सुहानी को समझ में नहीं आ रहा है कि बिगड़ी हुई बात वह आखिर बनाये कैसे ? उसके पति सुमित का प्यार उसके प्रति लगातार कम होता जा रहा है. अभी तो शादी को साल ही पूरा हुआ है. छोटी-छोटी सी बात पर उनके बीच झगड़े होने लगे हैं. सुहानी के बनाए खाने में सुमित को कोई स्वाद नहीं आता है. रात को वह बेमन से खाकर थाली सरका देता है. सुहानी की साज-सज्जा के प्रति उसका कोई ध्यान नहीं जाता है. बिस्तर पर लेटता है तो उसकी पीठ सुहानी की ओर होती है. वह कुछ बात करना चाहती है तो सुमित उखड़े स्वर में जवाब देता है और सुहानी आगे कुछ बोल ही नहीं पाती है.
उनकी शादी के बाद चार-पांच महीने कितने अच्छे बीते थे. दोनों ऐसे एकदूसरे में घुलमिल गये थे जैसे दूध में शक्कर. वीकेंड में सुमित सुहानी को लेकर घूमने जाता था, दोनों बाहर खाना खाते थे, फिल्में देखते थे, शॉपिंग करते थे, एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहते थे, एक दूसरे से दिल खोलकर बातें करते थे. सुमित के माता-पिता और भाई-बहन भी सुहानी को सिर-आंखों पर बिठा कर रखते थे. लेकिन धीरे-धीरे सब उससे कटने लगे. इधर एक महीने से तो सुमित का व्यवहार सुहानी के प्रति बहुत ज्यादा रूखा हो गया है. बात-बात पर वह सुहानी को झिड़क देता है. अब तो उसने लंचबॉक्स भी आॅफिस ले जाना बंद कर दिया है. यह बात सुहानी को बहुत दुख दे रही है. सुहानी शुरू से ही सुमित का लंचबॉक्स बड़े जतन से तैयार करती थी. सब्जी-रोटी के साथ वह उसमें अचार, पापड़, सलाद जरूर रखती थी. एक टुकड़ा मीठे का भी उसमें होता था. कभी हलुआ तो कभी खीर भी छोटी डिब्बी में मिलती थी. शादी के बाद सुमित के लंचबॉक्स में इतनी सारी लजीज चीजें देखकर उसके आफिस के कई मित्र उससे जलन भी रखने लगे थे, मगर अब ऐसा क्या हो गया कि सुमित ने सुहानी के बनाए खाने को तिलांजलि दे डाली है. हालांकि सुहानी जानती है कि उससे क्या गलतियां हो गयी हैं, मगर अब तो तीर कमान से छूट चुका है. बिगड़ी बात किसी तरह बन नहीं रही है.
दरअसल कुछ गलती सुहानी की है तो कुछ उसकी मां की, जो सुहानी के ससुराल में क्या चल रहा है, इस बारे में जानने को बड़ी उतावली रहती हैं. सुहानी अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान है. मां से उसका जुड़ाव काफी गहरा है. उसकी छोटी से छोटी बात में उसकी मां की सलाह और रजामंदी शामिल रहती है. शादी से पहले तक तो यह ठीक था कि सुहानी अपनी हर बात अपनी मां से शेयर करे, लेकिन शादी के बाद जब ससुराल की बातें भी सुहानी अपनी मां से शेयर करने लगी, तो इसने उसकी हंसती-खेलती जिन्दगी तबाह कर दी और वह ससुराल में हरेक की नजर से गिर गयी.
सुहानी का मायका उसकी ससुराल से ज्यादा दूर नहीं है. आना-जाना लगा रहता है. सब्जीमंडी में भी अक्सर उसके पिता जी की भेंट उसके ससुरजी से हो जाती है. उस दिन उसके ससुरजी ने मंडी से लौटकर सुमित से कुछ कहा और उसके बाद सुमित ने बेडरूम में आकर सुहानी के सामने सवालों की झड़ी लगा दी. उसी दिन से सुमित सुहानी से उखड़ा-उखड़ा है. यह दूरी लगातार बढ़ती जा रही है.
दरअसल चार साल पहले सुमित की छोटी बहन रागिनी का रिश्ता कहीं होते-होते टूट गया था. मंगनी होने के बाद और शादी के कार्ड बंटने के बाद लड़की की शादी टूट जाए तो बड़ी बेइज्जती की बात हो जाती है. रागिनी की भी शादी होते-होते रह गयी, वजह थी अतीत में उसका एक लड़के से चला प्रेम प्रसंग. उस लड़के ने रागिनी को धोखा दिया था, मगर जब रागिनी की शादी एक अच्छे घर में तय हुई तो उस बदमाश लड़के ने अपनी और रागिनी की कुछ आपत्तिजनक फोटो और पत्र रागिनी के मंगेतर को पहुंचा दिये थे, जिसके चलते रागिनी की शादी टूट गयी.
इस हादसे के बाद रागिनी और उसके परिवार ने बड़ी मुश्किल से खुद को व्यवस्थित किया था. लड़की की इज्जत न खराब हो और बात ज्यादा न फैले, इसलिए पुराना मोहल्ला भी छोड़ दिया था. सुमित की शादी के बाद सुहानी इस घर में आयी तो उसकी अपनी ननद रागिनी से काफी नजदीकी हो गयी. दोनों एक ही उम्र की थीं. दोनों के बीच काफी बातचीत होने लगी. जाने-अनजाने में रागिनी ने सुहानी पर इस विश्वास के साथ अपना राज़ बांटा था, कि बात उसकी भाभी तक ही रहेगी, मगर सुहानी ने तो अपनी मां को सारी बातें बता डालीं. उसकी बातूनी मां ने उसमें और नमक-मिर्च लगा कर अपने पति को बता दीं. उस दिन सब्जीमंडी में सुहानी के पापा ने उसके ससुरजी से इसी विषय में बात छेड़ दी. सुहानी के ससुरजी पर तो जैसे घड़ों पानी पड़ गया. लगा कि परिवार की इज्जत बीच बाजार उतर गयी. उसके बाद भी कई ऐसी बातें हुईं जिससे उनको पता चला कि सुहानी के पिता को तो उनके घर की हर छोटी-बड़ी बात मालूम है. परिवार के कुछ ऐसे राज़ जो कभी बाहर नहीं गये, वह भी सुहानी की मां के जरिए कई रिश्तेदारों के बीच पहुंच गये थे. दरअसल सुहानी दोपहर के वक्त अपने बेडरूम में लेटी घंटों अपनी मां से फोन पर बातें करती थी और उसकी ज्यादातर बातें ससुराल के बारे में ही होती थीं.
ससुराल के भेद मायके तक पहुंचाने का नतीजा बुरा होता है. इससे पति-पत्नी के आपसी रिश्ते तो तहस-नहस होते ही हैं, बहू पर ससुरालवालों का विश्वास और प्यार भी खत्म हो जाता है. हर घर की कुछ निजी और गोपनीय बातें होती हैं, जिसे घर का हर सदस्य घर की चारदीवारी में ही रखना चाहता है. यह बातें जमीन-जायदाद, आभूषण, नगदी, मुकदमेबाजी, टूटे नाते-रिश्ते, शादी या बच्चों से सम्बन्धित हो सकती हैं. जब कोई लड़की ब्याह करके अपने पति के घर जाती है तो उस घर को वह अपना तभी बना सकती है जब उस घर की मर्यादा और निजी बातों को समझे और घर की इज्जत के लिए वह भी उन बातों को अपने तक ही रखे. इससे वह अपने ससुरालवालों की नजर में बड़ी बनती है. लड़की को समझना चाहिए कि जिस तरह वह अपने मायके की अच्छी-बुरी बातों को अपने तक ही रखती थी, वैसे ही उसे अपने ससुराल की बातों को भी अपने तक ही रखनी चाहिए. आखिर अब वही तो उसका असली घर है, जहां उसे अपने पति और बच्चों के साथ पूरा जीवन बिताना है.
ससुराल में बहू के साथ हिंसा-उत्पीड़न हो, उसका सम्मान न हो, उससे दहेज की मांग हो, पति का अन्यत्र महिला से रिश्ता हो, घर के अन्य पुरुषों की उस पर गलत नजर हो, तो यह अपराध है, इसकी जानकारी लड़की को जल्द से जल्द न केवल अपने मायके वालों को देनी चाहिए, बल्कि पुलिस और महिला आयोग को भी लिखित शिकायत करनी चाहिए, ताकि अपराधियों को दंड मिल सके. लेकिन जब ससुराल वाले अपना कोई राज़ बहू से यह सोच कर शेयर करें कि यह तो अपनी है, तो उनकी सहृदयता और अपनेपन की लाज रखना बहू का भी कर्तव्य है.
सुख-दुख में साथ निभाएं
शादी के बाद ससुराल ही एक लड़की का वास्तविक घर है. इसलिए घर की इज्जत और मर्यादा को बनाए रखना आपका कर्तव्य है. कभी भी अपने पति को या घर के दूसरे सदस्यों को खुद से कमतर न समझें. अगर आप पति से ज्यादा सक्षम और पढ़ी-लिखी हैं, या उनसे अधिक कमाती हैं, तो पति को अपना गुलाम समझने की भूल न करें. अपनी अधिक बोलने की आदत या मात्र चटखारी बातों का आनन्द लेने के लिए अपने मायकेवालों से अपने ससुरालवालों या अपने पति की चुगली करके उनकी इज्जत की धज्जियां न उड़ाएं. आप और आपके पति एक दूसरे के जीवनसंगी हैं, आपको सारे सुख-दुख उनके साथ रह कर ही भोगने हैं. प्यार और विश्वास की बेल धीरे-धीरे बढ़ती है. इसे अपने प्यार से सीचें. याद रखें इंसान के जीवन में सुख बांटने के लिए तो सैकड़ों लोग आ जाते हैं, मगर दुख की घड़ी में जीवनसाथी ही होता है, जिसके कंधे पर सिर रखकर दिल को सुकून मिलता है. दु:ख में सबसे महत्वपूर्ण साथ जीवनसाथी का ही होता है. आप पर उनका विश्वास है, इस विश्वास को हमेशा बनाए रखें.
चुगलखोरी से बचें
किसी भी रिश्ते की बुनियाद सम्मान व इज्जत पर टिकी होती है. इसकी बात उससे और उसकी बात इससे बताने की आदत से हमेशा बच कर रहें. ये बातें संयुक्त परिवार में आग में घी का काम करती हैं, जो कि गृहस्थ जीवन के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होता है. घर के हर एक सदस्य की बात ध्यान से सुनें. कोई बात अच्छी न भी लगे तो उसका विरोध करने का तरीका बेहद ही सभ्य और शालीन होना चाहिए. गुस्से में इंसान कुछ भी कह जाता है और बात बढ़ जाती है. हां, लेकिन गलत बात को बिलकुल भी सहन न करें, बल्कि सही तरीके से उसका प्रतिकार करें.
मां के भड़काने में न आएं
नि:संदेह एक मां अपनी बेटी से बहुत प्यार करती है. वह चाहती है कि उसकी लाडली अपने ससुराल में राज करे. सबको अपने वश में करके रखे. कई बार इस चक्कर में माएं अपनी बेटियों को उल्टी-सीधी नसीहतें और तरीके सुझाती रहती हैं. जैसे पति की कमाई पर सिर्फ तुम्हारा हक है, देखो कि वह महीने के महीने पूरी सैलरी तुम्हारे हाथ पर रखे. या, किचेन में बहुत ज्यादा खपने की जरूरत नहीं है, सास और ननदों को भी काम करने दो. नहीं करेंगी तो उनकी आदतें खराब हो जाएंगी. या, ननद और देवर पर बेकार पैसे मत लुटाओ. उनकी जरूरतें पूरी करना तुम्हारे सास-ससुर की जिम्मेदारी है. इस तरह की बातें अक्सर माएं अपनी बेटियों के दिमाग में यह कह कर भरती रहती हैं कि मैं तो तेरे भले के लिए ही कह रही हूं, नतीजा ससुराल वालों से उनकी दूरी बनी रहती है. वे अपने परिवार में ही बाहरी बनी रहती हैं. मां की बातों में आकर अपनी गृहस्थी बर्बाद कर बैठती हैं. इसलिए मां की सुनें जरूर मगर अमल में लाने से पहले चतुराई से यह भांपने की कोशिश कर लें कि वे जो कह रही हैं क्या सचमुच ठीक है?