फिल्म ‘कमांडो’ के जरिए बौलीवुड में अपना डेब्यू करने वाली पूजा चोपड़ा उन अभिनेत्रियों में से हैं जिन्हें सबकुछ आसानी से नहीं मिला. लंबे संघर्ष और भयावह अतीत से गुजर कर इस मुकाम तक पहुंची पूजा चोपड़ा से  शांतिस्वरूप त्रिपाठी ने बातचीत की. प्रस्तुत हैं मुख्य अंश.

अपनी फिल्म ‘कमांडो’ को ले कर इन दिनों पूजा चोपड़ा चर्चा में हैं. उन की जिंदगी कई झंझावातों से गुजर चुकी है. आखिरकार हर तरह की मुसीबत से उबर कर आज वे अभिनय के मैदान में उतर चुकी हैं.

अपनी अब तक की यात्रा को किस तरह से देखती हैं?

मेरी जिंदगी में तमाम उतारचढ़ाव आए. आज मैं जिस मुकाम पर हूं उस में मेरी नानी, मेरी मां और मेरी बड़ी दीदी का बड़ा योगदान है. जब मेरी उम्र सिर्फ 20 दिन की थी तभी मेरी मां को पिता का कोलकाता का घर छोड़ कर पुणे में नानी के घर रहने आना पड़ा था. मेरी दीदी, जो मुझ से 7 साल बड़ी हैं, बताती हैं कि मेरे पिता को दूसरी संतान के रूप में बेटी नहीं चाहिए थी. इसलिए वे अस्पताल भी नहीं आए थे.

जब हम लोग घर पहुंचे तो मेरे पिता ने मेरे मुंह पर तकिया रख कर मुझे मारने का असफल प्रयास किया. तब मेरी मां, मुझे व मेरी दीदी को ले कर नानी के घर चली आई थीं. उस के बाद से मेरी मां ने पिता से कभी संपर्क नहीं किया. मैं ने आज तक अपने पिता की शक्ल नहीं देखी है. इस तरह मेरी परवरिश पुणे में हुई.

पुणे पहुंचने के बाद मेरी मां ने होटल इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया. वे आज भी काम करती हैं. मैं ने आम लड़कियों की तरह पढ़ाई की. कालेज में पढ़ते समय मेरे साथ तनुश्री दत्ता भी थी. मैं ने और तनुश्री ने पुणे के कई फैशन शो में हिस्सा लिया. मैं कई बार विजेता भी बनी. एक दिन ‘मिस इंडिया’ बन गई, तो मुझे लगा कि यदि तनुश्री ‘मिस इंडिया’ बन सकती है तो मैं भी कुछ बन सकती हूं. मैं ने ‘मिस इंडिया’ के लिए फार्म भर दिया. मैं ने काफी मेहनत की. जितनी तैयारी कर सकती थी, उतनी की. फिर एक दिन ‘मिस इंडिया’ का खिताब जीतने का मेरा सपना पूरा हो गया.

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