कोरोना की दूसरी लहर ने आम तो आम, खासे खातेपीते लोगों की भी कमर तोड़ दी है. इलाज के खर्च का भार कम करने के लिए स्वास्थ्य बीमा एक बेहतर विकल्प है. कोरोना की दूसरी लहर ने कइयों के बजट गड़बड़ा दिए हैं. जो लोग संक्रमित हुए उन्हें इलाज के लिए पैसों के लाले पड़ गए. कई लोगों की जमापूंजी इलाज में लग गई तो कइयों को कुछ न कुछ बेचना पड़ा. खासतौर से मध्यवर्ग के लोगों के आर्थिक सपने टूटे जो तरहतरह की प्लानिंग भविष्य को ले कर बनाए बैठे थे. इलाज में बेतहाशा खर्च करने के बाद भी अपनों को जो बचा नहीं सके उन पर तो दोहरीतिहरी मार पड़ी. भोपाल के साकेत नगर निवासी प्रियंक शर्मा के पिता ठेकेदार थे.
उन की ठीकठाक आमदनी थी. लेकिन कोरोना ने उन्हें गिरफ्त में लिया, तो इलाज में लगभग 8 लाख रुपए लग गए. इस के बाद भी वे बच नहीं पाए. पापा को तो खोया ही, 22 वर्षीय बेरोजगार प्रियंक कहता है, ‘‘अब नई चिंता घर चलाने की व बड़ी बहन की शादी करने की है. पापा थे तब तक बेफिक्री थी. इलाज के लिए 3 लाख रुपए रिश्तेदारों से उधार लिए थे, वे भी चुकाने हैं. पापा ने कोई हैल्थ पौलिसी ली होती, तो शायद पैसों का ज्यादा बो झ न पड़ता. बात सही है और यह भी बताती है कि अधिकतर लोग अहमियत सम झते हुए भी स्वास्थ्य बीमा नहीं कराते हैं, जिस से इलाज में खासा पैसा उन्हें जमापूंजी से खर्चना पड़ता है. अब अगर यही पैसा मामूली प्रीमियम के एवज में बीमा कंपनी से मिल जाए तो काफी हद तक आर्थिक जोखिम कम हो जाता है. इस के लिए जरूरी है कि आप का स्वास्थ्य बीमा हो.
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जानिए स्वास्थ्य बीमा स्वास्थ्य बीमा, इलाज के खर्चों को कवर करने के लिए आप के और बीमा कंपनी के बीच एक करार है, जिस के तहत बीमा कंपनी आप को तयशुदा बीमा राशि देती है. अस्पताल में भरती होने पर इलाज का सारा खर्च बीमा कंपनी उठाती है लेकिन अस्पताल खर्च का बिल बीमा राशि से ज्यादा का नहीं होना चाहिए. आप जितनी राशि का बीमा कराते हैं उसी के अनुपात में आप को प्रीमियम भरना पड़ता है. इस के लिए अलगअलग कंपनियों की अलगअलग पौलिसियां होती हैं. मोटेतौर पर देखें, अगर आप पूरे परिवार का एक लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा करवाते हैं तो इस का औसत प्रीमियम तकरीबन 10 हजार रुपए सालाना बैठता है. प्रीमियम की राशि आप की उम्र, व्यवसाय और मौजूदा मैडिकल स्थिति पर निर्भर करती है. यह सुविधा सभी कंपनियां देती हैं कि आप पूरे परिवार का एकसाथ बीमा करवा सकते हैं.
स्वास्थ्य बीमा 2 तरह का होता है. पहला, इन्डेम्निटी प्लान और दूसरा, फिक्स्ड बैनिफिट प्लान. इन में से अपनी जरूरत के मुताबिक आप प्लान चुन सकते हैं. कौन सा प्लान लें इन्डेम्निटी प्लान साधारण परिस्थितियों में उपयुक्त रहता है. यह अस्पताल के खर्च को कवर करता है. इस में आप सालभर में जितनी बार भी अस्पताल में भरती होते हैं उतनी बार ही खर्च बीमा कंपनी देती है लेकिन यह खर्च तयशुदा बीमा राशि के अंतर्गत होता है. कोई भी प्लान लेने से पहले उस के बारे में सबकुछ जान लेना बेहतर होता है क्योंकि कई योजनाओं में मौजूदा बीमारियों के इलाज का खर्च शामिल नहीं होता है. अगर आप पूरे परिवार का बीमा करवा रहे हैं तो इस की शर्तों को भी सम झ लेना चाहिए कि इलाज की राशि कितनी मिलेगी.
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वरिष्ठ नागरिकों के लिए सभी कंपनियां अलग से भी बीमा करती हैं. कुछ बीमा कंपनियां पौलिसीधारक का मैडिकल टैस्ट करवाती हैं. अगर आप युवा हैं और निकट भविष्य में बच्चा चाहते हैं तो आप मातृत्व बीमा का भी लाभ ले सकते हैं. आमतौर पर इस में प्रसव से पहले और बाद के खर्चों का भुगतान कंपनी करती है. फिक्स्ड बैनिफिट प्लान कुछ विशेष बीमारियों के लिए एक निश्चित राशि का भुगतान करता है, जैसे कैंसर और दिल की बीमारी. यह योजना आमतौर पर अस्पताल में भरती होने पर लाभ नहीं देती है. इस योजना में प्रिवैंटिव बीमा शामिल होता है.
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दूसरी गंभीर बीमारियों के लिए बीमा कंपनियां आप को एकमुश्त राशि देती हैं. इलाज दिनोंदिन महंगा होता जा रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य बीमा योजना सभी को लेना चाहिए. इस से आप का आर्थिक बो झ कम होता है और बीमार होने पर आप बेहतर इलाज भी करवा सकते हैं. कोई भी प्लान लें, उस के बारे में पहले से विस्तार से जरूर सम झ लें कि वह आप को कब और कैसे फायदा देगा. वैसे तो यह जरूरी होता ही है लेकिन कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के चलते तो स्वास्थ्य बीमा और भी जरूरी हो गया है. इनकम टैक्स के दायरे में आने वालों को इस बारे में सोचने की जरूरत ही नहीं क्योंकि आयकर कानून की धारा 80 डी के तहत 1 लाख रुपए तक की छूट मिलती है.