अमन के वाशरूम में घुसते ही रुचि ने उस का फोन उठा लिया और न जाने क्या खंगालने लगी. कुछ देर बाद अमन वाशरूम से निकला, तो उसने रुचि को अपने फोन के साथ छेड़छाड़ करते पकड़ लिया.
अमन: जासूसी कर रही हो मेरी.
रुचि: नहीं, यह पता लगा रही हूं कि आखिर पूरे दिन तुम किस से बात करते रहते हो.
अमन: औफिस का काम करता हूं. कहो तो छोड़ दूं नौकरी?
रुचि: नौकरी क्यों छोड़ोगे, छोड़ना है तो उस लड़की को छोड़ो.
अमन: तुम्हारे बेबुनियाद इलजामों से मैं थक चुका हूं. जब देखो तब शक करती रहती हो.
अमन रुचि का झगड़ा यहीं समाप्त नहीं हुआ. बातों से बातें निकलती गईं और रिश्ता उलझता गया. नौबत तलाक तक पहुंच गई. अमन और रुचि का किस्सा अनोखा नहीं है. ऐसे लोगों की कमी नहीं जो स्मार्टफोन पर अपने पार्टन के इनवौल्वमैंट से चिढ़ते हैं और उन की चिढ़ नफरत और शक में तबदील हो जाती है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके ईगो को बहुत ठेस पहुंचती है जब उन का पार्टनर उन के मैसेजेस या चैट पढ़ लेता है. हैरानी की बात तो यह है कि ऐसे लोग आत्मसम्मन के नाम पर अपने पार्टनर को चोट तक पहुंचाने से नहीं चूकते.
पढ़े लिखे हैं ज्यादा बेवकूफ
कुछ दिन पहले ऐसा ही बंगलूरू की सुनीता सिंह के साथ हुआ. पेशे से इंजीनियर सुनीता ने अपने पति पर चाकू से केवल इसलिए अटैक कर दिया क्योंकि वे उस के मोबाइल पर आए मैसेज को चोरी से पढ़ रहा था.
लखनऊ हाईकोर्ट में एडवोकेट राकेश त्रिपाठी इस मसले पर कहते हैं, “ बहुत आश्चर्यचकित बात है कि आज की पीढ़ी, जो ज्यादा पढ़ी लिखी और समझदार है, मात्र एक छोटे से स्मार्टफोन के चलते रिश्तों की गंभीरता और सम्मान को दरकिनार कर बेवकूफी की सारी सीमाएं पार कर रही है. जब कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल हर तबके के लोग कर रहे हैं. मगर स्मार्टफोन ने सब से अधिक प्रभाव पढ़े लिखे वर्ग के लोगों की जिंदगी पर डाला है. सब से अधिक शक के चलते तलाक, मारपीट, मर्डर के केस इसी वर्ग के लोगों में हो रहे हैं. क्योंकि यह वर्ग अब वर्चुअल वर्ल्ड को ही एक्चुअल वर्ल्ड समझने लगा है. जब कि वास्तविक जीवन की हर जरूरत को स्मार्टफोन के जरिए पूरा नहीं किया जा सकता है. खासतौर से पतिपत्नी के रिश्ते में स्मार्टफोन का दखल गलत परिणामों को दर्शा रहा है.”
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