लेखिका - ललिता

सात जन्मों के शादी के रिश्ते को हमारे समाज का सब से पवित्र और अहम रिश्ता माना जाता है, लेकिन आज के समय में यह रिश्ता अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. शादी जो प्यार, अपनेपन और विश्वास का रिश्ता होता था, आज की मौडर्न लाइफ में लोगों की इस रिश्ते को ले कर सोच बदल रही है. जो कपल शादी के फेरों के वक्त हमेशा एकदूसरे के साथ रहने, हर सुखदुख में साथ देने की कसमें खाते हैं वही शादी के कुछ समय बाद ही छोटीछोटी वजहों से अपनी शादी को अलविदा कह रहे हैं और तलाक के काफी ज्यादा केस देखने को मिल रहे हैं.

आज स्थिति ऐसी हो गई है कि मन का खाना न खिलाने, घूमने न ले जाने और शौपिंग न करवाने जैसी छोटीछोटी बातों पर लड़ाइयां शुरू हो जाती हैं और उन्हें सुलझाने की जगह बहस की चिनगारी को हवा दी जाती है और फिर बात रिश्ते को खत्म करने तक आ जाती है.

पहले के जमाने में ऐसा नहीं हुआ करता था. पहले के पुरुषों और महिलाओं दोनों में धैर्य व एकदूसरे के लिए प्यार हुआ करता था. लेकिन अब रिश्तों में सहनशीलता खत्म होती जा रही है. अब रिश्ता तोड़ने से पहले अपने रिश्ते को एक चांस देने का सब्र तक भी लोगों में नहीं बचा है.

वर्तमान में कोई किसी के सामने झुकना पसंद नहीं करता. अब जब तक दोनों एकदूसरे के मनमुताबिक चलते हैं तब तक उन का रिश्ता टिकता है. जिस दिन दोनों में से कोई भी एक पार्टनर दूसरे की मरजी के खिलाफ उस से अलग जाता है, सामने वाले को वह बरदाश्त नहीं होता और रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच जाता है.

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