सर्राफा यों तो सोनेचांदी की मार्केट को कहते हैं और इंदौर सर्राफा बाजार इस के लिए काफी मशहूर भी है, लेकिन सर्राफा बाजार बंद होने के बाद वहां स्वादिष्ठ व्यंजनों के खोमचे जम जाते हैं और ये करीब रात भर जमे रहते हैं. बाजार के ज्वैलर्स बताते हैं कि सर्राफा बाजार के रात को व्यंजन मार्केट बनने के कई कारण हैं. पहला यह कि रात भर की चहलपहल और दुकानों के बाहर खोमचे लगने की वजह से ज्वैलरी की दुकानों में चोरी का डर नहीं रहता. दूसरा बाहर से आने वाले व्यापारियों को खाने का सामान आसानी से मिल जाता है. और तीसरा सब से बड़ा कारण शहर का चटोरापन है. गरमी के मौसम में कुल्फी फलूदा तो सर्दी के मौसम में गराडू और गुलाब जामुन के साथसाथ मालपूए खाने लोग आसपास के शहरों से भी आते हैं.
स्वादिष्ठ गराड़ू:
गराड़ू शायद इंदौर में ही खाया जाता है. यह एक प्रकार का जमींकंद है और पश्चिमी मालवा में उगता है. पत्थर की तरह दिखने वाला मोटा सा जमींकंद बड़ा ही फायदेमंद होता है. इसे काटते ही इस में से लुआब टपकने लगता है. यह लुआब गाढ़ा और चिकना होता है जो जोड़ों के दर्द में काफी लाभदायक होता है. इसे तेल में देर तक तला जाता है और फिर मसाला बुरक कर खाया जाता है. सर्राफा बाजार में रात को गराड़ू का स्वाद लिया जा सकता है.
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दूध की शिकंजी:
शिकंजी का नाम सुनते ही अगर आप के जेहन में नीबू, पुदीने से बना ठंडा मीठा स्वाद से भरा गिलास सामने आ जाता है तो आप सही नहीं हैं. जी हां, कम से कम इंदौर में शिकंजी तो दूधरबड़ी से बनी, मेवों से लबरेज एक लजीज और ताजगी प्रदान करने वाली चीज है. है तो यह भी पेय ही, किंतु 1 गिलास इस का पीने के बाद आप दिन भर कुछ न खाएंगे. सर्राफा में नागोरी मिष्ठान्न भंडार पर केवल 2 बजे तक यह पेय मिलता है. अगर शिकंजी के गिलास 2 बजे से पहले ही खत्म हो जाते हैं तो लोग दुकानें बंद कर चले जाते हैं. हां, इस के अलावा शिकंजी का स्वाद फिर छप्पन दुकान पर मधुरम स्वीट्स पर लिया जा सकता है.
इंदौरी सेव:
अगर यह कहें कि इंदौर सेव का कुटीर उद्योग केंद्र है तो गलत नहीं होगा. यहां हर गली में सेव और नमकीन की दुकानें हैं. शाम होते ही सेव की कड़ाहियां गरम होने लगती हैं. चारों ओर गरमगरम सेव की खुशबू फैल जाती है. सेव का आटा बेसन में गूंधा जाता है. गुंधे आटे में मसाले मिलाए जाते हैं.
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भट्ठी पर रखी कड़ाही में गरम तेल के ऊपर झारा रख कर सेव बनाने वाला कारीगर अपनी हथेली से गुंधे आटे को रगड़ता है. यह काम आसान नहीं है. ज्यादातर कारीगर राजस्थान से आते हैं. कुछ बड़े ब्रैंड्स ने अब बड़ीबड़ी मशीने लगा ली हैं. औटोमैटिक मशीनों से आटा गूंधने से ले कर पैकिंग तक का काम आसान हो गया है. यहां हजारों टन सेव और नमकीन का व्यापार किया जाता है.
मूलत: सेव नजदीक के शहर रतलाम से इंदौर में आई है. रतलामी सेव बड़ी ही स्वादिष्ठ और मशहूर है. लेकिन खानपान के इस शहर ने सेव की बहुत वैराइटीज तैयार कर ली हैं. लौंग की सेव, टमाटर की सेव, दूध की सेव, अचारी सेव, खट्टीमीठी सेव, गाठिया, भुजिया, मोती सेव, बारीक सेव, जैसे कई स्वाद आप को हरदम तैयार मिलेंगे. 200 से 300 प्रति किलोग्राम में सेव और 350 तक कोई भी नमकीन आसानी से उपलब्ध है.
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सेव की सब्जी भी बड़ी स्वादिष्ठ बनती है. प्याज को मंदी आंच पर गुलाबी होने तक भूनने के बाद रतलामी या लौंग की सेव कड़ाही में डाल कर थोड़ा सा पानी, नमक, मिर्च, अमचूर या सब्जी मसाला डाल कर कड़ाही को ढक दिया जाता है. ऊपर से हरा धनिया डाल कर रोटी या ब्रैड के साथ खाया जाता है.
सेव के साथसाथ अन्य नमकीन में मिक्सचर की भी खपत बहुत ज्यादा है. मिक्सचर मुख्यतया, पोहे के बेस पर बनता है. मीठा मिक्सचर, खट्टामीठा मिक्सचर, तीखा मिक्सचर, गुजराती एवं मारवाड़ी मिक्सचर के अलावा और कई तरह के मिक्सचर मिलते हैं.
इंदौर बेहतरीन दालों के लिए भी जाना जाता है. मधुरम दाल मिल यहां तुअर, मूंग व अन्य दालों का उत्पादन वर्षों से कर रही है.
अनाज की खरीद के सही मौसम को ले कर भी इंदौर के लोग जागरुक हैं. पीसी मेहता ऐंड संस फर्म के डाइरैक्टर पीसी मेहता एवं सुशील मेहता इस में लोगों की मदद भी करते हैं.
करारे पापड़:
इंदौर में पापड़ भी बड़े चाव से खाया जाता है. अग्रवाल पापड़ और फूड प्रोडक्ट्स, इंदौर के डाइरैक्टर अनूप अग्रवाल ने बताया, ‘‘हमारे यहां कई तरह के पापड़ बनाए जाते हैं. इस से हजारों महिलाओं को रोजगार मिलता है. पापड़ का आटा ठेकेदारों द्वारा घरघर पहुंचाया जाता है और फिर महिलाएं उसे बेल कर लाती हैं. इसे आगे प्रोसैस करने के लिए फैक्टरी में भेज दिया जाता है.’’