिटी हर महिला में होती है. इसी के चलते सास अपनी बहू से अपना तालमेल नहीं बिठा पाती है. बेटे को उसकी पत्नी मिली है, जिसके साथ उसको जीवन गुजारना है. अगर शादी के शुरुआती दिनों में वह उसकी नजदीकियां नहीं पा सकेगा, उसको नहीं समझ सकेगा तो उनका रिश्ता हमेशा के लिए कमजोर रह जाएगा. क्या आप चाहती हैं कि आपके बेटे के साथ ऐसा हो? अगर नहीं तो अपने बेटे-बहू को ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त साथ रहने दीजिये, उनके छोटे-बड़े फैसले मिलजुल कर लेने दीजिए. इससे उनकी अन्डरस्टैंडिंग बढ़ेगी और एकदूसरे पर विश्वास मजबूत होगा. आपको यह बातें समझनी चाहिएं और अपने बेटे को सपोर्ट करना चाहिए. आप मां हैं. आपकी जगह कोई भी नहीं ले सकता है. आप यह बात समझें कि आपकी बहू भी उसी इन्सान पर अपना प्यार लुटा रही है जिस पर आप लुटाती आयी हैं. अगर आप उन दोनों के साथ रहने पर खुशी जताएंगी तो उसका प्रसाद आपकी झोली में ही आना है.

बहू नहीं लेती है सास की जगह

कहा जाता है कि किचेन एक ऐसा स्थान है जहां सास और बहू दोनों अपना-अपना राज कायम करके रखना चाहती हैं. यह बात बिल्कुल भी सच नहीं है. सच तो यह है कि बीस-पच्चीस साल की लड़कियां रसोई बनाने के शुरुआती चरण में होती हैं और उस समय उनको खाना बनाने में एक्सपेरिमेंट करना अच्छा लगता है. वह नयी-नयी डिश ट्राई करती हैं. फिर शादी तय होने पर हर लड़की अपने मायके में कुछ नया बनाना सीखती है, और ससुराल आने पर वह उसे बना कर सबको खिलाना चाहती है. खासतौर पर अपने पति का दिल जीतना चाहती है. इसका मतलब यह नहीं है कि वह किचेन में आपकी जगह लेना चाहती है या अपने हाथ का स्वाद चखा कर घर के पुरुष सदस्यों को अपने कब्जे में करना चाहती है.

आप यह सोचिए कि यदि आपकी बेटी की शादी होने वाली हो और आप उसे कुछ नई रेसेपीज सिखाएं और फिर उसकी ससुराल में उसके हाथ का खाना खाकर उसके पति और सास-ससुर उसकी प्रशंसा करें तो इससे आपकी बेटी को कितनी खुशी मिलेगी. कुछ ऐसा ही आपकी बहू आपसे उम्मीद करेगी. उसके बनाए खाने को खाकर अगर आप उसकी थोड़ी सी प्रशंसा कर दें तो वह खुशी से झूम उठेगी और हो सकता है आपके गले ही लग जाए. आप दोनों के बीच ऐसा रिश्ता देखकर बेटा तो आपकी ममता का कायल हो जाएगा. इसलिए अगर बहू कुछ नया ट्राई कर रही है तो उसमें मीन-मेख निकालने की जगह उसका हाथ बंटाइए. रसोई में खुशियां रहेंगी तो पूरे घर में खुशियां रहेंगी.

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उसके मायके जाने पर रोकटोक न करें

आपको याद है जब आप शादी करके आयी थीं तो आपका मन अपने मां-बाप से मिलने के लिए कितना छटपटाता था? रात को जब सब सो जाते थे तो आप अपने मां-बाप को याद करके सारी रात आंसू बहाती थीं. याद है न? दरअसल मां-बाप से छूटना किसी के लिए भी बहुत तकलीफदेह होता है. भारतीय रवायत ने हमेशा लड़कियों से उनका घर छुड़वाया है. घर छूटने के दर्द का अहसास सास को बखूबी होता है, लेकिन जब उसकी बहू की बात आती है तो वह कोशिश करती है कि वह अपने मायके न जाए. भला क्यों? आपका बेटा आपके पास रहता है तो क्या बहू साल-छह महीने में कुछ दिनों के लिए अपने मां-बाप के साथ रहने न जाए? आपको यह बात समझनी चाहिए कि उसका अपने पैरेंट्स के पास जाना उतना ही नेचुरल है जितना आपके बेटे का आपके पास रहना. मायके जाने का यह मतलब नहीं है कि वह आपका सम्मान नहीं करती है. वह अपने मां-बाप से या भाई-बहन से फोन पर बातें करती है तो आपके कान खड़े हो जाते हैं. क्यों? क्या वह अपने जन्म देने और पालने-पोसने वालों से सिर्फ इसलिए नाता तोड़ ले क्योंकि अब वह आपके घर की बहू है? वह आपकी बहू है, आपके घर की बंधुआ मजदूर नहीं? आपके बेटे से शादी करके उसके रिश्तेदारों की लिस्ट में वृद्धि हुई है, पहले के रिश्ते टूटे नहीं हैं. इसलिए उन रिश्तों को निभाने की राह में बाधा न बनें वरना आपसे उसका रिश्ता खत्म होते देर नहीं लगेगी.

बेटा बहू का हाथ बंटाए तो बुरा क्या है

माएं अपने बेटों को कभी घर का काम करना नहीं सिखाती हैं, नतीजा यह होता है कि बेटे कभी किचेन में मां का हाथ बंटाते नहीं देखे जाते हैं, जबकि पति अक्सर पत्नी का हाथ बंटाते पाये जाते हैं. पति बर्तन-कपड़े धोता दिखता है. सब्जी-भाजी खरीदता नजर आता है. यहां तक कि कुछ पति तो नाश्ता-खाना भी बना देते हैं. बच्चों की देखभाल भी कर लेते हैं और उन्हें स्कूल के लिए भी रेडी कर देते हैं. आपके पति ने भी यह सारे काम आपके लिए किये होंगे. फिर आपको क्यों बुरा लगता है जब आपका बेटा आपकी बहू के साथ किचेन में कुछ काम करवा रहा होता है? आप अपनी सहेलियों में यह चुगली क्यों करती हैं कि बहू ने बेटे को बिल्कुल अपने कंट्रोल में कर रखा है? वह उसके आगे-पीछे नाचता रहता है? सच तो यह है कि नया शादीशुदा जोड़ा ज्यादा से ज्यादा वक्त साथ बिताना चाहता है. रसोई भी ऐसी जगह है जहां एक साथ काम करते हुए दोनों के बीच अंडरस्टैंडिंग बढ़ती है. वहां वे आपस में बातें करते हुए अपने प्यार और रिश्ते की डोर को और मजबूत करते हैं. क्या आप नहीं चाहतीं कि आपके बेटे-बहू के बीच हमेशा प्यार और सामंजस्य बना रहे?

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अब सबकुछ आपके व्यवहार और सोच पर निर्भर है. आप अपने घर को स्वीट होम बनाना चाहती हैं या पानीपत का मैदान यह आपके हाथ में है. पूर्वाग्रहों और दकियानूसी सोच को परे रखकर नई बहू का स्वागत करेंगीं और उसे बेटी मान कर उसके साथ अपना रिश्ता आगे बढ़ाएंगी तो आपके बेटे का ही नहीं वरन आपका भी वर्तमान और भविष्य दोनों सुखी बनेगा. प्यार भी बढ़ेगा और मान सम्मान भी.

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