खानपान में मिठाईयों का कारोबार तेजी से आगे बढ़ा है. इसकी वजह से एक प्रदेश में बिकने वाली मिठाई देश के दूसरे हिस्से में भी खूब बिकने लगी है. ऐसी मिठाईयों में बड़ा नाम राजस्थानी घेवर का लिया जा सकता है. मैदा से बनने वाली यह मिठाई देखने में मधुमक्खी के छत्ते सी दिखती है राजस्थान, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बरसात के मौसम में घेवर हर मिठाई शॉप पर मिलने लगती है.

नवाबों के शहर लखनऊ तक में घेवर ने अपनी पहुंच बना ली है .लखनऊ की पुराने अमीनाबाद बाजार और नये गोमतीनगर में मधुरिमा स्वीट्स ने घेवर की नई-नई वैराइटी बना ली है. मधुरिमा में सादा घेवर के अलावा पनीर घेवर, केसरिया घेवर, मलाई घेवर बनने लगा है. मधुरिमा के हर्षल गुप्ता कहतें है ‘घेवर का स्पंजी, क्रिस्प और मिठास भरा स्वाद नवाबी शहर के लोगों को लुभाने लगा है जुलाई अगस्त माह में लोग अपने नातेरिश्तेदारों को घेवर उपहार में देने लगे है.’

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बरसात के दिनों में जब पानी की फुहारे तनमन को भिगोने लगती है तो कुछ अलग स्वाद लेने का मन करता है. ऐसे में घेवर से अच्छा कुछ और हो ही नहीं सकता. राजस्थान में घेवर बहुत मशहूर है जब भी कोई अपने रिश्तेदार के यहां जाता ह तो घेवर ले जाता है. दूसरी मिठाईयों के मुकाबले घेवर सस्ता होता है और यह ज्यादा दिनों तक चल जाता है.

लखनऊ और हिन्दीभाषी क्षेत्रों में घेवर के बढ़ते प्रयोग पर हर्षल गुप्ता कहतें है ‘पिछले कुछ समय से टीवी सीरियलों में गांव और छोटे कस्बो की कहानियां दिखाई जाने लगी है. इसमें राजस्थानी कल्चर को सही तरह से उभारा गया है राजस्थानी कल्चर कुछ ज्यादा कलरफुल होता है इस कारण इसको दिखाना अच्छा होता है.

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