अनुप्रिया के घर पर पार्टी चल रही थी. अनुप्रिया की घनिष्ठ सहेली रीना, अनुप्रिया की बेटी कनिका को ढूंढ़ती हुई उस के कमरे में गई. कनिका को गहरी सोच में डूबे देख रीना कुछ हैरान हुई. कनिका से उस के हालचाल पूछे तो उस ने बहुत ही निराश स्वर में कहा, ‘‘आंटी, आप कैसी हैं?’’

‘‘मैं ठीक हूं, तुम्हें क्या हुआ है?’’

ठंडी सांस ली कनिका ने, ‘‘कुछ नहीं, आंटी.’’

‘‘पार्टी छोड़ कर यहां क्या कर रही हो?’’

‘‘बाहर आने का मन नहीं है.’’

‘‘क्या हुआ, बेटा?’’ रीना के अनुप्रिया से पारिवारिक संबंध थे. इसलिए कनिका ने निसंकोच दिल का हाल कहा, ‘‘पता नहीं, आंटी, मुझे क्या हो गया है. रात को नींद भी नहीं आती. 90 फीसदी समय मैं डिप्रैस्ड ही रहती हूं. कई बार तो मन में सुसाइड करने का खयाल तक आता है.’’

रीना हैरान सी कनिका का मुंह देखती रह गई. कुछ देर बाद बोली, ‘‘तुम्हें किस बात का डिप्रैशन है, सबकुछ तो है तुम्हारे पास?’’

कनिका ने सपाट स्वर में कहा, ‘‘यदि मेरे पास सबकुछ है, फिर मैं खुश क्यों नहीं हूं?’’ कनिका की बात सुन कर रीना को कुछ नहीं सूझा. वह काफी देर तक कनिका से बहुत सी दूसरी बातें करती रही. उसे बहुतकुछ समझाती रही पर जानती थी कि उस के उपदेश का कनिका पर कोई असर नहीं हो रहा है. रीना बाहर आई, एक कोने में बैठ कर कनिका के बारे में सोच रही थी. अनुप्रिया बाकी मेहमानों में व्यस्त थी.

रीना को पिछले दिनों चर्चा में रहे पीटर मुखर्जी के बेटे राहुल का अचानक ध्यान आया कि राहुल जैसे युवा को डिप्रैशन हो तो बात समझ में आती है कि वह किस तरह मानसिक यंत्रणा से गुजर रहा होगा, जब उसे अपने पिता और अपनी बातचीत को टेप करना पड़ा होगा. ऐसा कौन करता है? केवल वही संतान जिस का अपने मातापिता पर से विश्वास उठ गया हो, एक ऐसी संतान जो सच जानने के लिए बेचैन हो और उसे आगे कई दुखद सत्यों के साथ जीवन जीना हो.

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