देश का एक बड़ा वर्ग इस बात की मांग कर रहा है कि देश में समान शिक्षा प्रणाली लागू की जाए. इस वर्ग के लोग कहते हैं कि देश में एक ओर अच्छे व महंगे स्कूल हैं जहां अंगरेजी माध्यम से पढ़ाई होती है और वहां के बच्चे पढ़लिख कर आगे बढ़ रहे हैं, दूसरी ओर गरीब बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं और पिछड़ रहे हैं.

यह सही है कि अच्छी शिक्षा बच्चे को काबिल बनाने के लिए बेहद जरूरी होती है. वहीं, यह जरूरी नहीं कि महंगे स्कूलों में पढ़ने के बाद ही बच्चे अच्छे बनें. ऐसे स्कूलों में पढ़ने वाले कुछ बच्चे महंगे शौक और गलत सोहबत में

पड़ कर बिगड़ भी रहे हैं, जिस से यह नहीं कहा जा सकता कि महंगे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अच्छे व काबिल ही बनते हैं.

पुलिस के पास ऐसे मामले रोज आ रहे हैं जिन में अपराधी ऐसे बच्चे हैं जो होस्टल में पढ़ने आते हैं. ऐसे बिगड़ैल बच्चे अपने शौक पूरे करने के लिए लूटपाट व चोरी सहित तमाम तरह के अपराध करते हैं. इन में लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं. ज्यादातर परिवार घर की लड़कियों पर ज्यादा सख्ती रखते हैं. ऐसे में उन का लड़कों पर ध्यान नहीं जाता जिस से वे ज्यादा बिगड़ने लगते हैं.

लखनऊ का ही उदाहरण लें. शहर के गोमतीनगर और गाजीपुर थानों की पुलिस ने ऐसे युवकों को पकड़ा जो इंजीनियरिंग, मैनेजमैंट और दूसरे विषयों की पढ़ाई करने छोटे शहरों से लखनऊ आते हैं. जब से साइबर क्राइम और डिजिटल अपराध बढे़ हैं, ये युवक सामने आने लगे हैं. दूसरों के क्रैडिट कार्ड से पैसा निकाल कर अपराध करने वालों में युवकों की तादाद ज्यादा है.

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