हर मातापिता की ख्वाहिश होती है कि जो मुकाम उन्होंने हासिल नहीं किया उसे उन का बच्चा हासिल करे. कई बार इस के लिए बच्चों पर अतिरिक्त दबाव भी बन जाता है. आजकल टीवी पर तमाम तरह के रिऐलिटी शो बच्चों से रिलेटेड भी हैं. इन्हें ले कर भी मातापिता अपने बच्चों के प्रति कुछ अधिक कौंशस हो रहे हैं. हर कोई अपने बच्चे को सुपर किड बनाना चाहता है. जैसेजैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, वह अपने आसपास के माहौल से सीखता जाता है. पहले परिवार से फिर दोस्तों से या फिर टीवी प्रोग्राम्स से.
सृष्टि की उम्र करीब 8 साल है. वह स्कूल जाती है. स्कूल से लौट कर आने तक उस के म्यूजिक टीचर घर आ जाते हैं. उस के बाद उसे ट्यूशन क्लास जाना होता है. वहां से लौटने तक स्विमिंग क्लास जाने का समय हो जाता है. शाम को डांस क्लासेज होती हैं. वहां से लौट कर होमवर्क पूरा करना होता है. तब तक उसे उबासियां आने लगती हैं. वह ऊंघने लगती है तो मां की डांट सुननी पड़ती है.
अब आप ही सोचिए कि नन्ही सी जान और इतना अधिक बोझ. इस भागमभाग के बीच न तो मासूम बचपन को अपनी इच्छा से पंख फैलाने की फुरसत है और न ही थक कर सुस्ताने की.
ऐसी दिनचर्या आजकल हर उस बच्चे की है, जिस के मातापिता उसे सब कुछ बनाने की चाह रखते हैं. आजकल पेरैंट्स ने जानेअनजाने अपने अधूरे सपनों और इच्छाओं को मासूम बच्चों की क्षमता और अभिरुचि का आकलन किए बिना उन पर लाद दिया है. हर अभिभावक की बस एक ही इच्छा होती है कि उन का बच्चा हर जगह हर हाल में अव्वल आए. उन का बच्चा आलराउंडर हो. दूसरे बच्चों से अधिक प्रतिभावान हो. सुपर हीरोज की तरह उन का बच्चा भी सुपर किड हो.