गायिकी की दुनिया में ममता शर्मा को ‘मुन्नी बदनाम’ गीत ने रातोंरात भले ही स्टार बना दिया लेकिन उन्हें यह सफलता 12 साल के लंबे संघर्ष के बाद मिली है. हाल ही में ममता ने अपने कैरियर व निजी जिंदगी से जुड़े कई दिलचस्प पहलुओं पर शैलेंद्र सिंह से बातचीत की. पेश हैं मुख्य अंश.

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से मुंबई तक पहुंचने तक किन परेशानियों से आप को गुजरना पड़ा?
सच बात तो यह है कि हम ने कभी मुंबई जाने का सपना नहीं देखा था. मेरे घर में कोई फिल्मी दुनिया का जानकार नहीं था. न ही कभी किसी की इच्छा थी. मेरे नाना को गाने का थोड़ाबहुत शौक जरूर था. मेरे पिताजी एक कपड़ा मिल में काम करते थे. 1992 में वह मिल बंद हो चुकी थी. ऐसे में परेशानियां आने लगीं.

कुछ समय बाद मेरे पिताजी नहीं रहे. काफी जिम्मेदारी मां के कंधों पर आ गई. मैं 11 साल की थी. गाने का शौक था. जो भी लोग सुनते थे कहते कि मुझे गाने का मौका मिलना चाहिए. ऐसे में मैं ने स्टेज पर गाने का सफर शुरू किया. मैं दूसरी गायिकाओं के गाने गा कर स्टेज पर लोगों का मनोरंजन करने लगी. उस समय मध्य प्रदेश जैसी जगह में लड़की का स्टेज पर गाने का फैसला सरल नहीं था.

मां का सहयोग मेरे साथ था. मैं ने आगे बढ़ने का फैसला कर लिया. स्टेज पर गाने से लोगों का मनोरंजन तो हो रहा था पर मुझे संतुष्टि नहीं मिल रही थी. इस दौरान मैं ने एस टी पौल स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी कर ली. इस के बाद मुंबई आ गई.

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