लेखिका- तपेश भौमिक

“रीडिंग इज़ टू द माइंड ह्वाट एकसरसाइज इज़ टु द बॉडी” –जोसफ़ एडिसन (1672-1719] एक प्रख्यात अंग्रेज़ साहित्यकार-संपादक, ने आज से तक़रीबन तीन सौ वर्ष पहले यह बात कही थी, यानी पढ़ाई दिमाग के लिए उतना ही जरूरी है, जितना शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम. उनकी यह बात कई वैज्ञानिक शोधों के द्वारा एक प्रमाणित सत्य भी है. व्यायाम जिस प्रकार हमारे शरीर को स्वस्थ और सुडौल बनाता है,, ठीक उसी प्रकार हम किताबें पढ़कर अपने मन-मस्तिष्क को स्वस्थ एवं आनंदमय बना सकते हैं. एक अच्छी किताब मनुष्य की मन की आँखों को जिस प्रकार खोल देती है, ठीक उसी प्रकार ज्ञान और बुद्धि को भी प्रसारित कर अंतस्तल को रौश्नी से भर देती हैं.

किताबें मनुष्य की महानतम सम्पदा हुआ करती हैं. इनके साथ पार्थिव अन्य किसी भी वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती. उदाहरण के लिए आप अगर एक प्रयोग से गुजरते हैं कि एक ही दिन में कुछ मन-पसंद पुस्तकें और सामान खरीद कर लाते हैं और अपने सम्मुख किसी मेज़ पर उन्हें रखकर ध्यान लगाकर उलट-पुलट कर देखते हैं तो ऐसा निश्चित अनुभव होगा कि किताबें खरीद कर आपने अपने आप को अधिकतम समृद्ध किया है. साथ ही यह भी अनुभव कर सकते हैं कि आपने अपने आनेवाले वंशज के लिए भी एक धरोहर तैयार करना शुरू कर दिया है. अंततः उन्हें इस बात का गुमान होगा कि उनके पूर्वजों ने उनके लिए धन के साथ-साथ विद्या भी रख छोड़ी है.

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दस लोग केवल यह कहेंगे कि उनके पूर्वजों ने उनके लिए इतनी प्रापर्टी रख छोड़ा था, जबकि आपके वंशज यह तो कहेंगे कि उनके पूर्वजों ने धन के साथ-साथ विद्या भी रख छोड़ी है. जिस घर में किताबों से भरी अलमारियाँ होतीं हैं, उस घर में प्रवेश करके देखिए कि कुछ अलग अनुभव होता है या नहीं? भी जब होश सम्हालते ही घर में पुस्तक और पढ़ाई का माहौल देखते हैं तो उनमें पढ़ने-लिखने का संस्कार अपने-आप आ जाता है.

आम तौर पर हम या तो अपने चुनिन्दा विषय की किताबें पढ़ते हैं, नहीं तो मनोजगत को मनोरंजन देने के लिए साहित्य का अध्ययन करते हैं. हम जब नियमित ढंग से पुस्तकों का अध्ययन करते हैं, तब हमारा मन-मस्तिष्क विकसित होने लगता है. हमें ऐसा लगता है कि हमने अब तक जितनी भी किताबें पढ़ कर परीक्षाएँ दी है और सर्टिफिकेट हासिल किया है, उस पढ़ाई को ही हम सम्मानित कर रहें हैं यानी अपनी शैक्षिक योग्यता को और ऊंचा दर्जा दे रहे हैं.

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बहरहाल यह भी अनुभव कर सकते हैं कि जितनी पढ़ाई करके हमने विद्या रूपी दुल्हन को घर लाया है, उसे ही अब पुस्तकें पढ़ कर अलंकारों से सजा रहें हैं, यानी कामिनी-कंचन का योग. इस संसार में ऐसे उदाहरण अनेक मिलेंगे कि जितने लोग अपने-अपने क्षेत्र में बड़ी सफलताएँ पाईं हैं उनमें पढ़ाई की एक बड़ी भूमिका अवश्य ही रही है. चाहे वे राजनीतिज्ञ रहें हों या वैज्ञानिक या समाज-सुधारक या अन्य, हर एक की सफलता का राज उनके अध्ययनशील होने में ही छिपा है. साथ ही उन्होंने अपने वर्तमान व्यस्त जीवन में भी पढ़ाई नहीं छोड़ी है. ऐसे लोगों के लिए पढ़ाई उनकी मौलिक अवश्यकता बन गई.
बिल गेट्स प्रत्येक वर्ष लगभग पचास पुस्तकें पढ़ लेते हैं. मार्क कुबिन प्रतिदिन तीन घंटे से अधिक पुस्तकें पढ़ते हैं. एलोन मास्क ने रॉकेट-साइंस की विद्या किताबें पढ़कर ही अर्जित की है. फलतः यह कहा जा सकता है कि एक किताब केवल हमे जानकारियों से ही नहीं समृद्ध करती बल्कि वह नई सोच, नए सवाल भी हमारे मन में पैदा करती है.

पुस्तकें पढ़ने के कुछ लाभों को हम इस प्रकार सूचिवद्ध कर सकते हैं। क. पुस्तकें पढ़ने से अपनी जानकारी और सोच में उत्तरोत्तर वृद्धि होती हैं, भले ही वे कथा-कहानियाँ या ज्ञान-विज्ञान ही क्यों न हो, या अपने पेशे से जुड़ी किताबें ही हों, वे निश्चय ही लाभकारी हुआ करती हैं. ख. पुस्तकें पढ़ना उद्दीपन भाव के प्रेरक होते हैं. शोधों के दौरान देखा गया है कि जिन्हें पुस्तकें पढ़ने का शौक है, उनमें Dementia और Alzheimer नमक दोनों रोगों को प्रतिरोध करने की क्षमता बहुलांश में आ जाती है.

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ग. दिमागी तनाव को कम करने के लिए पुस्तकों का पढ़ना लाभकारी है. 2009 में यू.के. के सेसेक्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ‘हॉर्ट-रेट’ और ‘मसल-टेंसन’ मॉनिटरिंग के माध्यम से जांच करके पाया कि पुस्तकों के पठन-पाठन से स्ट्रेस-लेबल घट जाता है. पुस्तकों की दुनिया दुनियावी मोह-माया,क्रोध,आदि से उबारने में भी सहायक सिद्ध होती हैं. घ. लेखक जब पुस्तकें लिखता है, तब वह जाने-अनजाने में अपने भोगे हुए यथार्थ को भी अंकित करता जाता है.

वह अपनी साधारण बातें नहीं वरन असाधारण बातों से अपने पाठकों को रु-ब-रु कराता जाता है. उन्हें पढ़कर लेखकीय विचारों से आकर्षित होता जाता है. वह प्रायः उन विचारों को अपना आदर्श बना लेता है. लेखक वर्षों के मेहनत के बाद एक पुस्तक लिखने में कामयाबी हासिल करता है, लेकिन पाठक उसे कुछ ही घंटे पढ़कर अपने ‘नॉलेज-बैंक’ का ‘बैंक-बैलेंस’ बढ़ा लेता है. ङ. पुस्तकों की पढ़ाई हमारी कल्पना शक्ति में अभी-वृद्धि करती है. वह कुछ समय के लिए उसके मायावी जगत में सैर कराने ले जाती है, जिनमें सैर करने के लिए नसेड़ी नशीली वस्तुओं का सेवन करते है.

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