कहते हैं कि झूठ के पांव नहीं होते. एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं और इसी के साथ जानेअनजाने गलत रास्ते पर चलने की शुरुआत हो जाती है. वैसे भी अगर रिश्तों में झूठ बोलना आप की आदत बन चुकी है, तो यकीन मानिए आप एक ‘डैड ऐंड’ की ओर बढ़ रहे हैं. कई बार झूठ बोलना आप की मजबूरी हो सकती है, लेकिन यह भी याद रखिए कि कुछ झूठ रिश्तों को दीमक की तरह चाट जाते हैं, क्योंकि विश्वास के बिना किसी भी रिश्ते का वजूद मुमकिन नहीं है, खासकर जब रिश्ता मां का हो. छोटा सा झूठ बरसों की मेहनत और प्यार से तैयार किए रिश्तों के घरौंदे को तारतार कर सकता है.
आज के दौर में टीनएजर्स अपनी मां से बहुत झूठ बोलते हैं. इन में से अधिकतर झूठ छोटीछोटी बातों को ले कर ही बोला जाता है, जिन्हें टाला भी जा सकता है. जैसे वे कहां हैं? कब तक घर लौटेंगे? कालेज के लैक्चर का बहाना बना कर पार्टी करना आदि. यह और बात है कि इन के पीछे उन के पास कई बहाने भी होते हैं. लंदन साइंस म्यूजियम के एक शोध में पाया गया है कि लड़के औसतन एक दिन में 3 झूठ बोलते हैं. लड़कों द्वारा बोले गए कुछ आम झूठ हैं. मैं रास्ते में हूं. मैं ट्रैफिक में फंसा हूं. मेरी बाइक पंक्चर हो गई है. सौरी मैं आप की कौल नहीं उठा पाया.
झूठ बोलने के कारण
- झूठ बोलने का एक कारण आकर्षण का केंद्र बनना है.
- अनावश्यक झगड़ों से बचने के लिए भी किशोर झूठ बोलते हैं. ऐसा आमतौर पर देखा जाता है, जहां सच बोलना अधिक हानिकारक लगता है. यह स्कूलकालेज में एक सहयोगी के साथ समय बिताने से ले कर या कुछ अप्रत्याशित रूप से घटे हुए अपराध को छिपाना तक हो सकता है.