एक पत्रकार होने के नाते मैं ने कई इंटरव्यू लिए हैं. कुछेक बागी नेताओं से भी मुलाकात की. उन नेताओं के तेवर, तल्खी अंदाज जो देखने में आए, पेश हैं आप की नजर.

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मैं अपने महल्ले का वर्ल्डफेमस पत्रकार हूं, तो कभीकभी मेरे अंदर का पत्रकारी कीड़ा कुलबुलाने लगता है. इसलिए कभीकभार लोगों के छोटेमोटे इंटरव्यू कर लेता हूं. कई बागी नेताओं के इंटरव्यू के कुछ अंश यहां पेश करता हूं. ये इंटरव्यू नेताओं से अलगअलग मौकों पर लिए गए हैं. इन्हें नेताओं के निजी विचार माने जाएं. इन से पत्रकार का कोई लेनादेना नहीं है. और पत्रकार तथा जनता का इन से सहमत होना जरूरी नहीं है. इंटरव्यूज का किसी भारतीय नेता से कोई संबंध नहीं है, और इन का किसी भी नेता के विचारों के समान होना, संयोग मात्र है.
पहला इंटरव्यू जनसेवकजी का है, जो चुनाव से पहले अपनी पार्टी के खिलाफ बिगुल बजा कर दूसरी पार्टी में शामिल हो गए.

प्रश्न : जनसेवकजी, अभी आप दूसरी पार्टी में क्यों शामिल हो रहे हैं? क्या इसलिए कि सर्वेक्षणों में आप की वर्तमान पार्टी हारती हुई दिखाई जा
रही है?
ज.से.जी : देखिए, मैं जनता का सेवक हूं. अब तक मैं जिस पार्टी में था उस में जरा सा भी लोकतंत्र नहीं है. पार्टी अपने मुद्दों से भटक गई है. कुछ लोग पार्टी पर हावी हो गए हैं. कार्यकर्ताओं की पार्टी में कोई सुनवाई नहीं होती. सारे फैसले एक ही व्यक्ति और परिवार लेता है. जनता के लिए इस पार्टी ने कुछ नहीं किया.

प्रश्न : तो आप ने 5 साल तक क्यों इंतजार किया? क्या आप अब इसलिए पार्टी छोड़ रहे हैं क्योंकि आप को लगता है कि दूसरी पार्टी जीतने वाली है?
ज.से.जी : देखिए, मैं ने पूरी जिंदगी जनता की सेवा की है. जनता आज महंगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त है और इस पार्टी ने जनता के लिए कुछ नहीं किया अब इस पार्टी में मेरा दम घुटता है. मैं जनता के लिए अपने प्राण दे सकता हूं, यह पार्टी छोड़ना कौन सी बड़ी बात है.

प्रश्न : नेताजी, आप पर आरोप है कि आप इसलिए पार्टी छोड़ रहे हैं क्योंकि आप की पार्टी अगले चुनाव में आप को टिकट नहीं देने का फैसला कर चुकी है?

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ज.से.जी : मैं ने बहुत सालों तक जनता और इस पार्टी की सेवा की है. लेकिन आज पार्टी अपने सिद्धांतों से भटक गई है. पार्टी में बहुत से दागी और बागी आज ऊंचे पदों पर आसीन हो गए हैं. जनता भूख और भ्रष्टाचार से कराह रही है. इसलिए मैं ने इस पार्टी को छोड़ दिया है.

प्रश्न : नेताजी, पार्टी ने जनता के लिए कुछ नहीं किया, तो आप ने क्याक्या काम जनता के लिए पिछले 5 सालों में किए?
ज.से.जी : देखिए, पिछले 5 साल क्या, मैं ने तो अपना पूरा राजनीतिक जीवन ही जनता की सेवा में लगा दिया. लेकिन इस पार्टी ने जनता की कोई सुध नहीं ली. जनता इस को सबक सिखाएगी. जनता सब समझती है.

प्रश्न : नेताजी, कोई भी एक काम आप गिना सकते हैं जो आप ने इतने वर्षों में जनता के लिए किया हो?
ज.से.जी : देखिए, मुझे जनता की सेवा में जाना है, मेरे पास अभी इन फालतू सवालों के लिए वक्त नहीं है.
यह कहते हुए नेताजी आगे बढ़ गए.

दूसरा इंटरव्यू देशभक्तजी का है, जो चुनाव के बाद अपनी पार्टी से बगावत कर के, सरकार बनाने वाली पार्टी में शामिल हो गए.

प्रश्न : नेताजी, आप ने पार्टी क्यों छोड़ी?
दे.भ.जी : देखिए, मैं ने जनता की सेवा के लिए यह पार्टी छोड़ी है. मैं ने अपने पूरे राजनीतिक कैरियर में जनता के हित को हमेशा सर्वोपरि रखा. मेरे लिए जनता और देश पहले है, बाकी सब बाद में.

प्रश्न : नेताजी, चुनाव में आप ने जिस पार्टी के खिलाफ लड़ा था, अब उसी में शामिल हो गए? ऐसा क्यों?
दे.भ.जी : देखिए, मैं उस पार्टी में मुद्दों के आधार पर आया था. जनता के मुद्दे मेरे लिए ज्यादा महत्त्वपूर्ण हैं, मैं जनहित के लिए ही दूसरी पार्टी में गया हूं. मुझे अब समझ में आ गया है कि वह पार्टी सिर्फ अपने लाभ के लिए काम करती है, जनता के लिए नहीं.

प्रश्न : तो आप दूसरी पार्टी में जनता के हित के लिए शामिल हुए हैं या अपने हित के लिए? आप पर आरोप है कि आप मंत्री बनने के लिए दूसरी पार्टी में शामिल हुए हैं. आप का इस पर क्या कहना है?
दे.भ.जी : देखिए, ये सब विरोधियों की साजिशें हैं, उन का प्रोपोगंडा है. जनता सब समझती है. मैं ने हमेशा जनता की सेवा की है और मरते दम तक करता रहूंगा. अभी मेरे पास फालतू के सवालों के लिए वक्त नहीं है, मुझे जनता की सेवा में जाना है. यह कहते हुए देशभक्तजी उठ कर चले गए.

तीसरा इंटरव्यू उस नेता का है जो मंत्री न बनने पर नाराज हो कर पार्टी से बगावत कर बैठे.

प्रश्न : नेताजी, आप अपनी ही पार्टी के खिलाफ क्यों बोल रहे हैं? क्या आप को पार्टी ने मंत्री नहीं बनाया इसलिए?
नेताजी : मैं पद का लालची नहीं हूं. मेरे लिए जनता और जनता के मुद्दे पहले आते हैं, पार्टी बाद में. पार्टी ने जनता से जो वादे किए थे वे पूरे नहीं कर रही है. पार्टी ने जनता को धोखा दिया है.

प्रश्न : लेकिन सरकार अभीअभी तो बनी है. वादे पूरे करने के लिए तो 5 साल हैं, आप अभी से पार्टी की बुराई क्यों करने लगे?

नेताजी : मैं जनता के मुद्दों के लिए पार्टी में शामिल हुआ था. लेकिन पार्टी ने सरकार बनाने के बाद अपने वादों को पूरा नहीं किया. पानी और बिजली फ्री देने की बात की थी, अब सरकार ने उस में शर्तें लगा दीं. यह तो जनता के साथ धोखा है.

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प्रश्न : नेताजी, सरकार बने तो अभी कुछ ही दिन हुए हैं, सरकार अपने वादों को पूरा करने की दिशा में तो बढ़ रही है. आप को इतनी जल्दबाजी क्यों है? क्या 5 साल के काम 5 दिन में हो सकते हैं?

नेताजी : हमारी सरकार मुद्दों से भटक गई है. सरकार ने जनता से धोखा किया है. न भ्रष्टाचार दूर हुआ न ही गरीबी और न ही बेरोजगारी. सरकार जनता और जनता के मुद्दों से कट गई है.

प्रश्न : तो फिर आप पार्टी को छोड़ क्यों नहीं देते?
नेताजी : मैं ने पार्टी को मुद्दों के आधार पर जौइन किया था. मैं ने भी पार्टी को अपने खूनपसीने से सींचा है. मैं पार्टी क्यों छोड़ूं? मेरे लिए जनता के मुद्दे आगे हैं, पार्टी पीछे.

प्रश्न : तो फिर आप ऐसी धोखेबाज सरकार के साथ क्यों हैं? क्या आप को चुनाव के समय वादों के बारे में सबकुछ नहीं पता था? क्या आप की पार्टी की फ्री पानीबिजली की शर्तें आप को नहीं पता थीं? क्या आप ने भी जनता से उन शर्तों को छिपा कर जनता से धोखा नहीं किया?

नेताजी : पार्टी अब व्यक्ति आधारित हो गई है. एक ही आदमी सभी नियमकायदे बनाता है और सब से वही फालो करवाया जाता है. पार्टी के भीतर लोकतंत्र नहीं है. किसी को अपनी बातें कहने का हक नहीं है. मैं जनता और उस के मुद्दों के लिए लड़ता रहूंगा. मुझे किसी पद का लालच नहीं है. मैं सेवा करने आया हूं और सेवा करता रहूंगा.

प्रश्न : तो क्या आप इस्तीफा दे कर जनता की सेवा नहीं कर सकते?

यह सवाल सुन कर नेताजी उठते हुए बोले कि भाई, मुझे जनता की सेवा में जाना है. मेरे पास वक्त नहीं है, फिर कभी आना. और नेताजी चल दिए.

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