कभी कभी जिंदगी हमें ऐसे दोराहे पर लाकर खड़ा कर देती है कि हम स्वयं तय नहीं कर पाते कि हमें क्या करना चाहिए. मान लीजिए कि आप शादीशुदा है और आप को किसी दूसरे शख्स से बहुत गहरा प्रेम हो जाता है. ऐसे में यह फैसला करना बहुत कठिन होगा कि जिस से शादी हुई है पर प्यार नहीं है, उसे चुने या फिर जिस से प्यार है पर शादी नहीं हुई, उसे.

कभी भी हो सकता है प्यार

माना आप किसी के कौंटेक्ट में आती हैं. हो सकता है वह औफिस में आप के साथ हो, पड़ोसी हो, किसी इवेंट में मिला हो या पति/पत्नी का फ्रेंड हो. यानी आप की अक्सर उस से मुलाकात हो जाती है. धीरे धीरे आप को महसूस होता है कि आप उस के साथ वे बातें भी शेयर कर सकती है जिन्हें दूसरों से नहीं कर पाती. आप दोनों एकदूसरे की कंपनी पसंद करने लगते हैं. घंटों बिना थके एकदूसरे से बातें करते हैं और फिर वह आप को आकर्षक लगने लगता है. धीरे धीरे आप उस से अपने दिल के राज शेयर करने लगती है. अपना डर ,अपनी ख्वाहिशें और विचार बांटने लगती है. आप को ऐसा लगने लगता है जैसे उस की तरह से किसी ने आप को नहीं समझा हो या उस के साथ आप बेहद सुरक्षित महसूस करती हैं. आप दोनों के बीच की अंडरस्टैंडिंग मजबूत होती जाती है. आप उस के साथ इमोशनली जुड़ने लगती है. उस के लिए एहसास जागने लगते हैं. आप को लगता है काश यह शख्स विवाह से पहले मिल गया होता.

यह कनेक्शन इतना गहरा हो जाता है कि आप उसे किसी भी हाल में खोना नहीं चाहती. आप दो शरीर और एक प्राण बन जाते हैं. मगर आप को अपने अंदर गिल्टी भी फील होती है कि आप विवाहिता है और अपने पति का विश्वास तोड़ रही हैं. पर आप उस के आकर्षण के आगे मजबूर हैं.

जमाने के डर से आप दोनों ऐसी जगहों पर मिलना शुरू कर देते हैं जहां कोई भी आप को देख न सके. आप एकदूसरे से ऐसी बातें भी शेयर करनी शुरू कर देते हैं जैसी बातें विवाहित व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के अलावा किसी और से नहीं करनी चाहिए. आप को एकदूसरे का हाथ पकड़ना ,हग करना, किस करना वगैरह बहुत अच्छा लगने लगता है. एक समय आता है जब सारी सीमाएं तोड़ कर आप एक दूसरे में खो जाते हैं. समय के साथ आप दोनों को एकदूसरे की इतनी जरूरत महसूस होने लगती है कि आप जीवनसाथी से झूठ बोल कर रेस्टुरेंटस, होटल्स या दूसरे शहर जा कर भी उस से मिलने लगते है.

अब आप आजाद हो कर हमेशा उस शख्स के साथ जीना चाहती हैं. खुले तौर पर उस से मिलना चाहती हैं और चीख चीख कर सबों से कहना चाहती है कि आप को उन से प्यार है. आप अपने प्रेमी के साथ भविष्य के खूबसूरत सपने देखने लगती हैं. आप उस के नाराज होने या दूर जाने के ख्याल से भी घबराने लगते हैं.

इस रिश्ते की वजह से आप के मन में तरह तरह के सवाल उठने लगते हैं मसलन, क्या मुझे अपने प्रेमी के साथ भाग जाना चाहिए या फिर बच्चों की खातिर पति के साथ ही रहना चाहिए?  पति ने कभी मेरा बुरा नहीं किया तो क्या उन को अकेला छोड़ना ठीक होगा? पति के बारे में सोचते सोचते आप फिर से प्रेमी के ख्यालों में खो जाती हैं. आप को वह इंसान दुनिया का सब से खूबसूरत तोहफा नजर आने लगता है. जब आप उस के साथ नहीं होती तो उसे बहुत मिस करती है और जब आप अपने पति या बच्चों की तरफ देखती है तो एक गिल्ट महसूस करती हैं.

आप को इस बात का भी मलाल होता है कि बचपन से आप के मन में जो विश्वास और मान्यताएं बिठाई गई हैं आप उस से उलटा व्यवहार कर रही है. इसलिए आप के मन में कंफ्यूजन की स्थिति बनी रहती है. आप अपनेआप को यह समझाने का प्रयास करती हैं कि आप जो कर रही हैं वही उचित है पर मन का कोई कोना इस का प्रतिकार भी कर रहा होता है.

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सोच समझ कर लें फैसला

आप अपने जीवनसाथी से अपने प्रेमी की तुलना करने लगती हैं और हमेशा प्रेमी का पलड़ा ही भारी होता है. ऐसी परिस्थिति में किसी भी स्त्री के लिए कोई फैसला लेना बहुत कठिन होता है. बेहतर है की भावनाओ में बह कर अचानक कोई फैसला न ले. बिना सोचेसमझे आवेश में लिए गए फैसले हमेशा कष्टकारी होते हैं.

सबसे पहले सोचे कि आप का फैसला किसे प्रभावित करेगा. यदि आप विवाहित हैं और आप का पति आप से प्रेम करते हैं. हमेशा आप के साथ रहना चाहते हैं. पर आप किसी और के लिए उन्हें छोड़ देती है तो जाहिर है कि आप अपने पति को चोट पहुंचा रही हैं. यदि आप उस व्यक्ति को छोड़ने का फैसला लेती है जिस के साथ आप रिलेशनशिप में है और वह आप से बेपनाह मोहब्बत करता है तो कोई शक नहीं कि आप अपने प्रेमी को दुख पहुंचाएंगी. आप इन दोनों में से किसी भी एक को छोड़ने का फैसला क्यों न ले आप खुद को चोट पहुंचाने से रोक नहीं सकती. प्यार करने वाले पति को छोड़े या प्रेमी को, दर्द तो आप को ही होगा.

इस लिए कोई भी फैसला लेने से पहले हर पहलुओं पर विचार करें और कोशिश करें कि आप के फैसले से दूसरों को कम से कम तकलीफ पहुंचे.

बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव

यदि आप के इस विवाह से बच्चे हैं तो जाहिर है पति को छोड़ने का फैसला आप के बच्चों की खुशी पर भारी पड़ेगा. भले ही उन की उम्र कुछ भी क्यों न हो उन्हें तकलीफ तो होगी ही. मांबाप के तलाक से जहाँ छोटे बच्चों की पढ़ाईलिखाई और परवरिश प्रभावित होती है वहीं बड़े बच्चे भी साइकोलॉजिकली बहुत ज्यादा डिस्टर्ब हो जाते हैं. ऐसा नहीं है कि उन की जिंदगी हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगी. ऐसा नहीं है कि उन की जिंदगी हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगी पर इस दर्द का असर ताउम्र उन के व्यक्तित्व पर जरूर रहेगा.

याद रखे हो सकता है कि अपने प्रेमी के लिए जो गहरे और सकारात्मक भाव आप अभी महसूस कर रही हैं वह हमेशा न रहे. समय के साथ एहसास बदलते हैं. इसलिए ठीक से विचार कीजिए कि आप के इस कदम का क्या प्रभाव पड़ेगा. आप को क्या मिलेगा और क्या खो देंगी. अच्छी तरह समझ कर ही कोई फैसला ले.

माना आप जीवनसाथी को तलाक दे कर प्रेमी के साथ चली जाती है और शादी कर लेती है. मगर क्या पता आप जीवनसाथी से पूरी तरह अलग न हो सके या फिर आप की दूसरी शादी भी लंबे समय तक नहीं टिक सके. क्यों कि जब आप प्रेमी के लिए पति और बच्चों को छोड़ कर आती है तो अपने प्रेमी से आप की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा होती है. उन के पूरा न होने पर आप नॉर्मल मैरिड लाइफ नहीं जी पातीं.

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यदि आप ने अपने प्रेमी को छोड़ने का फैसला लिया है तो संभव है कि आप अंदर से बहुत दुखी हो जाए. यह दुख 10 मिनट 10 माह 10 साल तक कायम रह सकता है. यदि आप को लगता है कि 10 साल बाद आप अपने इस फैसले से खुश हो सकती हैं तो आप प्रेमी को छोड़ने का फैसला ले सकती है.

अच्छी तरह विचार कर लें कि क्या आप अपने विश्वास और मान्यताओं के विरुद्ध चल कर खुशी महसूस कर सकेंगी ?

मगर यदि आप ऐसी वैवाहिक जिंदगी जी रही हैं जहां आप के जीवन में पति का प्यार नहीं जब कि प्रेमी के पहलू में आ कर आप का हर अधूरा सपना पूरा हो सकता है तो जीवन के इस मुकाम को छोड़ना भी उचित नहीं होगा.

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