आजकल देखा गया है कि हमारी सोसाइटी हर मामले में काफी ओपन हो गई है. आजकल के बच्चे अपने पेरैंट्स से खुल कर सारी बातें शेयर कर लेते हैं फिर चाहे वे उन की पर्सनल लाइफ के बारे में कुछ हो या फिर उन की लव लाइफ से रिलेटिड बातें हों. पहले की पेरैंटिंग और आजकल के समय की पेरैंटिंग में काफी फर्क दिखाई देता है. यही बात टीनएजर्स और युवाओं के साथ भी है, वे भी अपने सेक्सुअल ओरिंटेशन को लेकर काफी ओपन हो गए हैं .

आजकल के पेरैंट्स खुद अपने बच्चों के दोस्त बन कर रहना पसंद करते हैं और इसी वजह से बच्चे भी पेरैंट्स को अपनी सारी बातें बता देते हैं. ऐसे में, सेक्सुअल चौइस की बातों को भी अपने पैरेंट्स से बताने में झिझक नहीं होनी चाहिए.

मजाक का विषय नहीं है

कई बार यह देखने या सुनने को मिलता है कि किसी का बच्चा गे है या लैस्बियन है. लोगों को इस बात से रूबरू कराने के लिए इसी विषय पर कई सारी फिल्में भी बन चुकी हैं पर फिर भी लोग इस के बारे में बात करना पसंद नहीं करते. उलटा ऐसे लोगों का मजाक उड़ाया जाता है. लोगों को यह समझना चाहिए कि गे या लैस्बियन होना किसी रह तरह का अपराध नहीं है और यह पूरी तरह से नैचुरल है. गे या लैस्बियन होना किसी के हाथ में नहीं होता बल्कि यह नैचुरल फीलिंग्स होती हैं. सैक्स को लेकर ऐसे लोगों की सोच सामान्य लोगों की सोच से उन्हें अलग बनाती हैं. इसलिए युवाओं को चाहिए कि वे इसे ले कर शर्मिंदगी नहीं महसूस करें.  लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपने सैक्सुअल ओरिएंटेशन को हर बातचीत का मुद्दा बनाएं. कई बार यह देखा गया है कि ऐसे रिश्ते में बंधे लोग अपने रिलेशनशिप को अपना पहला परिचय समझने लगते हैं.  उन्हें यह समझने की जरूरत है कि सामान्य रिश्ते में या सेम सैक्स रिश्ते में बंधे लोग भी अपने रिलेशनशिप को ढिढ़ोरा नहीं पीटते हैं.

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