व्यक्ति के भीतर जब नकारात्मकता होती है तब तनाव, अवसाद, निराशा जैसी कई समस्याएं जन्म लेनी शुरू हो जाती हैं. ऐसे में जानें कैसे इन से बचें और जीवन को सकारात्मक बनाएं. मानव ने आज नकारात्मक विचार तथा भावनाओं को सहज सामान्य मान लिया है जैसे अब तक तनाव, चिंता, अवसाद, निराशा को सामान्य मानते आए हैं. चूंकि संसार में हर व्यक्ति के मन में कुछ न कुछ नकारात्मक चलता ही रहता है, इसलिए इसे सामान्य मान लिया जाता है. मजे की बात तो यह है कि इस के बावजूद कोई यह मानने को तैयार नहीं कि उस के विचार, भावनाएं नकारात्मक हैं.

क्यों आते हैं नकारात्मक विचार : कहा जाता है जैसी संगत वैसी रंगत. संग का रंग चढ़ता ही है. कोई नकारात्मक घटना या किसी नकारात्मक व्यक्ति को देखने, सुनने से मन में उलटी विचारधारा का प्रवाह शुरू हो जाता है. आप के किसी मित्र को अगर नींद में दिल का दौरा पड़ जाए और उस की मृत्यु हो जाए तो आप की छाती में थोड़ा सा दर्द होने पर ही अंदर नकारात्मक विचार उठने लगते हैं. किसी निकट संबंधी के जीवन में गंभीर परिस्थितियां आती हैं, तो मन में संशय पैदा होने लगता है कि कहीं मेरे जीवन में भी यही न हो जाए. आज संसार में हर ओर नकारात्मक ऊर्जा उफान पर है. उसी के फलस्वरूप मनुष्य प्रभावित हो कर नकारात्मक विचारों में जकड़ता चला जा रहा है. कैसे निकाल पाएंगे नकारात्मक विचार

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: नकारात्मक विचारों के साथ कुछ भावनाएं भी नकारात्मक होती हैं, जैसे गुस्सा, निराशा, हताशा आदि. ये भी मन में एक बार हावी हो गईं, तो इन्हें भी निकालना बड़ा मुश्किल होता है. जैसेजैसे विचारों को दबाते जाते हैं वैसेवैसे वे और ज्यादा घेरने लगते हैं. सो, उस के बदले उन विचारों को भूल कर सकारात्मक विचारों को मन में आने दें. जिस प्रकार उजाला होता जाता है तो अंधेरा अपनेआप दूर होता जाता है, उसी प्रकार सकारात्मक विचार आने से नकारात्मक विचार दूर होने लगते हैं. सकारात्मक विचारों का विकास करने के लिए जीवन में ज्ञान और सू झबू झ को अपनाना चाहिए.

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