डा. अरुणा कालरा

कोविड संकट के दौर में गर्भवती महिलाओं को संक्रमण का अधिक जोखिम होता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस समय ऐसी महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जिस से खतरा अधिक बना रहता है. ऐसे में गर्भवती महिलाएं कैसे खुद को सुरक्षित रख सकती हैं. आइए जानें? कोविड से संक्रमित होने का जोखिम हर किसी को है, लेकिन गर्भवती महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर स्थिति में होने के चलते उन्हें संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है.

इस के कारण उन्हें किसी भी संक्रमण के ज्यादा गंभीर लक्षण हो सकते हैं और कोविड-19 का जोखिम भी उन्हें ज्यादा होता है. इस कारण गर्भवती महिलाओं को ज्यादा सावधान रहने और महामारी के दौरान सामाजिक संपर्क कम करने की जरूरत है. महिलाओं को गर्भपात और मृत शिशु को जन्म देने की संभावना ज्यादा होती है, जो आमतौर पर दूसरी तिमाही के उत्तरार्ध या गर्भ के उन्नत चरण में होता है. भ्रूण की मृत्यु तब होती है, जब मां की स्थिति अचानक खराब होती है या फिर औक्सीजन का सैचुरेशन कम हो जाता है. गर्भवती महिला को फ्लू के किसी भी लक्षण जैसे खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ की सूचना अपने डाक्टर को देना बहुत आवश्यक है. जिन गर्भवती महिलाओं की उम्र ज्यादा है, जो मोटापे का शिकार हैं या जिन्हें पूर्व में कोई बीमारी है जैसे डायबिटीज, हाइपरटैंशन या दिल की बीमारी, उन्हें कोविड-19 के लक्षण होने की संभावना ज्यादा है और उन्हें इंटैंसिव केयर यूनिट्स (आईसीयू) में भेजने की संभावना ज्यादा होती है. गर्भवती महिलाओं के लिए कोविड-19 के प्रति बरती जाने वाली सावधानियां द्य सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का कठोरता से पालन करें.

ये भी पढ़ें- जिंदगी की जंग विशेष: ब्लैक फंगस

बाहर निकलते वक्त मास्क जरूर पहनें.

पर्याप्त शारीरिक दूरी बनाना संभव न हो, तब नौनमैडिकल, फैब्रिक मास्क पहनें. अपनी आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचें.

यदि परिवार का कोई व्यक्ति संक्रमित है तो सब से अच्छा है कि आइसोलेटेड रहें और लोगों से मिलनाजुलना कम करें.

हाईड्रेटेड व चुस्त रहें और ब्लड क्लौट्स के जोखिम को कम करें.

नियमित चैकअप के लिए नौनकोविड केयर सुविधाओं वाले अस्पताल खोजें. द्य गायनोकोलौजिस्ट के पास व्यक्तिगत रूप से जाने के बजाय वर्चुअल परामर्श लें. डाक्टर या अस्पताल के प्रतीक्षाकक्ष में कम से कम समय गुजारें.

आवश्यक जांच जैसे खून की जांच, अल्ट्रासाउंड, भ्रूण की जांच से इनकार न करें, जिस के लिए आप को व्यक्तिगत रूप से जाना होगा. ऑक्सीजन  का सैचुरेशन लैवल नियमित तौर से देखते रहें.

ये भी पढ़ें- जानिए रोज चावल खाने के फायदे

हलकी से हलकी बीमारी भी डाक्टर को बताएं, क्योंकि इस से स्थिति तेजी से बिगड़ सकती है.

विश्व में फैली महामारी से अलग गर्भावस्था ऐसी स्थिति है, जिस के लिए निगरानी और सावधानी की जरूरत होती है, ताकि शिशु का सेहतमंद विकास हो.

गर्भ को सुरक्षित बनाए रखने के लिए

प्रिनैटल केयर के अपौइंटमैंट या नियमित जांच से चूकें नहीं.  दवाओं, जैसे प्रिनैटल विटामिन आदि की आपूर्ति बनाए रखें.

डाक्टर द्वारा बताए गए टीके जैसे इन्फ्लुएंजा का टीका आदि लगवाते रहें. द्य यदि कोई मैडिकल इमरजैंसी हो तो तत्काल मैडिकल सहायता लें.

अपनी शारीरिक और भावनात्मक सेहत बनाए रखें. 

खुद को और शिशु को सेहतमंद बनाए रखने के लिए अपनी सेहत को प्राथमिकता देना बहुत महत्त्वपूर्ण है. सब से पहले गर्भावस्था के दौरान आम दिशानिर्देशों का पालन करें, जिन में सेहतमंद आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त आराम करना शामिल है. साथ ही कोविड-19 के चलते आप को अनिश्चितता, तनाव और चिंता महसूस हो सकती है.

ये भी पढ़ें- बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकते हैं घुटने

अपने परिवार व दोस्तों से बातें करते रहें, क्योंकि उन से बात कर के आप का मन हलका हो जाएगा. जब तक भारतीय निर्माताओं द्वारा किए जा रहे क्लिनिकल ट्रायल्स की अंतिम रिपोर्ट हमें नहीं मिल जाती, तब तक गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 का टीका नहीं लगवाना चाहिए.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय इस का सु झाव नहीं दे रहा, लेकिन फेडरेशन औफ औब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलौजिकल सोसाइटीज औफ इंडिया (फोगसी) ने कहा है कि टीका गर्भवती महिलाओं को भी लगाया जाना चाहिए,

क्योंकि गर्भवती महिलाओं को टीका लगाए जाने के फायदे वैक्सीनेशन के सैद्धांतिक या सुदूर जोखिमों के मुकाबले बहुत ज्यादा प्रतीत होते हैं. आप कोविड-19 से डरे हुए हैं, इसलिए इमर्जैंसी केयर में विलंब नहीं करना चाहिए.

अस्पतालों में की जा रही योजनाबद्ध डिलीवरी सुरक्षित हैं, क्योंकि इन के लिए सभी आवश्यक सावधानियां रखी जाती हैं और माता व शिशु को कोविड-19 से बचाने और जोखिम न्यूनतम रखने के लिए सभी प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है. ज्यादातर स्वास्थ्य संस्थानों ने सावधानी के लिए कोविड-19 मरीजों को आइसोलेशन वार्ड और भवनों में सब से अलग रखा हुआ है.

ये भी पढ़ें- घरेलू नुस्खे हैं कितने कारगर

(लेखिका डिपार्टमैंट औफ औब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलौजी, सी के बिरला हौस्पिटल, गुरुग्राम में सेवारत हैं). कैंसर मरीज कोविड इन्फैक्शन के हाई रिस्क पर -डाक्टर रुचि गौड़ (कैंसर रोग विशेषज्ञ) जो लोग पहले ही किसी बड़ी बीमारी जैसे मधुमेह, हृदय रोग या कैंसर आदि से जूझ रहे हैं,

उन पर कोरोना किस तरह असर दिखाता है, इस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, खासकर कैंसर के मरीज बड़ी दुविधा में रहते हैं वे जो कैंसर की दवाएं ले रहे हैं, कोरोना होने पर उन का सेवन करने से कोई समस्या तो नहीं खड़ी हो जाएगी.

दिल्ली के एम्स की पूर्व कैंसर रोग विशेषज्ञ और वर्तमान में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जगमोहन मल्टी स्पैशलिटी अस्पताल में डाक्टर रुचि गौड़ ने कोरोना से पीडि़त कैंसर मरीजों से जुड़े कुछ सवालों के जवाब दिए. पेश हैं,

उन से हुई बातचीत के खास अंश : कैंसर के मरीज को वैक्सीन लेने में कोई दिक्कत तो नहीं? कैंसर के मरीज कोविड-19 संक्रमण के लिए हाई रिस्क श्रेणी में आते हैं. जो मरीज कैंसर का इलाज पूरा करवा कर ठीक हो चुके हैं, वे जरूर वैक्सीन लें. लेकिन जिन मरीजों का इलाज अभी चल रहा है, वे (रेडियोथेरैपी, कीमोथेरैपी या सर्जरी के द्वारा) अपने डाक्टर की सलाह से वैक्सीन ले सकते हैं.

अगर किसी की कीमोथेरैपी चल रही है तो क्या वह वैक्सीन लगवा सकता है? अगर हां तो उसे किनकिन बातों का ध्यान रखना चाहिए? कैंसर कीमोथेरैपी की दवाइयां कई तरह की होती हैं, जैसे कि ल्यूकीमिया और बोनमैरो ट्रांसप्लांट के दौरान दी जाने वाली दवाएं बहुत ज्यादा माइलोसप्रेशन कर सकती हैं जिस से ब्लड से काउंट (व्हाइट ब्लड सेल), प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है और जिस से इम्यूनिटी भी कम हो जाती है,

इसलिए केवल अपने डाक्टर के परामर्श के बाद ही वैक्सीन लें. अगर किसी मरीज का कैंसर का औपरेशन होने वाला है या हो चुका है तो वह कितने दिन बाद वैक्सीन लगवा सकता है? सामान्य परिस्थितियों में सर्जरी के 10-15 दिन बाद वैक्सीन दी जा सकती है, लेकिन कैंसर मरीजों में कैंसर सर्जरी का प्रकार,

कैंसर का टाइप, कैंसर किस अंग का है, सर्जरी कितनी रिस्की है, ये सब बातें वैक्सीन लगाने का समय और अंतराल तय करती हैं, इसलिए सारे रिस्क फैक्टर देखने के बाद अपने डाक्टर की सलाह से वैक्सीन लगवाएं.

जो कैंसर मरीज कोरोना से ठीक हो चुके हैं उन्हें आगे किनकिन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जो कैंसर मरीज कोरोना इन्फैक्शन से ठीक हो चुके हैं और उन्हें वैक्सीन नहीं लगी है, वे गाइडलाइंस के हिसाब से रिकवरी के 3 महीने बाद वैक्सीन जरूर लें और पूरी तरह मास्क,

हैंड वाशिंग, सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करें. एक अच्छा संतुलित आहार, फलों आदि का सेवन करें. साथ ही मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें और पौजिटिव सोच अपनाएं. अगर कोई गर्भवती महिला है या उस का छोटा बच्चा है तो क्या वह महिला भी वैक्सीन लगवा सकती है?

गर्भवती महिलाओं के वैक्सीनेशन के लिए आई गाइडलाइंस साफ नहीं हैं. महाराष्ट्र सरकार के सैल्फ कंसैंट और गायनोकोलौजिस्ट के प्रिसक्रिप्शन के साथ वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. जिन महिलाओं के छोटा बच्चा है और वे बच्चे को दूध पिलाती हैं, उन्हें वैक्सीन लगवाने की मंजूरी मिल गई है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...