किटी ग्रुप उदास था , लॉक डाउन हुए इतना समय बीत चुका  था , एक दूसरे  को देखे जैसे जमाना बीत रहा था , ग्रुप में चैटिंग कुछ यूँ चल रही थी --
नीता - यार , कुछ तो करो , मर जायेंगे घर का काम करते करते , टी वी तो देखने का मन नहीं करता , हाय , हमारी किटी पार्टी ! कितने दिन  हो गए बाहर निकले , कबसे एक दूसरे को नहीं देखा , हम कब मिलेंगें , यार
मंजू ने लिखा - कोई रास्ता ढूंढो , भाई , बच्चे किसी न किसी से फ़ोन पर बिजी , हस्बैंड वर्क फ्रॉम होम , हम बस  वर्क ऑफ़ होम ही करते रह जायेंगें क्या ?
शोभा --सुनो , सब , आजकल बच्चों को  देख  रही हूँ , वे तो  जरा  बोर  नहीं होते , ज़ूम एप्प पर मस्त वीडियो कॉल करते हैं , खूब मस्ती चल रही है , दोस्तों के साथ , यह तो हम भी कर ही सकते  हैं न .
गीता -- जल्दी बताओ , क्या करना है.

कविता -- एक दिन और एक टाइम तय कर लो , सब कब फ्री हैं , वीडियो कॉल करते हैं , गप्पें मारते हैं , कितने दिन हो गए , यार रूपा ने लिखा -- वाह , यह ठीक है , और एक काम और करेंगें , सब थोड़ा तैयार भी हो जायेंगें , कितने दिन हो गए टी शर्ट , पाजामे में , लिपस्टिक याद कर रही होगी , मैडम जिन्दा भी है या चली गयी.

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