लेखिका-किरण सिंह
यहां की बात वहां करना, किसी के पीठपीछे उस की बुराई करना, किसी को भलाबुरा कहना आदि चुगली करना है. बच्चों में अकसर चुगली की आदत एक बार पड़ जाती है तो फिर यह उम्रभर रहती है.
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, चुगली करना अपने दिल की भड़ास निकालने का एक माध्यम है या यों कहें कि हीनभावना से ग्रस्त व्यक्ति चुगली कर के खुद को तुष्ट करने का प्रयास करता है. इसीलिए वह खुद में कमियां ढूंढ़ने के बजाय दूसरों की मीनमेख निकालने में अपनी ऊर्जा खपाता रहता है.
चुगलखोर व्यक्तियों की दोस्ती टिकाऊ नहीं होती
वैसे हम चुगलखोरों को लाख बुराभला कह लें लेकिन सच यह है कि निंदा रस में आनंद बहुत आता है. शायद यही वजह है कि अपेक्षाकृत चुगलखोरों के संबंध अधिक बनते हैं या यों कहें कि चुगलखोरों की दोस्ती जल्दी हो जाती है. लेकिन यह भी सही है कि उन की दोस्ती टिकाऊ नहीं होती क्योंकि वास्तविकता का पता लगने पर लोग चुगलखोरों से किनारा करने लगते हैं.
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बच्चों में चुगलखोरी
अकसर देखा गया है कि बच्चे जब गलती करते हुए अभिभावकों द्वारा पकड़े जाते हैं और पैरेंट्स पूछते हैं कि कहां से सीखा, तो वे अपने को तत्काल बचाने के लिए अपने दोस्तों या फिर भाईबहनों का नाम ले लेते हैं जिस से पैरेंट्स का ध्यान उन पर से हट कर दूसरों पर चला जाता है. यहीं से चुगलखोरी की आदत लगने लगती है.
एक बार सोनू की मम्मी ने सोनू को पैसे चोरी करते हुए पकड़ लिया और फिर डांटडपट कर पूछने लगीं कि यह सब कहां से सीखा. सोनू ने तब अपना बचाव करने के लिए पड़ोस के दोस्त का नाम ले लिया. यह बात सोनू की मम्मी ने उस के दोस्त की मम्मी से कह दी. परिणामस्वरूप, सोनू के दोस्त ने सोनू को चुगलखोर कह कर उस से दोस्ती तोड़ ली और सोनू दुखी रहने लगा.
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यहां पर सोनू की मम्मी को सोनू को यह सब किस ने सिखाया है, यह न पूछ कर चोरी के साइड इफैक्ट्स बता कर आगे से ऐसा न करने की सीख देनी चाहिए थी. साथ ही, यह भी बताना चाहिए था कि चुगली करना और चोरी करना दोनों ही गलत हैं.
ऐसे बढ़ती है चुगली करने की प्रवृत्ति
कभीकभी पैरेंट्स अनजाने में ही अपने बच्चों को आहत कर उन में चुगली करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं. दीपक के पापा हमेशा ही अपने बेटे दीपक की तुलना अपने दोस्त के बेटे कुणाल से करते हुए कुणाल की प्रशंसा कर दिया करते थे जिस से दीपक का कोमल सा बालमन आहत हो जाता था और वह कुणाल की तरह बनने की कोशिश करता था. जब उस की तरह बनने में नाकामयाब हो गया तो वह अपने पापा से कुणाल की झूठीसच्ची चुगली करने लगा.
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सो, मातापिता को बच्चों में छोटी उम्र से ही चुगली की आदत पनपने नहीं देनी है और उन्हें यह बताना है कि चुगली करना गलत है. बचपन से ही बच्चों में चुगली की आदत नहीं पनपेगी, तो बड़े हो कर भी वे खुद पर ध्यान देंगे बजाय किसी के प्रति कुंठित मन से चुगली करने के.