पतिपत्नी के रिश्ते का समीकरण काफी जटिल होता है. जब भी सत्ते का पलड़ा एक ओर झुक जाता है तो रिश्ते के बीच का संतुलन डगमगाने लगता है. प्रयास न किया जाए तो वह बिखर भी सकता है यानी बात तलाक तक जा पहुंचती है. तलाक से फायदा किसी को नहीं होता. दोनों के जीवन में  एक ब्रेक लग जाता है.

पीढ़ियों तक महिलाओं ने दबीकुचली जिंदगी जी. वे पढ़ीलिखी नहीं होती थी. आर्थिक दृष्टि से पूरी तरह पति पर निर्भर होती थी इसलिए रिश्ते का पलड़ा कितना भी झुका होता है वे सब सह जाती थी. पर आधुनिक युग की महिलाओं ने अपने बल पर जीना सीख लिया है. थोड़ी सी बात बिगड़ी नहीं कि वे तलाक की पेशकश कर अपनी ताकत दिखाने का तरीका आजमाती है. भले ही इस ताकत की लड़ाई और अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाने की चाह में महिलाएं भावनात्मक रूप से बुरी तरह टूट जाती है. मगर एक बार कदम बढ़ा लेने के बाद पीछे जाना स्वीकार नहीं करती. यही वजह है कि आजकल तलाक के मामले बढ़ रहे हैं.

एक समय था जब पुरुष विवाहेतर संबंधों में लिप्त रहते थे. वे बड़ी सहजता से पत्नी को धोखा देते रहते थे और पत्नी बेचारी घर के कामकाज में व्यस्त रहती थी. पर आज जब महिलाएं बाहर जाने लगी हैं तो उन के पास भी ऑप्शंस की कोई कमी नहीं है. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स हमेशा से शादी टूटने की एक प्रमुख वजह रहा है. सामान्यतः पुरुष ऐसे में भी रिश्ते को कायम रखना चाहते हैं. लेकिन इस से दोनों की स्थिति दयनीय बन जाती है. किसी भी रिश्ते में विश्वास खो देना जिंदगी को बहुत कठिन बना देता है. परिवार की खुशियों के साथसाथ सदस्यों की मानसिक सेहत पर भी इस का असर बुरा पड़ता है.

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